योग: कर्मसु कौशलम्

युगवार्ता    21-Jun-2023   
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Yoga Modi 
9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत के साथ वन वर्ल्ड, वन हेल्थ रखी गई है। इस साल योग दिवस की अगुआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कर रहे हैं जबकि देश में योग का मुख्य कार्यक्रम इस बार संस्कारधानी जबलपुर में संपन्न होगा। गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योग: कर्मसु कौशलम’ अर्थात कर्म की कुशलता ही योग है। जाहिर है भारत के साथ-साथ अब पूरी दुनिया योग की ताकत को मान रही है। योग न सिर्फ शारीरिक, बल्कि हमें मानसिक मजबूती भी देता है।
सनातन संस्कृति में पूरी दुनिया को कुटुंब कहा गया है। वसुधैव कुटुंबकम की इसी भावना के अनुरूप इस साल 21 जून को मनाये जाने वाले 9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत के साथ वन वर्ल्ड, वन हेल्थ रखी गई है। इस साल योग दिवस की इस थीम को केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा चुना गया है, जिसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में दी थी। उल्लेखनीय है कि भारत के साथ-साथ अब पूरी दुनिया योग की ताकत को मान रही है। योग न सिर्फ शारीरिक, बल्कि हमें मानसिक मजबूती भी देता है। योग, ध्यान, बहस और विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक प्रदर्शनों पर आधारित इस साल के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की अगुआई न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं। ये अपने आप में हमारे देश के लिए गर्व की बात है। भारत में योग का मुख्य कार्यक्रम इस बार संस्कारधानी जबलपुर में संपन्न होगा।

