‘जोगीरा सारा रा रा’ मनोरंजन करने में कामयाब

युगवार्ता    22-Jun-2023   
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फिल्म ‘जोगीरा सारा रा रा’ की कहानी बेहद सामान्य है, परन्तु कलाकारों के अभिनय एवं हास्य रस की प्रधानता दर्शकों को अंत तक जोड़े रखने में सक्षम साबित होती है।

जो‍गीरा सारा रा रा
सामाजिक, पारिवारिक, रोमांच एवं हास्य से भरपूर फिल्म ‘जोगीरा सारा रा रा’ सिनेमाघरों में रिलीज की जा चुकी है। कुषाण नंदी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नेहा शर्मा, मिमोह चक्रवर्ती, संजय मिश्रा, जरीना वहाब और फारूक जफर आदि बतौर कलाकार काम किया है। फिल्म की कहानी जोगी से शुरू होती है। जोगी विवाह कार्यक्रम आयोजित करने का कार्य करता है। लेकिन उसके काम का तरीका बाकी लोगों से भिन्न होता है, क्योंकि उसका जुगाड़ ही उसे सबसे भिन्न बनाता है। इसी प्रकार एक शादी बरेली में जोगी द्वारा आयोजित करवाई जाती है, लेकिन उसमें डिंपल नाम की एक लड़की आती है, जो उसके जुगाड़ का गाने के माध्यम से भेद खोलने लगती है। पता करने पर यह जानकारी प्राप्त होती है कि वह खुद बिना निमंत्रण के विवाह में उपस्थित हुई है।
कुछ समय पश्चात जोगी को एक विवाह कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बुलाया जाता है। यह डिंपल के विवाह का कार्यक्रम होता है। डिंपल के माता-पिता एवं परिवार के सभी लोग इस विवाह को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं। लेकिन डिंपल इस विवाह को टालना चाहती है। इस कार्य में जोगी उसका साथ देता है। पहले जहाँ एक इवेंट मैनेजर के तौर पर जोगी के सभी जुगाड़ सफल साबित होते थे, वहीं अब डिंपल के विवाह को तोड़ने के सभी जुगाड़ विफल हो जाते हैं। इस दौरान परिस्थितियां इस कदर तब्दील होने लगती हैं कि जोगी अपने जुगाड़ में स्वयं ही फंस जाता है और डिंपल से विवाह करने के लिए उसे ही बाध्य किया जाने लगता है।
गालिब असद भोपाली द्वारा लिखी गई इस फिल्म की कहानी बेहद सामान्य है, परन्तु कलाकारों के अभिनय एवं हास्य रस की प्रधानता दर्शकों को अंत तक जोड़े रखने में सक्षम साबित होती है। जोगी के किरदार में नवाजुद्दीन सिद्दकी बेहद प्रभावशाली नजर आए हैं। फिल्म में इनकी भूमिका शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है। ये एक ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधि करते हैं जो स्वयं इवेंट मैनेजर होते हुए भी विवाह के बंधन में बंधना नहीं चाहता। इसका सबसे बड़ा कारण इनके घर में अधिक संख्या में महिलाओं का होना है, जो इनके हर कार्य की आलोचना करती हैं।
डॉन के किरदार में संजय मिश्रा दर्शकों का खूब मनोरंजन करते हैं। उनका किरदार मानवीय संवेदना एवं हास्य से परिपूर्ण है। डिंपल के रूप में नेहा शर्मा का किरदार सामान्य रहा है। इनका किरदार वास्तविकता के स्थान पर नाटकीय नजर आता है। ये एक ऐसी लड़की का अभिनय करती है, जो अपने जीवन के फैसले स्वयं लेना चाहती है और लेती भी है। लेकिन गांव के संपन्न परिवार की लड़की, जो आधुनिकता एवं स्वतन्त्रता के नाम पर गलत चुनाव कर लेती है। जिसके परिणाम स्वरूप डिंपल को परिवार के समक्ष समर्पण करना पड़ता है। फिल्म में इनकी आधुनिकता को केवल मौज-मस्ती एवं धूम्रपान से संबंधित दिखाया गया है। इनके चरित्र में क्षणभंगुरता एवं भविष्य के धुंधलेपन को दिखाया गया है।
लल्लू का किरदार बेहद रोचक रहा है। वे ऐसे लड़के का किरदार निभाते हैं, जो काम-धंधे में निपुण होने के बावजूद अपने जीवन के अहं फैसले स्वयं नहीं ले पाता। जिसका सबसे बड़ा कारण उसका जरूरत से अधिक आदर्शवादी होना है। मिमोह चक्रवर्ती, लल्लू के अभिनय में खूब जमे हैं। ये एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभर कर आए हैं जिसके जीवन के सभी फैसले उसके माता-पिता ही लेते हैं। ये जीवन में व्यापार से लेकर जीवन साथी चुनने के लिए घरवालों पर आश्रित रहते हैं। इनके स्वतन्त्र अस्तित्व का ना होना ही इनकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित होती है, जिसका लाभ अन्य लोग लेते नजर आते हैं। हालांकि फिल्म में इनके किरदार को हास्य रूप में प्रस्तुत किया है। लेकिन ये समाज के उन युवाओं का प्रतिनिधित्व करते नजर आते हैं जो आदर्शवादिता के नाम पर अस्तित्वहीनता की ओर बढ़ते जाते हैं। जिनका उन्हें आजीवन कभी एहसास नहीं हो पाता।
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संगीता झा

संगीता झा, फिल्‍म समीक्षक  
आप दिल्‍ली विश्‍वविघालय में हिंदी साहित्‍य के शोधार्थी हैं। फिल्‍म समीक्षा लेखन में आपकी विशेष रूचि है। आप पिछले तीन सालों से युगवार्ता पत्रिका के लिए नियमित लिख रही हैं।