प्रथम गांव माणा

युगवार्ता    05-May-2023   
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जहां से सरस्वती नदी निकलती हो। जिस गांव में महर्षि वेद व्यास ने वेदों की रचना की हो। भगवान गणेश ने जहां महाभारत को लिपिबद्ध किया हो, वह माणा गांव देश का अंतिम गांव कैसे हो सकता है।
Mana Villege
जहां से सरस्वती नदी निकलती हो। जिस गांव में महर्षि वेद व्यास ने वेदों की रचना की हो। भगवान गणेश ने जहां महाभारत को लिपिबद्ध किया हो, वह माणा गांव देश का अंतिम गांव कैसे हो सकता है। लेकिन पूर्व के नीति-निर्माताओं ने माणा गांव के साथ ऐसा ही किया। आज तक माणा गांव को ‘भारत का अंतिम गांव’ के रूप में जाना जाता था। अंतिम गांव मानकर इसे नजरंदाज किया जाता रहा। इसकी उपेक्षा होती रही, लेकिन अब नहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ‘देश का प्रथम गांव’ बना दिया है। यहां से अब नये कार्य शुरू होंगे। समृद्धि प्रारंभ होगी।
Mana Villege.माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जनपद में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह बद्रीनाथ धाम से महज तीन किलोमीटर दूर है। माणा गांव से करीब 22 किलोमीटर आगे तिब्बत से लगी हिन्दुस्तान की सीमा शुरू होती है। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 अक्टूबर को केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम गए थे, तब माणा गांव में सरस मेला लगा हुआ था। प्रधानमंत्री बद्रीनाथ धाम में पूजा अर्चना के बाद सरस मेला भी घुमने गए। वहां उन्होंने एक जनसभा में मुख्यमंत्री धामी के माणा को भारत का अंतिम गांव की बजाय पहला गांव की बात पर मोहर लगा दी । वहां मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘माणा देश का प्रथम गांव है और हर सीमावर्ती गांव पहला गांव होना चाहिए।’ इस पर सहमति जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, 'जिन क्षेत्रों और गांवों को पहले देश की अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हम वहां से देश की समृद्धि की शुरूआत मानने लगे।'
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने गांव के बाहर लगे साइन बोर्ड को अब बदल दिया है। बद्रीनाथ धाम आने वाले अधिकांश श्रद्धालु माणा गांव घूमने जाते हैं। अब इनका नजरिया भी माणा गांव और यहां के निवासियों के प्रति बदलेगी। पहले इन्हें देश की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के रूप में देख जाता था लेकिन अब इन्हें प्रथम निवासी के रूप में देखा जायेगा। कहा भी जाता है कि नजर और नजरिया बदलने से बहुत कुछ बदल जाता है। माणा गांव के पूर्व प्रधान पीतांबर मौल्फा इस पर कहते है, ‘प्रधानमंत्री की यह सोच बहुत अच्छी है। पूरा गांव अब महसूस करने लगा है कि हम अंतिम नहीं बल्कि देश के प्रथम व्यक्ति हैं।’
Bheem pul गांव में अधिकांश आबादी भोटिया जनजाति की है। गांव में 1214 लोग रहते हैं। सर्दियों में पूरा क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है। इसलिए ग्रामीण 6 माह माणा और 6 महीने निचले इलाकों में रहते हैं। केंद्र सरकार की ओर से यहां वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत सीमा से लगे गांवों का विकास, ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देना, पर्यटन का विकास आदि किया जा रहा है। यह कार्यक्रम उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख समेत उत्तरी सीमा से लगे 19 जिलों के 2967 गांवों में चलाया जा रहा है।
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गुंजन कुमार

गुंजन कुमार (ब्‍यूरो प्रमुख)
प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव। 'दैनिक हिंदुस्तान' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर 'हरिभूमि' में कुछ समय तक दिल्ली की रिपोर्टिंग की। इसके बाद साप्ताहिक 'दि संडे पोस्ट' में एक दशक से ज्यादा समय तक घुमंतू संवाददाता के रुप में काम किया। कई रिपोर्टों पर सम्मानित हुए। उसके बाद पाक्षिक पत्रिका 'यथावत' से जुड़े। वर्तमान में ‘युगवार्ता’ पत्रिका में बतौर ब्‍यूरो प्रमुख कार्यरत हैं।