अंजाम की ओर अब मुख्तार

युगवार्ता    26-Jun-2023   
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पूर्वांचल सहित प्रदेश की परिधि में दशकों से अपराध और दहशत का पर्याय रहे माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को अब तक करीब 5 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। साथ ही अंसारी बंधुओं अफजाल व मुख्तार को गैंगस्टर एक्ट में भी सजा मिली है। मुख्तार का विधायक बेटा अब्बास और बहू निखत पहले से जेल में हैं। छोटे बेटे उमर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है। पत्नी पर भी इनाम घोषित है। कुल मिलाकर मुख्तार अंसारी भी बड़ी तेजी से मिट्टी में मिलने की ओर अग्रसर है।

अंजाम की ओर अब मुख्तार
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त्तर प्रदेश की वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने 31 साल पहले कांग्रेस नेता अवधेश राय के मर्डर मामले में पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी को 5 जून को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उसे 1 लाख 20 हजार का जुर्माना भी देना होगा। पिछले 9 महीने में ये पांचवा केस है जिसमें मुख्तार अंसारी को सजा मिली है। इससे पहले हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गैंगस्टर एक्ट के तीन और लखनऊ के जेलर पर हमले के एक मामले में सजा सुनायी थी। इन मामलों में उसे पांच साल से लेकर दस साल तक की सजा सुनाई गई थी।
अवधेश राय हत्याकांड पहला मामला है जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा मिली है। मुख्तार को उम्र कैद की सजा से पहले 29 अप्रैल 2023 को सजा सुनाई गई थी। इसमें उसे 10 साल की जेल हुई है। मुख्तार फिलहाल बांदा जेल में बंद है। सुनवाई के दौरान वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ा था। पहले तो मुख्तार ने खुद को बेगुनाह बताया, लेकिन उसके बाद उसने अपने वकील के जरिए अपनी उम्र का हवाला देते हुए सजा को कम किये जाने की गुहार भी लगाई। हालांकि कोर्ट ने उसकी नहीं सुनी। उसे आजीवन कारावास और 1 लाख रुपए का जुर्माना की सजा सुनाई गई। जुर्माना नहीं देने पर छह महीने और जेल में बिताना होगा।
उल्लेखनीय है कि 3 अगस्त 1991 को मुख्तार अंसारी ने वाराणसी के लहुराबीर इलाके में रहने वाले कांग्रेस नेता अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद अवधेश राय के भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने वाराणसी के चेतगंज थाने में क्राइम संख्या 229/ 91 के तहत मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव उर्फ राकेश न्यायिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। मुख्तार ने इस केस से खुद को बचाने के लिए कोर्ट से केस की पूरी डायरी ही गायब करवा दी थी। हत्याकांड में शामिल भीम सिंह फिलहाल गाजीपुर जेल में बंद है। आरोपी कमलेश सिंह और पूर्व विधायक अब्दुल कलाम की मौत हो चुकी है। इसके अलावा एक और आरोपी राकेश ने मामले में अपनी फाइल अलग करवा कर ली थी जिसका प्रयागराज सेशन कोर्ट में ट्रायल चल रहा है।
खात्मे के कगार पर अंसारी गैंग
मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में सनसनीखेज तरीके से हत्या कर दी गई थी। मुन्ना बजरंगी के बाद मुख्तार गैंग में संजीव जीवा दूसरा बड़ा नाम था। बीते 7 जून को कोर्ट रूम में शूटर विजय यादव ने उसे गोलियों से भून कर उसका भी किस्सा खत्म कर दिया। मुख्तार और जीवा दोनों ही जरायम की दुनिया में एक दूसरे की ‘लाइफ-लाइन’ थे। कभी जो जीवा बदमाशी की दुनिया में अपना परचम लहराने की उम्मीद में खुद चलकर, मुख्तार अंसारी की देहरी पहुंचा था। हालात बदले और वक्त पलटा तो बाद में, मुख्तार का विश्वास जीतने वाला यही संजीव जीवा, मुख्तार की जरूरत या कहिए कमजोरी बन गया। यूपी में पुलिस और गुंडों के गैंग संजीव जीवा और मुख्तार अंसारी की जोड़ी से खौफ खाने लगे थे।
5 मामलों में मिली सजा, 22 विचाराधीन
योगी राज में मुख्तार अंसारी की सारी हेकड़ी निकल चुकी है। उसे पिछले 9 महीने में 5 मामलों में सजा मिल चुकी है। इससे पहले उसके नाम का इतना खौफ था कि पुलिस क्या सीबीआई तक भी डरती थी। उदाहरण के तौर पर जब सीबीआई को विधायक कृष्णानंद राय के मर्डर की जांच का आदेश मिला तो सीबीआई ने इस जांच को करने से मना कर दिया था। सीबीआई ने एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि 'उत्तर प्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं, जांच नहीं कर पाएंगे।' जिसके कारण इस केस को ही बाहर ले जाना पड़ा। हालांकि पिछले 6 साल में सरकार की सख्ती ने मुख्तार के साम्राज्य को लगभग ढहा दिया है। मुख्तार पर दर्ज कई मुकदमे पर अब तेजी से ट्रायल पूरा हो रहा है। क्योंकि सरकार और पुलिस अब गवाहों को डरने नहीं देती। मुख्तार अंसारी पर दर्ज 61 मुकदमों में अभी 22 मुकदमे विचाराधीन हैं। मुख्तार अंसारी लगातार चार बार मऊ का विधायक रहा है। एक बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक बना, दो बार निर्दलीय और एक बार खुद की बनाई पार्टी कौमी एकता दल से विधायक बना। जनप्रतिनिधि बनने से पहले मुख्तार की छवि माफिया की बन चुकी थी। साल 1988 में पहली बार मुख्तार अंसारी का नाम हत्या के एक मामले में आया था।