Yoga Box
चीन के वुहान से निकलकर पूरे विश्व में मौत का कहर बनकर टूटने वाले कोरोना की राह का अगर सबसे बड़ा बाधक कोई बना तो वह था योग। योग ने न केवल आम आदमी को संबल प्रदान किया बल्कि कोरोना वॉरियर्स को भी लड़ने का सामर्थ्य प्रदान किया। कुल मिलाकर कोरोना काल में योग ने अपनी महत्ता पुरजोर तरीके से साबित किया है। अगर यह कहें कि हर किसी को लील लेने को आतुर कोरोना की आहुति योग की अग्नि ने ले ली तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि महाविनाशक कोरोना काल में जब हर कहीं हताशा और निराशा का काला साया नजर आ रहा था ऐसे में योग ने कोरोना से दो दो हाथ किया। कोरोना जब हर दवा, हर इंजेक्शन पर भारी पड़ रहा था तब योग ने उसकी ताकत को क्षीण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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योग प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत साल 2014 में पीएम मोदी की पहल से हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा में की गई पहल के मद्देनजर 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को पूर्ण बहुमत से पारित किया था। कुल 193 सदस्य देशों में से 177 सदस्य देशों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद पूरी दुनिया में 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था। बाबा रामदेव ने जहां योग को देश भर में नई पहचान दिलाने का काम किया वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को पूरे विश्व में पहुंचा दिया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस महज एक औपचारिकता बनकर न रह जाए। इसके लिए प्रधानमंत्री हर बार कुछ नया करने का प्रयास करते रहते हैं। न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ में आयोजित योग कार्यक्रम इसी की अगली कड़ी है।
बहरहाल, पूरे विश्व में मौत का तांडव मचाने वाले चीनी वायरस कोरोना को अगर कहीं शिकस्त मिली है तो वह भारत है। इसके पीछे सबसे मजबूत वजह बना योग। इस सत्य को आज पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है। योग जीवन का वह दर्शन है, जो मनुष्य को उसकी आत्मा से जोड़ता है। खासकर निरोगी काया के लिए योग जरूरी है। जब पूरी दुनिया को कोरोना जैसे दानव ने अपनी चपेट में ले लिया था उस समय योग की ताकत से ही उसे परास्त किया जा सका। सबसे अच्छी बात तो यह कि सारी मानवता को दिया गया भारत का यह अमूल्य तोहफा योग किसी से कोई भेदभाव नहीं करता है। यह जाति, रंग, लिंग, विश्वास और राष्ट्र से परे है। कोई भी योग को अपना सकता है। यही कारण है कि योग को आज सारी दुनिया आत्मसात कर रही है। वह दिन दूर नहीं जब योग को अपनाकर पूरी दुनिया स्वस्थ और खुशहाल बनेगी। योग का अर्थ ही है- समत्वम योग उच्यते। अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है। गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योग: कर्मसु कौशलम’ अर्थात कर्म की कुशलता ही योग है।
सेहत और कमाई दोनों एक साथ
योग से संबंधित कोर्स करने के बाद योग टीचर और थेरपिस्ट के रूप में अच्छी कमाई के अवसर हैं। इसके अलावा, तमाम अस्पतालों में भी नौकरी मिल सकती है। अगर कोई डिग्री लेकर आगे की पढ़ाई जारी नहीं रखना चाहता तो भी योगा इंस्ट्रक्टर बन सकता है। योग में रिसर्च भी किया जा सकता है। पीजी डिप्लोमा कोर्स करने के लिए आमतौर पर योग्यता किसी भी फील्ड में कम-से-कम 50 फीसदी अंकों के साथ स्नातक है। योग में डिग्री कोर्स भी उपलब्ध है। बीएससी इन योगा साइंस के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी का होना जरूरी है। इसके अलावा जो लोग सिर्फ योग सीखना चाहते हैं, उनके लिए 2-3 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स भी हैं। बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि के अलावा कई सारे संस्थान हैं जो योग से संबंधित डिप्लोमा व डिग्री कोर्स कराते हैं। यहां कुछ इंस्टीट्यूट के नाम दिये गये हैं।
अब तक की थीम
2023 : वन वर्ल्ड, वन हेल्थ
9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत के साथ वन वर्ल्ड, वन हेल्थ रखा गया है। इस साल योग दिवस की इस थीम को केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा चुना गया है, जिसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में दी थी।
2022: मानवता के लिए योग
आठवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम 'मानवता के लिए योग' रखा गया था। इस थीम को बहुत विचार-विमर्श के बाद चुना गया था जो यह भलीभांति दर्शाता है कि कैसे कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान योग ने पीड़ा को कम करने में मानवता की सेवा की।
2021: तंदुरुस्ती के लिए योग
कोरोना के चलते इस बार भी पिछली बार की ही तरह कोई सार्वजनिक योग कार्यक्रम नहीं हुआ। लोगों ने घर पर ही रहकर वर्चुअली योग कार्यक्रम में भाग लिया। इस साल का थीम 'तंदुरुस्ती के लिए योग' शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के लिए योगाभ्यास पर केंद्रित रहा।
2020 : सेहत के लिए योग, घर पर योग
महामारी कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए साल 2020 के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया गया था। इसकी थीम रखी गई थी योगा फॉर हेल्थ, योगा एट होम।
2019: योगा फॉर क्लाइमेट एक्शन
साल 2019 में पांचवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पीएम मोदी रांची पहुंचे थे। इस वर्ष की थीम योगा फॉर क्लाइमेट एक्शन थी।
2018: शांति के लिए योग
चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में सऊदी अरब भी शामिल हुआ था। साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित किया गया था। पीएम मोदी के साथ इस कार्यक्रम में करीब 50 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम शांति के लिए योग थी।
2017: स्वास्थ्य के लिए योग
तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मुख्य आयोजन साल 2017 में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में किया गया था। इस बार यह आयोजन और व्यापक था। पीएम मोदी के नेतृत्व में 55 हजार लोग इस आयोजन में शामिल हुए थे। तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम स्वास्थ्य के लिए योग थी।
2016 : योग से युवाओं को जोड़ें
भारत में दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में करीब 35 हजार लोग शामिल हुए थे जिसका आयोजन चंडीगढ़ में हुआ था। इस आयोजन का नेतृत्व भी पीएम मोदी ने ही किया था। इस कार्यक्रम में 170 देशों ने हिस्सा लिया जिसकी थीम युवाओं को जोड़ें था।
2015 : सद्भाव और शांति के लिए योग
संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था। पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। इस खास आयोजन ने अपना नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया था। पहला रिकॉर्ड यह बना कि 35,985 लोगों ने एक साथ योग किया। इसके अलावा दूसरा यह कि 84 देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लिया गया था। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम सद्भाव और शांति के लिए योग थी।
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बद्रीनाथ वर्मा

बद्रीनाथ वर्मा (सहायक संपादक)
देश-समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर बेबाक लेखन करने वाले बद्रीनाथ वर्मा ने अपनी पत्रकारिता की यात्रा ऐतिहासिक अखबार ‘दैनिक भारतमित्र‘ से शुरू की। अपने दो दशक से भी अधिक के कार्यकाल में वे कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं। इन दिनों ‘युगवार्ता‘ पत्रिका में सहायक संपादक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं।