साजिशों की मजारें

बद्रीनाथ वर्मा    13-Apr-2023   
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महज कुछ सालों के भीतर ही हिंदुओं के चार पवित्र धामों में से एक द्वारिका की डेमोग्राफी बदलने के साथ ही कुकुरमुत्तों की तरह मजारें व मस्जिदें उग आईं। हद तो यह कि दिसंबर 2021 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बेट द्वारिका के दो आइलैंड पर अपना दावा जताया था। इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि कृष्ण नगरी पर वक्फ बोर्ड कैसे दावा कर सकता है। इसी के बाद हिंदू संगठनों व गुजरात सरकार के कान खड़े हुए। नतीजतन, धार्मिक व सामरिक महत्व के इन स्थानों को अवैध कब्जों से मुक्त कराया जा रहा है।


साजिशों की मजारें

 

देवभूमि द्वारिका भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के नाम से पूरी दुनिया में जानी जाती है। द्वारिका हिंदुओं के चार पवित्र धामों में से एक है। यहां भगवान कृष्ण की लगभग 5,000 साल पुरानी एक प्राचीन मूर्ति है। लेकिन उसी द्वारिका में अवैध मजारों और दरगाहों का कब्जा हो गया था, जिसे गुजरात सरकार ने बुलडोजर चला कर अब लगभग साफ कर दिया है। कार्रवाई में किसी तरह के विरोध आदि को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल की मदद ली गई। इनमें गुजरात पुलिस, स्टेट रिजर्व पुलिस और सेंट्रल पैरा-मिलिट्री फोर्सेज के जवान शामिल थे। राजकोट के रेंज आईजी अशोक कुमार यादव व जिला पुलिस अधीक्षक नितेश पांडेय के नेतृत्व में पालिका की टीम ने इस ध्वस्तीकरण अभियान को पूरा किया ।
द्वारिकाधीश मुख्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध बेट-द्वारिका और इसके आस-पास कुल 42 टापू हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कई ऐसे टापुओं पर भी अवैध निर्माण हो गए जहां कोई रहता ही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीने से प्रशासन ने देवभूमि द्वारिका में अवैध कब्जा हटाने को लेकर अभियान चला रखा है। द्वारिका के राजस्व विभाग की ओर से दिए गए अल्टीमेटम के बाद 11 मार्च को दोपहर से पहले दिन की कार्रवाई शुरू की गई थी। पहले ही दिन 102 कब्जा किए गए स्थलों को ध्वस्त किया गया। प्रशासन ने अब तक 5 लाख वर्गफीट से अधिक जमीन खाली करायी है जिसकी कीमत करोड़ों रुपये है। राजस्व विभाग द्वारा एक महीने पहले ही अल्टीमेटम दे दिया गया था। इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। कार्रवाई से पहले ही सैकड़ों लोग अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर यहां से चले गए थे। इस वजह से अतिक्रमण हटाने के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। हालांकि, यह कार्रवाई इतनी आसानी से नहीं हुई। इसके लिए इस इलाके में रहने वाले लोगों ने जोरदार आवाज उठाई तब कहीं जाकर प्रशासन की नींद टूटी।

इस इलाके में करीब 10 हजार की आबादी रहती है। इसमें ज्यादातर मुस्लिमों की आबादी है। हिंदू परिवारों की बात करें तो उनकी तादाद केवल एक से डेढ़ हजार ही है। इसीलिए काफी समय तक इस अवैध कब्जे को लेकर ये लोग आवाज भी नहीं उठा पा रहे थे। हालांकि, ध्वस्तीकरण के बाद भी इलाके के हिंदू परिवार डर के साये में जी रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। करीब 5 महीने पूर्व भी बड़ी कार्रवाई कर बेट द्वारिका में हजारों वर्गफीट जमीन से अवैध कब्जा हटाया गया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां करीब साढ़े 9 लाख वर्ग फीट भूमि पर अवैध रूप से मस्जिदें, मजारें तथा आवासीय व व्यावसायिक भवनों का निर्माण किया गया था। अक्टूबर 2022 के पहले हफ्ते में यहां का सन्नाटा जेसीबी के शोर से टूटा। इस दौरान 100 से ज्यादा अतिक्रमण हटाए गए। इनमें कई मस्जिद और मजारें भी थीं। कब्जा की गई इस जमीन की कीमत साढ़े 6 करोड़ रुपए से अधिक थी। भाजपा विधायक बब्बु भाई माणिक ने मजार और मस्जिद तोड़े जाने को सही ठहराया और कहा कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में थी।

