जी-20 की सबसे बड़ी कामयाबी

युगवार्ता    05-Oct-2023
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आने वाले समय में भारत आर्थिक और तकनीकी दोनों स्तर पर समृद्ध होगा । फिलहाल इतना जान लीजिए कि जी-20 में जिन फैसलों को पूरा करने का वादा किया गया है अगर वह पूरा होते हैं तो आने वाले समय में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रथम तीन स्थानों में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाएगा जिसकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही की थी।
जी20 में भारत को मिली कामयाबी यह बता रही है कि विश्व भारत की तरफ देख रहा है। याद करिए जब प्रधानमंत्री ने भारत को विश्व गुरु बनाने की बात की थी। तब कई लोगों ने इसका मजाक बनाया था। लेकिन आज वे इस कामयाबी पर ऐसी स्थिति में हैं कि दबे मन से ही सही परंतु सराहना करनी पड़ रही है। इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसी कामयाबी की अहमियत और किस तरह से वह आने वाले समय में भारत के आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है, काफी महत्वपूर्ण है। चीन और पाकिस्तान को निश्चित तौर पर यह प्रोजेक्ट अच्छा नहीं लग रहा होगा क्योंकि इससे भारत उन देशों से जुड़ जाएगा जिनका विश्व अर्थव्यवस्था में अहम स्थान है। यह सफलता छोटी-मोटी सफलता नहीं है बल्कि वैश्विक दृष्टि से बहुत बड़ी सफलता है।
दरअसल भारत इस प्रोजेक्ट के लिए कई सालों से प्रयासरत था और वह चाह रहा था कि उसे इस प्रोजेक्ट में सफलता हासिल हो लेकिन चीन की अड़ंगेबाजी की वजह से यह प्रोजेक्ट सफल नहीं हो पा रहा था। लेकिन अब जी 20 के मंच पर यह तय हो गया कि भारत अब इस प्रोजेक्ट में सफल हो गया इसी के साथ आने वाले समय में भारत की आर्थिक गतिविधियां तेज होने वाली है। इससे भारत वैश्विक स्तर पर बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर उभरेगा। दरअसल, भारत अमेरिका के सहयोग से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर इसे पूरा करना है। यह एक तरह से इकोनॉमिक कॉरिडोर की तरह होगा। इसके तहत भारत बंदरगाहों और रोड के जरिए मध्य पूर्व यूरोप से सीधे जुड़ जाएगा। इसके शुरुआती हिस्सों में बंदरगाह शामिल हैं। जिसमें अरब सागर से होते हुए ओमान की खाड़ी के साथ फारस की खाड़ी से वह संयुक्त अरब अमीरात के साथ जुड़ेगा।
संयुक्त अरब अमीरात से सऊदी अरब तक के लिए भारत एवं अरब देश मिलकर एक रेल नेटवर्क बिछाएंगें। अब सवाल उठता है कि भारत सऊदी अरब तो पहुंच गया लेकिन अभी वह मध्य पूर्व यूरोप में कैसे पहुंचेगा? क्योंकि आप जानते हैं कि बीच में इजराइल है और इजराइल से इस्लामी देशों के रिश्ते अच्छे नहीं हैं कई बार अमेरिका इसमें शामिल हुआ ताकि रिश्ते सुधरे जा सके। ताकि अमेरिका का व्यापार न प्रभावित हो, लेकिन यह माना जा रहा है कि इस पर अमेरिका ने सऊदी अरब और इजराइल को समझाने की कोशिश की है। अगर यह मामला सुलझ गया तो सीधे भारत को इजराइल तक रास्ता मिल जाएगा।
आपने देखा होगा कि इस बार सिर्फ दो स्टेट गेस्ट के रूप में जी-20 में आए थे और उन्हें सीधे एयरपोर्ट से प्रधानमंत्री के आवास पर ले जाया गया था। वह दो स्टेट गेस्ट थे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाईडेन और दूसरे सऊदी अरब के किंग सलमान। इस तरह की कूटनीति साफ तौर पर बता रही थी कि जी-20 में कुछ बड़ा होने वाला है। जी-20 में वह बड़ा इसी इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर हुआ। यह कॉरीडोर एक-दो दिन का मामला नहीं था। जो रिपोर्ट्स आ रही है उसमें बताया गया है कि यह कार्य पिछले कई सालों से भारत के डिप्लोमेटिक चैनल के तहत किया जा रहा था। इसमें प्रधानमंत्री के साथ-साथ विदेश मंत्री और कई अधिकारी शामिल थे जो इस कार्य को कर रहे थे। आखिरकार सालों की मेहनत के बाद इसको अंतिम रूप तक पहुंचाने का काम जिस जगह पर हुआ वह नई दिल्ली और जी-20 का सम्मेलन था। यह अपने आप में अहम है। चीन के राष्ट्रपति का न आना इसी बात का संकेत था कि उन्हें पता था कि भारत एक नया रास्ता बनाने जा रहा है। और चीन कभी नहीं चाहता कि ऐसा हो, क्योंकि वह पहले से ही ‘वन बेल्ट वन रोड’ पर काम कर रहा है। हालांकि आज कई देश उसकी इस योजना से बाहर निकल रहे हैं। इसके पीछे चीन की ऋण पॉलिसी है।
बहरहाल, जिस तरह से दुनिया बदल रही है और अभी जी-20 की थीम भी थी ‘वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर’ जिसके तहत यह माना जा रहा है कि आने वाला फ्यूचर फॉसिल फ्यूल से चेंज होकर ग्रीन उर्जा की तरफ बढ़ रहा है। इसमें बायोफ्यूल सोलर सिस्टम के अलावा और भी कई ऐसी तकनीके हैं जहां पर जीरो कार्बन में ऊर्जा को संरक्षित किया जाए और उसे आमजन के हित के लिए उपयोग किया जाए। अगर यह डील हो गई तो यह मानकर चलिए कि आने वाले समय में भारत आर्थिक स्तर पर समृद्ध होगा। तकनीकी स्तर पर समृद्ध होगा और चीन के लिए भी वह आने वाले समय में चुनौती बन सकेगा। फिलहाल इतना जान लीजिए कि इस जी-20 में जिन फैसलों को पूरा करने का वादा किया गया है अगर वह पूरा होते हैं तो आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को चुनौती देना बेहद मुश्किल हो जाएगा और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रथम तीन स्थानों में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाएगा जिसकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही की थी।
 
