विरासत और विकास का संगम

युगवार्ता    05-May-2023   
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चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है। यह धार्मिक यात्रा भारत की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुए है। साथ ही प्रत्येक साल यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड के विकास में अपना अहम योगदान करते हैं।
Badrinath 2023
इक्कीसवीं सदी में विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं। पहला अपनी विरासत पर गर्व और दूसरा विकास के लिए हर संभव प्रयास करना। उत्तराखंड इन दोनों ही स्तंभों को मजबूत कर रहा है। ये दशक उत्तराखंड का दशक होगा। पिछले साल चारधाम का कपाट बंद होने से पहले बद्रीनाथ पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात देश के प्रथम गांव माणा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कही थी। चारधाम यात्रा और यहां के पौराणिक मंदिर देश की विरासत हैं। इस पर पूरा देश गर्व करता है। तभी तो आस्था के इस सागर में डुबकी लगाने प्रत्येक साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर उत्तराखंड पहुंचते हैं। इससे देश और उत्तराखंड सहित स्थानीय लोगों की आर्थिकी मजबूत होती है। इस साल 22 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। हजारों-हजार की संख्या में श्रद्धालु रोजाना यहां पहुंचने लगे हैं। प्रदेश की धामी सरकार हरेक श्रद्धालु को सुगम, सुनियोजित और सुरक्षित यात्रा करवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
छह महीनों तक चलने वाली चारधाम यात्रा में हिन्दू आस्था, परंपराएं, भारत की एकता आदि की साफ झलक देखी जा सकती है। उत्तराखंड सरकार यात्रा को सुगम, सुखद एवं सुरक्षित बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। कपाट खुलने पर सभी धामों में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम से की गई। गंगोत्री और केदारनाथ धाम स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे और वहां पूजा-अर्चना की। साथ ही उन्होंने केदारनाथ एवं अन्य धामों में चल रही विकास योजनाओं की जानकारी भी ली। पिछले साल की तरह ही इस बार भी लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचने वाले हैं। अभी तक यात्रा पर आने के लिए लगभग 18 लाख श्रद्धालुओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। यह यात्रा बेशक लोक संस्कृति और आस्था को लेकर है लेकिन उत्तराखंड के आर्थिक विकास के लिए भी बेहद जरूरी है। पहले 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के कारण कई साल तक यात्रा पर प्रतिकूल असर पड़ा था। फिर कोरोना के कारण दो साल तक यात्रा लगभग बंद रही। पिछले साल से यात्रा ने जोर पकड़ा है। इसका लाभ देखने को भी मिला।
पिछले साल की यात्रा सीजन में कई रिकॉर्ड बने। साल 2022 में 45 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने चार धाम के दर्शन किये थे। इन श्रद्धालुओं में 15 लाख 36 हजार तीर्थ यात्री बाबा केदारनाथ का दर्शन करने पहुंचे थे। बद्रीनाथ धाम का कपाट बंद होने तक करीब 17 लाख श्रद्धालु यहां पिछले साल दर्शन करने पहुंचे थे। आर्थिक लाभ की दृष्टि से भी देखें तो पिछले साल चारधाम यात्रा से स्थानीय लोगों को अत्यधिक लाभ हुआ था। केवल केदारनाथ यात्रा मार्ग के स्थानीय व्यवसाइयों ने करोड़ों रुपए का कारोबार किया था। गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल यात्रा से घोड़ा-खच्चरों और डंडी-कंडी वालों ने करोड़ों रुपए की कमाई की थी। सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों को सही मानें तो केदारनाथ में सिर्फ यात्रा के टिकट (घोड़ा-खच्चरों, हेली एवं डंडी-कंडी के यात्रा भाड़े) से लगभग 190 करोड़ के आस-पास का कारोबार हुआ था। यदि हेली कंपनियों के कारोबार को स्थानीय न भी मानें तो भी केदारनाथ धाम में पिछले साल घोड़े-खच्चर व्यवसाइयों ने करीब 1 अरब 15 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड कमाई की थी।