राजस्व विभाग द्वारा एक महीने पहले ही अल्टीमेटम दे दिया गया था। इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। कार्रवाई से पहले ही सैकड़ों लोग अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर यहां से चले गए थे।
 उन्होंने कहा कि केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने इस इलाके में संदिग्ध गतिविधियों को लेकर कार्रवाई की है। इलाके से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। इनके पड़ोसी देशों से संबंध हैं। ऐसे में अवैध मस्जिदों व मजारों को तोड़ा जाना आवश्यक था। बेट द्वारिका में जिन लोगों के घर और दुकानों को तोड़ा गया उनमें मछली कारोबारी रमजान गनी पलानी भी शामिल है। रमजान को 2019 में कच्छ के जखाऊ तट से 500 करोड़ रुपए की 236 किलो ड्रग्स की जब्ती मामले में गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने अपनी चार्जशीट में रमजान के अलावा 6 पाकिस्तानियों का नाम भी शामिल किया था।

बेट द्वारिका को भेंट द्वारिका भी कहा जाता है। माना जाता है कि यही वो जगह है जहां श्रीकृष्ण से मिलने सुदामा आए थे। आश्चर्यजनक बात है कि कुछ ही सालों में इस इलाके में मंदिर कम होते गये और मस्जिद-मजारों की संख्या दुगनी तेजी से बढ़ती गईं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अचानक से इस इलाके में इतनी सारी मस्जिदें कैसे बन गईं। बेट द्वारिका में जंगल काटकर समुद्र के एकदम करीब कई मस्जिद-मजारें बना ली गईं। यहां कई साल से रह रहे लोगों को भी नहीं पता कि इन्हें किसने और कब बनाया। भाजपा विधायक बब्बू भाई के मुताबिक यहां से कराची की दूरी बेहद कम है। आधुनिक बोट के माध्यम से समुद्री रास्ते से दो से तीन घंटे में पाकिस्तान पहुंचा जा सकता है। बेट द्वारिका में रहने वाली कई लड़कियों की शादी पाकिस्तान में हुई है और पाकिस्तान की कई लड़कियां शादी करके यहां बसी हैं। इस आड़ में कई तरह के देश विरोधी चीजें हो रही थीं, जिसकी वजह से यह ध्वस्तीकरण जरूरी था।

दावा किया जा रहा है कि 2005 में ली गई सैटेलाइट इमेज के मुताबिक यहां केवल 6 मस्जिदें थीं। अब यह आंकड़ा 78 हो चुका है। इसमें मस्जिद, मजार और दरगाह शामिल हैं। ज्यादातर अवैध हैं और सरकारी जमीन पर बनी हैं। 1945 में यहां शासन कर रहे गायकवाड़ वंश ने सभी को जगह दिया था। 1960 की जनगणना के मुताबिक, यहां मुस्लिम वोटर 600 और हिंदू 2,786 थे। समय के हिसाब से हिंदुओं की आबादी 6000 और मुस्लिमों की 1200 होनी चाहिए थी, लेकिन हिंदू घटकर 960 रह गए और मुस्लिमों की संख्या 9,500 पर पहुंच गई। हद तो तब हो गई जब दिसंबर 2021 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बेट द्वारिका के दो आइलैंड पर अपना दावा जताया था। इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि कृष्ण नगरी पर वक्फ बोर्ड कैसे दावा कर सकता है। इसी के बाद हिंदू संगठनों व गुजरात सरकार के कान खड़े हुए।

