समन्वय और शांति का बौद्ध मार्ग

युगवार्ता    05-May-2023   
Total Views |
संस्कृति मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से बीते 20-21 अप्रैल को दिल्ली के अशोक होटल में आयोजित दो दिवसीय प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वर्तमान परिदृश्य में मानवता के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करना और बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में उनका समाधान खोजना रहा। इस शिखर सम्मेलन में अलग-अलग विषयों पर चर्चा, संवाद, परिसंघों के प्रमुखों का मार्गदर्शन और भविष्य की दिशा एवं योजना पर बातचीत हुई।
 
pm modi
बुद्ध के मार्ग पर चलने से संघर्ष के स्थान पर समन्वय और अशांति के स्थान पर शांति प्राप्त होती है। अगर दुनिया पहले से ही भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलती तो जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते 20 अप्रैल 2023 को राजधानी दिल्ली स्थित अशोक होटल में दो दिवसीय प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कही। इस दौरान दुनियाभर से आए बौद्ध धर्मावलंबियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हमने भगवान बुद्ध के मूल्यों का निरंतर प्रसार किया है। भारत विश्व के हर मानव के दुख को अपना दुख समझता है।
पीएम मोदी ने सम्मेलन के दौरान दुनिया के सामने खड़ी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उसके समाधान के लिए बौद्ध दर्शन को प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि विश्व को सुखी बनाने के लिए ‘स्व’ से ऊपर उठकर काम करना होगा। समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा है। बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़कर एक बोध हैं। बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं। बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं। बुद्ध की चेतना चिरंतर और निरंतर है। गौतम बुद्ध की महान शिक्षाओं ने सदियों से अनगिनत लोगों को प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भगवान बुद्ध के मूल्यों का लगातार प्रसार किया है। सरकार ने भारत और नेपाल में बुद्ध सर्किट में सुधार किया है। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा हो या लुम्बिनी, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति केंद्र स्थापित करने के लिए भारत समग्र रूप से काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इस अमृत काल में भारत ने कई विषयों पर नई पहल की है और इसके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत भगवान बुद्ध हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को बुद्ध दिए हैं, युद्ध नहीं। बुद्ध ने सदियों पहले युद्ध और अशांति का समाधान दिया था जिससे दुनिया आज पीड़ित है। भगवान बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा 20-21 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में मानवता के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों पर विचार करना और इसी परिप्रेक्ष्य में उसका समाधान है। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य बौद्ध विद्वानों और धर्म गुरुओं के लिए एक मंच तैयार करना है जो संघ के सदस्य नहीं हैं। इसके अतिरिक्त धर्म के मूलभूत मूल्यों को ध्यान में रखते हुए, सार्वभौमिक शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने तथा शांति, करुणा और सद्भाव के बारे में बुद्ध के संदेश पर ध्यान केंद्रित करना था।
संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस अवसर पर कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन मोदी सरकार की एक पहल है और यह दुनिया के साथ हमारे सांस्कृतिक एवं राजनयिक संबंधों को सशक्त करने में सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विचारों के अनुसार विश्व की प्रमुख चुनौतियों का समाधान बौद्ध जीवन दर्शन से हो सकता है और मुझे लगता है कि वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन इस दिशा में एक सफल प्रयास सिद्ध होगा। वहीं, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दुनिया भर से महासंघों और सर्वोच्च आचार्यों, संघ नायकों, ध्यान गुरुओं, विभिन्न बौद्ध संघों, मठ के निकायों तथा विद्वान बौद्ध भिक्षुओं के सहयोग ने हमें इस सफलता के शिखर तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन को दो अलग-अलग समानांतर सत्रों में विभाजित किया गया। बुद्ध धम्म एवं शांति, पर्यावरण संकट, स्वास्थ्य व स्थिरता, नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण, बुद्ध धम्म तीर्थयात्रा, जीवित विरासत और बुद्ध अवशेष आदि जैसे कई विविध उप-विषयों के साथ एक संघ सत्र तथा एक शैक्षणिक सत्र। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सभी सदस्यों को इसे सफल बनाने के लिए शुभकामनाएं भी दी।
