पोषक तत्‍वों व फाइबर से भरपूर है मिलेट

युगवार्ता     18-Mar-2023   
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श्रीधान्‍य मिलेट

मिलेट वस्तुत: एक अंग्रेजी शब्द है। हिंदी में इसे बाजराकहते हैं। लेकिन बोलचाल की भाषा में बाजरा समूह के पारंपरिक अनाजों के लिए मिलेटशब्द का प्रयोग किया जाता है। मिलेट पोषक तत्वों और फाइबर से युक्त पारंपरिक अनाज है। लेकिन हम यह जानते ही नहीं। प्रसिद्ध और स्वतंत्र वैज्ञानिक डॉ. खादर वली ने विभिन्न खाद्यान्नों पर गहन शोध कर अनाज के पोषक तत्वों के आधार पर उन्हें नकारात्मक, तटस्थ और सकारात्मक अनाज के रूप में वर्गीकृत किया है। डॉ. खादर वली भारत के मिलेट मैन भी कहे जाते हैं। हाल ही में भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। मिलेट मैन डॉ. खादर वली ने अनाज को उसके पोषक तत्वों के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया है, जो इस प्रकार है-

नकारात्मक अनाज

डॉ. खादर वली ने नकारात्मक अनाज के अंतर्गत वैसे अनाज को रखा है जो रोग उत्पन्न करता है। इन अनाजों में फाइबर की मात्रा सबसे कम और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सबसे अधिक होती है। इस श्रेणी के अनाज में उन्होंने मूल रूप से धान-चावल और गेहूं को रखा है। इन दोनों अनाज में फाइबर की मात्रा सिर्फ 0.2 से 1.2 ग्राम ही है। वहीं कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 76.2 से 79 ग्राम होती है। फाइबर कम और कार्बोहाइड्रेट अधिक होने की वजह से धान-चावल और गेहूं हमारे शरीर में रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इनका कम से कम उपयोग करना चाहिए।

तटस्थ अनाज

तटस्थ अनाज में वैसे अनाज को डॉ. खादर वली ने रखा है जो हमारे शरीर के अंदर नई बीमारियों का कारण नहीं बनते हैं, लेकिन हमारे स्वास्थ्य विकारों और बीमारियों को ठीक करने में भी हमारी मदद नहीं करते हैं। इस श्रेणी के अनाज में उन्होंने ज्वार, बाजरा, रागी, चेना और मक्का को रखा है। इनमें फाइबर की मात्रा 1.2 से 3.6 प्रतिशत तक होती है। तटस्थ अनाज आपके शरीर में कोई रोग उत्पन्न नहीं करते लेकिन आपने शरीर को यथावत बनाए रखते हैं। इसलिए इन अनाजों का यथासंभव उपयोग किया जाना चाहिए।

सकारात्मक अनाज

मिलेट मैन डॉ. खादर वली ने सकारात्मक अनाज, उन अनाजों को कहा है जिसके खाने से न केवल हमारे शरीर स्वस्थ रहते हैं, बल्कि ये अनाज हमारे शरीर के रोगों और विकारों को ठीक करने में भी हमारी मदद करते हैं। संक्षेप में कहें तो इनमें रोगों को दूर करने का औषधीय गुण है। इस श्रेणी के अनाज में उन्होंने कांगणी (फॉक्सटेल मिलेट), सांवा (बार्नयार्ड मिलेट), कोदो (कोदो मिलेट), कुटकी (लिटिल मिलेट) और मुरात (ब्राउनटॉप मिलेट) को रखा है। इन पांचों मिलेट में फाइबर की मात्रा सबसे अधिक 8 से 12 प्रतिशत तक होती है। इतना ही नहीं ये पांचों मिलेट पोषक तत्वों से परिपूर्ण हैं। इसलिए उन्होंने इन पांचों मिलेट का नाम सिरि धान्‍यरखा। सिरि का अर्थ श्रेष्ठ या धन या अनुपम उपहार होता है। ये पांचों मिलेट अपने पोषक तत्व की वजह से श्रेष्ठ अनाज माने गए है। दूसरे शब्दों में कहें तो सिरि धान्य प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनुपम उपहार है। यह औषधीय गुणों से युक्त खाद्य पदार्थ है। कहा भी जाता है कि फूड इज मेडिसीनअर्थात भोजन ही दवा है। मिलेट की ये छोटी-छोटी गोलियां किसी दवा से कम नहीं है। अप्रत्यक्ष रूप से ये पांचों मिलेट हमारे शरीर के स्वास्थ्य में भी श्री वृद्धि करते हैं। एक पुरानी कहावत भी है- हेल्थ इज वेल्थअर्थात स्वास्थ्य ही धन है

डॉ. खादर वली का मानना हैं कि कोई भी व्‍यक्ति यदि 6 महीने से 12 महीने तक इनका सेवन मुख्‍य भोजन के रूप में करें, तो वह बीमारियां पैदा करने वाले किटाणुओं को अपने से दूर रख सकता हैं। साथ ही व्यक्ति अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य भी प्राप्‍त कर सकता हैं।इतना ही न‍हीं उन्‍होंने अपने प्रोटोकॉल के जरिये हुए कई असाध्‍य रोगियों को रोगों से मुक्‍ति भी दिलाई है।

“कोई भी व्‍यक्ति यदि 6 महीने से 12 महीने तक इनका सेवन मुख्‍य भोजन के रूप में करें, तो वह बीमारियां पैदा करने वाले किटाणुओं को अपने से दूर रख सकता हैं। साथ ही व्यक्ति अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य भी प्राप्‍त कर सकता हैं।  
                              - डॉ. खादर वली

प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 38 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है। हमारे भोजन में मौजूद फाइबर पदार्थ ही हमारे शरीर के अंदर खून में भोजन से ग्लूकोज बनने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। मिलेट पोषक तत्वों और फाइबर से भरपूर होता है। दिन में तीन बार मुख्य भोजन के रूप में मिलेट का सेवन करने से 25 से 30 ग्राम फाइबर की आपूर्ति होती है। वहीं सब्जी और हरी पत्तेदार सब्जियों को भोजन में शामिल करने से 10 ग्राम फाइबर प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन विडंबना यह है कि गेहूं और चावल जो आज हमारा मुख्य भोजन है, उसमें मात्र 0.2 ग्राम से 1.2 ग्राम ही फाइबर होता है। इसलिए आज जब हम इनका भोजन करते हैं तो उसके 15 से 35 मिनट के अंदर ही भोजन पचकर ग्लूकोज के रूप में बदल जाता है। वहीं मैदा से बने पदार्थ 10 मिनट में ही ग्लूकोज में बदलकर खून में मिल जाता है। ये हमारे शरीर के लिए ठीक नहीं है। 10 मिनट या 30-40 मिनटों में खून में ग्लूकोज का अधिक पैमाने में पहुंचना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मधुमेह सहित कई अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है। वस्तुत: एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चार से पांच लीटर तक खून होता है। सामान्यतया किसी व्यक्ति के खून में 6 से 7 ग्राम ग्लूकोज की मात्रा होनी चाहिए। लेकिन गेहूं, चावल और मैदा की वजह हमारे शरीर के खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती चली जाती है। और धीरे-धीरे यह व्यक्ति को बीमार बना देता है। अगर बीमारी से बचना है तो मिलेट अपनाएं क्योंकि मिलेट पोषक तत्वों और फाइबर से युक्त पारंपरिक अनाज है।

 
कितना पोषक है मिलेट
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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।