बेट द्वारिका को भेंट द्वारिका भी कहा जाता है। माना जाता है कि यही वो जगह है जहां श्रीकृष्ण से मिलने सुदामा आए थे। आश्चर्यजनक बात है कि कुछ ही सालों में इस इलाके में मंदिर कम होते गये और मस्जिद-मजारों की संख्या दुगनी तेजी से बढ़ती गईं।
कृष्ण की कर्मभूमि में अवैध मस्जिदों व मजारों को ध्वस्त किये जाने की कार्रवाई का समर्थन करते हुए विश्व हिंदू परिषद ने एक ट्वीट कर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की पीठ थपथपाई। विश्व हिंदू परिषद ने ट्वीट में लिखा शाबाश सरकार। एक बार में इतना ज्यादा डिमोलिशन तो यूपी में भी नहीं हुआ होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनावों के दौरान बुलडोजर बाबा कहा गया था। उसी तर्ज पर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को गुजरात विधानसभा चुनावों में बुलडोजर दादा का नाम दिया गया था। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को दादा कहा जाता है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के अवैध निर्माण ध्वस्त करने के सख्त और अडिग फैसले की तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की थी और कहा था कि हमारे भूपेंद्र भाई मृदु और मक्कम (अडिग) हैं।

द्वारिकाधीश मुख्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध बेट-द्वारिका और इसके आस-पास कुल 42 टापू हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कई ऐसे टापुओं पर भी अवैध निर्माण हो गए जहां कोई रहता ही नहीं है। गुजरात की मुख्य भूमि से वहां जाने के लिए नाव का इस्तेमाल करना पड़ता है। कोस्टल सिक्योरिटी एजेंसियों के लिए धार्मिक स्थान के नाम पर बनी ऐसी इमारतें सिर दर्द बन गई थीं। मजार या दरगाह के नाम पर अवैध काम किए जा रहे थे। कोई भी हैरान हो सकता है कि गुजरात के मेनलैंड से इतनी दूर टापुओं पर बिल्डिंग बनाने का मैटेरियल कैसे पहुंचा। प्रश्न है कि करोड़ों कृष्ण भक्तों के इस पूजनीय स्थान पर इतने दरगाह और मजार कैसे बन गए जबकि अपने धार्मिक महत्व के अलावा, बेट द्वारिका का रणनीतिक महत्व भी है क्योंकि यह अरब सागर में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के काफी पास है।

बहरहाल, कृष्ण की नगरी बेट द्वारिका की डेमोग्राफी बिल्कुल बदल चुकी है। हिंदू परिवार धीरे-धीरे करके यहां से जाते रहे हैं जबकि मुस्लिम आबादी बहुत तेजी से बढ़ती रही है। बेट द्वारिका न सिर्फ हिंदू तीर्थ स्थल के लिहाज से बल्कि सुरक्षा के हिसाब से भी बहुत संवेदनशील है। पाकिस्तान की तटरेखा यहां से काफी नजदीक है। ड्रग तस्करों और माफिया को यह इलाका सूट करता है क्योंकि बेट द्वारिका के आस-पास के बहुत से टापू वीरान रहते हैं। यह अच्छी बात है कि प्रशासन अब ऐक्शन में आया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब यहां अवैध कब्जे हो रहे थे। जानबूझ कर अवैध तरीके से दरगाह और मजारें बनाई जा रही थीं। तब किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया?

