विभाजन की यादों को संजोएगा संग्रहालय

युगवार्ता    01-Mar-2023
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भारत विभाजन पर आधारित पहला म्यूजियम अमृतसर में बना हुआ है। अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दूसरा विभाजन म्यूजियम बन कर तैयार हो गया है,जिसे जल्द ही आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। यह म्यूजियम पुरानी दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के दारा शिकोह लाइब्रेरी बिल्डिंग में द आर्ट्स एंड कल्चरल हेरिटेज ट्रस्ट और दिल्ली सरकार के संयुक्त प्रयास से बनाया गया है।



दिल्ली संग्राहलय

विजय कुमार राय
पंजाब के अमृतसर में दुनिया के पहले विभाजन संग्रहालय की सफलता के बाद अब पुरानी दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के दारा शिकोह लाइब्रेरी बिल्डिंग में भारत के विभाजन पर एक दूसरा संग्रहालय स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में बंटवारे का दर्द झेल चुके लोगों के साथ पाकिस्तान से आकर मेहनत के बूते कामयाब हुए लोगों की कहानियों को शामिल किया गया है। संग्रहालय की सहायक क्यूरेटर श्रेयशी बागची बताती हैं कि 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान विभाजन की विभीषिका से मौजूदा पीढ़ी परिचित नहीं है। मौजूदा पीढ़ी को विभाजन की उस विभीषिका से रूबरू कराने के लिए विभाजन संग्रहालय तैयार किया गया है। इसे इसी माह में लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, अभी उद्घाटन की तारीख तय नहीं है।

श्रेयशी बागची आगे बताती हैं कि द आर्ट्स एंड कल्चरल हेरिटेज ट्रस्टऔर दिल्ली सरकार के संयुक्त प्रयास से ही इस संग्रहालय को सजाया गया है। इस संग्रहालय में उस समय के शरणार्थियों और उनके परिवारों से जुड़ी हुई कई चीजें संग्रहीत की गई हैं जो खुद ब खुद विभाजन के दर्द को बयां कर रही हैं।

संग्रहालय में विभाजन के समय दिल्ली में आने वाली शरणार्थी आबादी और उस पर पड़ने वाले प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह संग्रहालय उन लाखों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को समर्पित है, जिन्होंने रातों-रात अपना घर और जीवन खो दिया। सहायक क्यूरेटर श्रेयशी ने बताया कि विभाजन के समय की वस्तुओं, यादों और व्यक्तिगत अनुभवों को समेटते समय चश्मदीद गवाहों और बचे हुए लोगों से एक नई प्रेरणा मिली। संग्रहालय में छह गैलरियों के माध्यम से विभाजन के अलग-अलग चरणों में तात्कालिक स्थिति को उकेरा गया है।

पहली गैलरी स्वतंत्रता और विभाजन पर केंद्रित है। 1900-1947 के वर्षों में भारत में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में नाटकीय परिवर्तन हुए। यह गैलरी आजादी से पहले के दशकों और दिल्ली पर केंद्रित उपमहाद्वीप के विभाजन के प्रमुख क्षणों पर प्रकाश डालती है।

दूसरी गैलरी में सन् 1947 में लोगों के पलायन के समय के उपलब्ध परिवहन के माध्यम से अपने सामान को लाने के बारे में दिखाया गया है। परिवहन के साधनों में उस समय बैलगाड़ियां, ट्रेन, हवाई जहाज, जहाज, नाव, ऊंट, घोड़े और कारें शामिल थीं। इसी तरह अन्य गैलरियों में भी तात्कालिक घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है।

अतुल केशप के दादा-दादी चौधरी भवानी दास अरोड़ा और छिंको बाई सचदेवा ने मुजफ्फरगढ़ जिला मुल्तान पश्चिम पंजाब के पास अपने गांव विष्णुपुरा से भागते समय परिवार की छोटी-छोटी चीजों को ढोने वाले ट्रंक को सुरक्षित करने के लिए इस ताले का इस्तेमाल किया था। 1955 से जब उनके दादाजी ने माडल टाउन, पानीपत, हरियाणा में अपना नया घर बनाया तो ताला और चाबी उनकी दादी की अलमारी में सुरक्षित रूप से रखी गई थी। अतुल केशप द्वारा इसे दान किया गया है।

 

दारा शिकोह पुस्तकालय की कहानी

इस इमारत का निर्माण 1643 में बादशाह शाहजहां के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह ने खुद कराया था और यहां घंटों गुजारा करते थे। इसके उपरांत यह पंजाब के मुगल वायसराय अली मर्दन खान का आवास बना। उसके बाद प्रथम ब्रिटिश रेजिडेंट डेविड ओचर्लोनी ने भी इसे अपना आवास बनाया। बाद में यहां दिल्ली कॉलेज स्थानांतरित किया गया फिर जिला स्कूल और फिर यहां नगर निगम बोर्ड का स्कूल चला। वर्तमान में पुस्तकालय को संग्रहालय में बदल दिया गया है।
 

प्रियंका मेहता लाहौर में अपनी नानी के घर गईं और उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में एक पुराना बिजली का मीटर सौंपा गया। इसे वर्तमान मालिकों इफ्तिखार के परिवार द्वारा संभालकर इस इंतजार के साथ रखा गया था कि अगर कोई सीमा पार से आता है तो हम उसे यह वापस देंगे।

विभाजन के समय 10 वर्ष की आयु के यशवीर दत्ता 1947 में दिल्ली आए। अपने पड़ोस में जघन्य हत्याओं को देखने के बाद अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ वे सियालकोट (वर्तमान पाकिस्तान) से चले आए। दिल्ली में अस्थायी बस्तियों में शरण लेने के बाद परिवार अंततः फ़िरोज़ शाह कोटला चला आया जो एक शरणार्थी शिविर था जो बाद में एक शरणार्थी कालोनी में बदल गया था। यह राशन कार्ड, जिसे उनके पिता, तीरथ राम दत्ता ने शिविर में प्राप्त किया था। उनके द्वारा विभाजन संग्रहालय के संग्रह को दान कर दिया गया था। राशन कार्ड में यशवीर दत्ता की मां सत्यवती और अन्य भाई-बहनों सहित परिवार के सभी सदस्यों के नाम का उल्लेख है। यशवीर दत्ता ने इसे दान किया है।

विभाजन के समय की घटनाओं पर आधारित एक लघु फिल्म भी इस विभाजन संग्रहालय में दिखाई जाएगी। श्रेयशी बागची आगे बताती हैं इस संग्रालय में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और एमडीएच के मालिक स्वर्गीय धर्मपाल गुलाटी की आवाज में बंटवारे का दर्द सुनने को मिलेगा। इसकी रिकॉर्डिंग की जा चुकी है।

बिल्डिंग में तीन म्यूजियम बन रहे हैं। विभाजन म्यूजियम के अलावा दारा शिकोह के जीवन को समर्पित एक म्यूजियम होगा और तीसरे में पुरावशेषों और कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। यह कार्य दिल्ली सरकार का पुरातत्व विभाग द आर्ट्स एंड कल्चरल हेरिटेज ट्रस्ट के साथ मिलकर कर रहा है।


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