रिजिजू ने यह भी कहा कि बुद्ध धम्म केवल परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास ही नहीं है। यह जीवन को जीने का एक तरीका है, जो सभी प्राणियों के प्रति करुणा पर बल देता है। उन्होंने कहा कि नश्वरता तथा परस्पर आपसी निर्भरता की शिक्षा हमें याद दिलाती है कि दुनिया में सब कुछ बदल रहा है और सब कुछ परस्पर जुड़ा हुआ है। इसी प्रसंग के साथ हमें जीना सीखना चाहिए। हमें जीवन में ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जो पृथ्वी और उसके संसाधनों के लिए टिकाऊ एवं सम्मानपूर्ण हो।
प्रथम वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में 30 देशों के 170 और भारत के 150 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों में विभिन्न बौद्ध संघों के प्रमुख, देश के कई बड़े दार्शनिक और कई विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल थे।
इस अवसर पर पांच प्रदर्शनियों के उत्सवों पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी अर्थात पंच प्रदर्शन, दो दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन के भाग के रूप में आयोजित किया गया था, जिसका विषय था ‘समकालीन चुनौतियों पर प्रतिक्रियाएं: अभ्यास के लिए दर्शन’। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की 10 साल की यात्रा गुजरात के वडनगर शहर में प्रकट होने वाली बुद्ध की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, बौद्ध तीर्थयात्री जुआनजैंग के यात्रा वृत्तांत, बौद्ध धार्मिक प्रमुख और गुरु अतीसा दीपांकर श्रीजाना के कार्य तथा अजंता पेंटिंग के डिजिटल परावर्तन को दर्शाते हैं। पद्मपाणि (अजंता एलोरा) की गुफा पेंटिंग की डिजिटल पुन:स्थापना के उदाहरण के माध्यम से सांस्कृतिक कलाकृतियों की डिजिटल रूप से पूर्वावस्था की प्रप्ति में शामिल प्रक्रिया को प्रदर्शित किया गया।
वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें
वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में इस बात पर आम सहमति रही कि सार्वभौमिक शांति के लिए बुद्ध के शांति, कल्याण, सद्भाव और करुणा के संदेश के आलोक में प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करने वाले मूलभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जाना चाहिए और निम्नलिखित बिन्दुओं के अनुसार काम किया जाना चाहिए।
उद्देश्य: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में मानव जाति को संघर्ष, दुर्भावना, लोभ, स्वार्थ और जीवन की अनिश्चितता से मुक्त होने की अत्यंत आवश्यकता है। बुद्ध धम्म के ग्रंथ, सिद्धांत और दर्शन अंतर-विश्वास संवाद, सद्भाव और सार्वभौमिक शांति के लिए सर्वोत्तम मार्गदर्शक हैं।
शांति: मानव सुख और कल्याण की नींव शांति है। यह संघर्ष और हिंसा शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। सभी देशों, संगठनों और व्यक्तियों से संघर्ष, हिंसा और युद्ध से मुक्त दुनिया बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया गया।
पर्यावरण की स्थिरता: पर्यावरणीय गिरावट आज मानवता के सामने सबसे अधिक दबाव वाली चुनौतियों में से एक है। पर्यावरण की रक्षा और सतत विकास को प्रोत्साहन देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सरकारों और व्यक्तियों से कार्बन उत्सर्जन कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने और भावी पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया गया।
भलाई: सच्ची खुशी आंतरिक शांति और संतोष से प्राप्त होती है। सम्मेलन ने व्यक्तियों को सावधानी, करुणा और ज्ञान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया।
जीवित विरासत के रूप में बौद्ध तीर्थयात्रा बौद्ध तीर्थयात्रा के महत्व को एक जीवित विरासत के रूप में पहचान दिलाने के लिए आध्यात्मिक विकास, सांस्कृतिक समझ और सामाजिक सद्भाव को प्रोत्साहन देने पर जोर। सरकारों से बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों को सुरक्षित व संरक्षित करने तथा सभी पृष्ठभूमि के लोगों तक उनकी पहुंच को प्रोत्साहन देने का आह्वान किया गया।
अनुशंसाएं: प्रकृति के प्रति मानव दृष्टिकोण में आमूल-चूल परिवर्तन की अत्यंत आवश्यकता है। सभी संवेदनशील प्राणियों के कल्याण के लिए बुद्ध की शिक्षाओं का उपयोग करते हुए, संघ के सदस्य, बौद्ध नेता, विद्वान, अनुयायी और संस्थान इस बहुआयामी संकट को दूर करने में महत्वपूर्ण और प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। वार्षिक वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन की निरंतरता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Tags

विजय कुमार राय

VIJAY KUMAR RAI (Senior Reporter@VijayKumarRai13
 
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 से दूरदर्शन के ‘डीडी न्यूज’ से जुड़कर छोटी-बड़ी खबरों से लोगों को रू-ब-रू कराया। उसके बाद कुछ सालों तक ‘कोबरापोस्ट’ से जुड़कर कई बड़े स्टिंग ऑपरेशन के साक्षी बने। वर्तमान में ये हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ के वरिष्‍ठ संवाददाता हैं। इन दिनों देश की सभ्यता-संस्कृति और कला के अलावा समसामयिक मुद्दों पर इनकी लेखनी चलती रहती है।