धार्मिक के साथ सामरिक महत्व

बेट द्वारिका में रहने वाले ज्यादातर लोग मछली पकड़ने का धंधा करते हैं। पहले हिंदू बाहुल्य रहे इस द्वीप की डेमोग्राफी पूरी तरह से चेंज हो चुकी है। पिछले कुछ सालों से अवैध कारोबार से जुड़े कई लोगों ने इन टापुओं पर डेरा जमाना शुरू कर दिया था। वे अपने अवैध इमारतों को वे मजार या दरगाह का नाम दे देते थे ताकि धार्मिक इमारत होने के चलते उनका अवैध निर्माण बचा रहे और उनका गैरकानूनी धंधा चलता रहे। बेट द्वारिका और कई अन्य छोटे द्वीप ओखा नगरपालिका के वार्ड नंबर 5 के अंतर्गत आते हैं। पिछले कुछ सालों में बकायदा प्लान बनाकर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण किए गए। सरकारी जमीन, खासतौर पर बंजर जमीन और वन भूमि के साथ-साथ हिंदू मंदिरों के आस-पास के इलाके भी अवैध कब्जा करने वालों के निशाने पर थे। अधिकांश अवैध निर्माणों को दरगाह और मजार का नाम दिया गया था। कब्जा की गई जमीन पर सी-फेसिंग रिहाइशी इमारतें खड़ी कर दी गई थीं।

बेट द्वारिका भारत और पाकिस्तान की समुद्री सीमा से महज 58 समुद्री मील दूर है। हाल के दिनों में कोस्ट गार्ड्स ने पाकिस्तान के कई तस्करों को भारत की समुद्री सीमा में पकड़ा है। साथ ही ड्रग्स की खेप भी पकड़ी गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों को खबर मिली थी कि खाली टापुओं पर बनी ये धार्मिक इमारतें असल में तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हो रही थीं। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में मुंबई में हमले में शामिल कसाब व उसके साथी कराची से मुंबई, समंदर के रास्ते पहुंचे थे। कराची से मुंबई की समुद्री दूरी 476 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 883 किमी है। इतनी दूरी कसाब और उसकी आतंकी टीम ने बोट के जरिए पूरी कर देश को एक ऐसा जख्म दिया था जो हम आज तक नहीं भूले हैं। मूंबई से कराची की दूरी की तुलना मे बेट द्वारिका और कराची के बीच की समुद्री दूरी 185 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 342 किमी है।

देखा जाए ये दूरी मुंबई के मुकाबले काफी कम है। इसीलिए सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि हिंदू धार्मिक स्थल बेट द्वारिका मजारें व दरगाह पाकिस्तान के आतंकियों के पनाहगाह साबित हो सकते हैं। डर ये भी है कि मौका पाकर ये लोग भारत के विभिन्न इलाकों में आतंकी हमला भी कर सकते हैं। बेट द्वारिका की आबादी अभी 10 हजार के आस-पास है, जिसमें हिंदुओं की संख्या 1,000 से 1,500 के बीच है और मुसलमान बहुसंख्यक हैं। पहले बेट द्वारिका में गिनती के लोग रहते थे क्योंकि समुद्र होने के चलते यहां पीने के पानी की दिकक्त थी और रोजगार के साधन भी नहीं थे। धीरे-धीरे मछुआरों ने यहां रहना शुरू किया, लेकिन मुसलमानों की बढ़ती आबादी के चलते बहुत से हिंदू बेट द्वारिका छोड़कर चले गए। बेट द्वारिका मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार हर साल 5-10 हिंदू परिवार अवैध कब्जे से परेशान होकर बेट द्वारिका छोड़कर चले जाते हैं। सरकार के ध्वस्तीकरण अभियान से बेट द्वारिका मंदिर के पुजारी बेहद खुश हैं।



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विजय कुमार राय

विजय कुमार राय (वरिष्‍ठ संवाददाता)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 से दूरदर्शन के ‘डीडी न्यूज’ से जुड़कर छोटी-बड़ी खबरों से लोगों को रू-ब-रू कराया। उसके बाद कुछ सालों तक ‘कोबरापोस्ट’ से जुड़कर कई बड़े स्टिंग ऑपरेशन के साक्षी बने। वर्तमान में ये हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ के वरिष्‍ठ संवाददाता हैं। इन दिनों देश की सभ्यता-संस्कृति और कला के अलावा समसामयिक मुद्दों पर इनकी लेखनी चलती रहती है।