 
जी-20: दिल्ली डिक्लेरेशन के प्रमुख बिंदु
1. जी-20 के सदस्य अर्थव्यवस्था में महिलाओं की समान और प्रभावी भागीदारी को बढ़ावा देंगे ताकि लैंगिक असमानता खत्म हो सके।
2. जी-20 के देशों ने महामारी की रोकथाम के लिए वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध रहने का संकल्प लिया है ताकि भविष्य में इससे बेहतर तरीके से निपटा जाये।
3. जी-20 के सदस्यों ने सभी के लिए वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके लिए पौष्टिक अनाजों पर रिसर्च सहयोग को मजबूत किया जाएगा।
4. जी-20 के देशों ने एक नियम आधारित, निष्पक्ष, खुला, समावेशी, न्यायसंगत, टिकाऊ, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को अपनाने की पुष्टि की।
5. जी-20 के देश मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए काम करेंगे। इसके साथ ही वे सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे को लागू करने की दिशा में भी काम करना जारी रखेंगे।
6. डिक्लेरेशन में कहा गया है कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी देश पीछे न छूटे। यह भी कहा गया है कि हम 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए भारत की तरफ से उठाए गए प्रयासों की सराहना करते हैं।
7. जी-20 के देशों ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकटों की चुनौतियों से निपटने के लिए कार्यों में तेजी लाने का संकल्प लिया।
8. जी-20 के सदस्य देशों ने समावेशी, टिकाऊ और लचीली वैश्विक मूल्य श्रृंखला बनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ काम करने को लेकर सहमति जताई। इसके साथ ही वे विकासशील देशों को मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने में सहायता भी करेंगे, जिससे ऋण संबंधी कमजोरियां हल होंगी और 'कोई भी पीछे न छूटे' नीति लागू हो पाएगी।
9. जी-20 देशों ने यूक्रेन पर आक्रमण करने को लेकर रूस का नाम तो नहीं लिया, लेकिन क्षेत्रीय लाभ के लिए बल के प्रयोग की कड़ी आलोचना की।
10. जी-20 विकासशील देशों को मौजूदा और उभरती स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए मदद करेगा।
 
 
इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसी कामयाबी की अहमियत और किस तरह से वह आने वाले समय में भारत के आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है, काफी महत्वपूर्ण है। चीन और पाकिस्तान को निश्चित तौर पर यह प्रोजेक्ट अच्छा नहीं लग रहा होगा।
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