Badrinathवहीं हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया था। सिर्फ यात्रा टिकट से सरकार को 8 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ था। पिछले साल प्रशासन ने केदारनाथ धाम के लिए 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े-खच्चर पंजीकृत किए थे। सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व राज्य सरकार को प्राप्त हुआ था। यमुनोत्री में घोड़े-खच्चरों वालों ने पिछले साल लगभग 21 करोड़ का कारोबार किया था। उस वर्ष यमुनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत थे। ये आंकडेÞ जिला पंचायत उत्तरकाशी ने जारी किये थे। चारधाम यात्रा के दौरान पिछले साल स्थानीय लोगों की कमाई ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। स्थानीय व्यवसाइयों और सरकार को उम्मीद है कि इस बार पिछले साल के सभी रिकॉर्ड टूटेंगे। इस बार चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। पहले चारों धामों में श्रद्धालुओं की संख्या भी सरकार ने निश्चित कर दिया था लेकिन साधु-संतों, पंडा-पुजारी और स्थानीय व्यवसाइयों के विरोध के बाद यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले यानी 21 अप्रैल को धामी सरकार ने निश्चित संख्या को हटा दिया। इस बार बिना पंजीकरण के कोई श्रद्धालु यात्रा नहीं कर सकेंगे। यात्रा शुरू होने से करीब दो माह पहले यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया था। यात्रा शुरू होने के दिन तक करीब 18 लाख श्रद्धालुओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। श्रद्धालुओं के उत्साह को देखें तो पंजीकरण शुरू होने के चार दिन के अन्दर ही जीएमवीएन गेस्ट हाउस में ढाई करोड़ की बुकिंग की जा चुकी थी। यह आंकड़ा लगातार तेजी से बढ़ रहा है। इस बार यात्रा और धामों में दर्शन सुगम हो सके इसके लिए सरकार ने धामों में कतार प्रबंधन के लिए भी नई व्यवस्था बनाई है। श्रद्धालु स्लॉट टोकन लेकर धामों में दर्शन कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने कंट्रोल रूम की भी स्थापना की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालु हमारे अतिथि हैं। उन्हें प्रदेश में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए हमारी सरकार दिन-रात काम कर रही है। हमने कई उच्चाधिकारियों को चारधाम यात्रा ड्यूटी पर तैनाती की है। स्वास्थ्य के लिए कई कदम उठाये हैं। हम यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को धामों का सुगम एवं सुखद दर्शन करायेंगे।
 
चारधाम यात्रा में आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं को देवदर्शन अवश्य कराए जाएंगे। यात्रा के दृष्टिगत सभी तैयारियां कर ली गई हैं। सुरक्षित और सुगम यात्रा के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री    

 धामों के कपाट खुलने के शुभ अवसर पर धामों में मौजूद श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए एसओपी जारी की गई है। स्वास्थ्य सचिव ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि 55 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के श्रद्धालु यदि किसी बीमारी शुगर, बीपी या हृदय रोग आदि से ग्रसित हैं तो उसका उल्लेख अवश्य करें। ऐसे श्रद्धालुओं की निगरानी 104 के माध्यम से की जाएगी। केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर हर किलोमीटर पर मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाई गई है। यहां पॉइंट आॅफ केयरटेकिंग डिवाइस भी रखे गए हैं। इस डिवाइस से 28 तरह के रोगों की टेस्टिंग हो सकेगी। यात्रा मार्ग पर ऐसे डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है जो हृदय संबंधी रोगों के उपचार और निदान में पारंगत हैं। पिछले साल यात्रा के शुरुआती समय में कई श्रद्धालुओं की मौत ह्ृदय गति रुकने से हो गई थी। इसलिए इस बार सरकार पहले से ही सचेत है।
केदारनाथ में सिर्फ़ यात्रा के टिकट (घोड़ा-खच्चरों, हेली एवं डंडी-कंडी के यात्रा भाड़े) से लगभग 190 करोड़ के आस-पास का कारोबार हुआ था। यदि हेली कंपनियों के कारोबार को स्थानीय न भी मानें तो भी केदारनाथ धाम में पिछले साल घोड़े-खच्चर व्यवसाइयों ने करीब 1 अरब 15 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड कमाई की थी।
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गुंजन कुमार

गुंजन कुमार (ब्‍यूरो प्रमुख)
प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव। 'दैनिक हिंदुस्तान' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर 'हरिभूमि' में कुछ समय तक दिल्ली की रिपोर्टिंग की। इसके बाद साप्ताहिक 'दि संडे पोस्ट' में एक दशक से ज्यादा समय तक घुमंतू संवाददाता के रुप में काम किया। कई रिपोर्टों पर सम्मानित हुए। उसके बाद पाक्षिक पत्रिका 'यथावत' से जुड़े। वर्तमान में ‘युगवार्ता’ पत्रिका में बतौर ब्‍यूरो प्रमुख कार्यरत हैं।