हालांकि उस हत्याकांड में उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया था। लेकिन इस घटना से मुख़्तार अंसारी चर्चा में आ गया। मुख्तार गाजीपुर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के सैकड़ों करोड़ रुपए के सरकारी ठेके नियंत्रित करता था। 1990 के दशक में जमीन के कारोबार और ठेकों के कारण वह अपराध की दुनिया में एक चर्चित नाम बन चुका था।
 साल 1996 में उसने मऊ सीट से पहली बार जीतकर विधायक बना। उस दौरान पूर्वांचल के और चर्चित माफिया ब्रजेश सिंह से मुख्तार अंसारी के गुट के टकराव की खबरें भी चर्चा में रहती थी। अंसारी का मुकाबला करने के लिए ही ब्रजेश सिंह ने बीजेपी नेता कृष्णानंद राय के चुनाव अभियान का समर्थन किया। जिसके परिणाम स्वरूप राय ने साल 2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को हरा दिया था। मुख्तार के इशारे पर उसके गुर्गों ने साल 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या कर दी । उस वक्त मुख्तार अंसारी को मुख्य अभियुक्त बनाया गया। कृष्णानंद राय की हत्या के सिलसिले में ही उसे दिसंबर 2005 में जेल में डाला गया था, तब से वो बाहर नहीं आया है। उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती सहित कई दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं।
मुख्तार अंसारी और उसके भाई अफजाल ने साल 2007 में बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर लिया। उस वक्त बीएसपी प्रमुख मायावती ने मुख़्तार अंसारी को जनता के बीच गरीबों का मसीहा के रूप में पेश किया था। साल 2009 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर उसने वाराणसी में लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन वह उस चुनाव में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी से 17,211 मतों के अंतर से हार गया। 2010 तक आते-आते मुख्तार के रिश्ते बहुजन समाज पार्टी से खराब होने लगे और उसे पार्टी से निकाल दिया गया। पार्टी से निकाले जाने के बाद तीनों अंसारी भाइयों मुख्तार, अफजाल और सिबगतुल्लाह ने मिलकर साल 2010 में खुद की राजनीतिक पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया।
आपराधिक इतिहास की बानगी
फिलहाल उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का वो नाम है जिससे न सिर्फ पुलिस बल्कि सीबीआई तक डरती थी। वह 18 साल से जेल में है लेकिन जेल में रहते हुए उसपर 7 केस दर्ज हो गए। मुख्तार ने पहला मर्डर साल 1986 में किया था। 1986 से लेकर अब तक यानी पिछले 47 साल में उसपर कुल 15 मर्डर केस हैं। मुख्तार ने आखिरी बार साल 2014 में एक मजदूर की हत्या की थी।
उत्तर प्रदेश में कई दशकों तक आतंक का पर्याय रहे मुख्तार अंसारी को पहली बार किसी मामले में उम्रकैद की सजा मिली है। 60 साल के मुख्तार अंसारी के ऊपर 61 से ज्यादा केस दर्ज होने के बाद भी वह दशकों तक खुले में घूमता रहा।
योगी सरकार की नीतियों के कारण बीते 9 महीने में 4 आपराधिक मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। मुख्तार अंसारी को अब तक 6 मामलों में सजा हो चुकी है, जिसमें से पांच मामलों में सजा योगी सरकार में मिली।
सितंबर 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी को एक जेलर को धमकाने के मामले में सात साल की सजा सुनाई थी। ये मामला साल 2003 का था और मुख्तार पर जेलर पर पिस्टल तान कर मारने की धमकी देने का आरोप था।
कुछ दिन बाद ही साल 1999 के एक मामले में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार अंसारी को पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इस मामले में उसपर हत्या, लूट और अपहरण जैसे अपराधों को अंजाम देने का आरोप था।
अप्रैल 2023 में गाजीपुर की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने अपहरण और हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई थी। उस पर पांच लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। 5 जून 2023 को कांग्रेस नेता अवधेश राय के मर्डर मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
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विजय कुमार राय

विजय कुमार राय (वरिष्‍ठ संवाददाता)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 से दूरदर्शन के ‘डीडी न्यूज’ से जुड़कर छोटी-बड़ी खबरों से लोगों को रू-ब-रू कराया। उसके बाद कुछ सालों तक ‘कोबरापोस्ट’ से जुड़कर कई बड़े स्टिंग ऑपरेशन के साक्षी बने। वर्तमान में ये हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ के वरिष्‍ठ संवाददाता हैं। इन दिनों देश की सभ्यता-संस्कृति और कला के अलावा समसामयिक मुद्दों पर इनकी लेखनी चलती रहती है।