रामबाण औषधि है श्री अन्न का अंबली

युगवार्ता    06-Jun-2023   
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श्री अन्न या मिलेट अमली को किन्वित दलिया या खमीरी दलिया भी कहते हैं। श्री अन्न से बना अंबली (खमीरी दलिया) वैसे लोगों के लिए रामबाण औषधि है जिन्हें कोई पुरानी बीमारी है।
श्री अन्‍न का अंबली

श्री अन्न या मिलेट अमली को किन्वित दलिया या खमीरी दलिया भी कहते हैं। यह खमीरी दलिया सबसे अच्छा प्रोबायोटिक भोजन है। यह हमारे पेट के गट के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। श्री अन्न से बना यह खमीरी दलिया वैसे लोगों के लिए रामबाण औषधि है जिन्हें कोई पुरानी समस्या है। डॉ. खादर वली के अनुसार, ‘कितनी भी पुरानी समस्या हो अगर तीन महीने व्यक्ति श्री अन्न से बना खमीरी दलिया का सेवन करता है तो वह व्यक्ति तेजी से रिकवर करता है।’ इसलिए डॉ. खादर वली की सलाह है कि जो भी व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है उसे श्री अन्न का सेवन करना चाहिए। हर बीमारी के लिए डॉ. खादर वली ने अलग-अलग आहार प्रोटोकॉल बनाया है। डॉ. खादर वली के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति श्री अन्न आहार प्रोटोकॉल का पालन करना चाहता है उसे श्री अन्न के खाना पकाने के अन्य तरीकों से पहले श्री अन्न (मिलेट) अंबली या श्री अन्न (मिलेट) गंजी का सेवन करना चाहिए। जो भी व्यक्ति श्री अन्न या मिलेट शुरू में खाते हैं उन्‍हें अंबली के रूप में ही खाना चाहिए। यह दलिया का फरमेंटेड रूप होता है। अगर आप अंबली के रूप में न भी खाएं तो गंजी के रूप में खाएं। यह अनफर्मेंटेड दलिया है। लेकिन पहले इसे अंबली के रूप में ही शुरू करें। फिर आप इसे गंजी के रूप में खाएं। फिर आप इसे चावल के रूप में पका कर खाएं। इस ऑर्डर को फॉलो करना चाहिए। लेकिन जल्‍दबाजी में लोग इसे फॉलो नहीं करते। अब प्रश्न उठता है कि श्री अन्न का अंबली या खमीरी दलिया कैसे बनाएं?

ऐसे बनाएं श्री अन्न का अंबली

किसी भी श्री अन्न को पूरी रात भिगोने (सोक करने) के बाद सुबह पका सकते हैं। इसको पकाने के लिए 15-20 मिनट का समय काफी है। इसे हमेशा मिट्टी के बरतन में ही पकाएं। कभी भी इसे कुकर में न पकाएं। पकाने के 6 से 8 घंटे के बाद यह खमीर के रूप में बदल जाता है, तब इसे खाया जा सकता है।

श्री अन्न पकाने की विधि

एक कप श्री अन्न को दो बार धोकर 4 कप पानी में 6 से 8 घंटे के लिए भिगो दें। या एक कप श्री अन्न को मिक्सी में रवा की तरह दरदरा पीस लें और दो बार धोकर 4 कप पानी में 6 घंटे के लिए भिगो दें। श्री अन्न को अगली सुबह पकाने के लिए रात में भिगो दें और सुबह भिगोकर शाम में पकाएं। पहले से भीगे हुए श्री अन्न को धीमी आंच पर मिट्टी के बर्तन में पकाएं। श्री अन्न पकाने के लिए 6 कप पानी को मिट्टी के बर्तन में गैस चूल्हा पर रखें। जब पानी गर्म हो जाए तो उसमें धीरे-धीरे 6 घंटे भीगे हुए श्री अन्न को पानी सहित डालें। 15 से 20 मिनट में यह श्री अन्न का दलिया पककर तैयार हो जाएगा। दलिया पक जाने के बाद उसे ठंडा होने दें। उसके बाद एक सूती या खादी के कपड़े से उसे ढक दें। श्री अन्न के इस दलिया को अंबली के रूप में 6 से 8 घंटे के बाद खाया जा सकता है। इस तरह जो श्री अन्न हमने सुबह पकाया उसे दोपहर या शाम को खाया जा सकता है और जो मिलेट हमने शाम को पकाया उसे अगली सुबह खाया जा सकता है।

“कितनी भी पुरानी समस्या हो अगर तीन महीने व्यक्ति श्री अन्न से बना खमीरी दलिया का सेवन करता है तो वह व्यक्ति तेजी से रिकवर करता है। - डॉ. खादर वली
 
श्री अन्न के अंबली को कैसे खाएं

श्री अन्न के अंबली को दाल, सब्जी, सांभर, कढ़ी, रसम, छांछ इत्यादि के साथ खाया जा सकता है। लेकिन इसमें कभी भी गर्म दाल, सांभर या रसम नहीं मिलाना चाहिए क्योंकि गर्म दाल या सांभर मिलाने से अंबली में उत्पन्न लाभदायक बैक्टीरिया मर जाएंगे। इसलिए इसे गर्म अवस्था में नहीं खाना चाहिए।

महत्वपूर्ण सावधानी

1. श्री अन्न को हमेशा मिट्टी के बर्तन में ही पकाना चाहिए।
2. सभी श्री अन्न को पकाने की विधि एक जैसी ही है।
3. श्री अन्न (मिलेट) पकने के बाद फर्मेंटेड होकर अंबली के रूप में परिवर्तित होता है। इसलिए इसे बनाते समय कभी भी सब्जियों को मिलाना नहीं चाहिए।
4. पकाते समय इसमें नमक नहीं डालना चाहिए। अंबली का सेवन करने से ठीक पहले ही उसमें नमक मिलाना चाहिए।
5. खाने से पहले इसमें हम जीरा पाउडर या धनिया पाउडर आदि मिला सकते हैं।
6. अगर आप इसे गर्म ही खाना चाहते हैं तो डबल बायलर मेथड से गर्म कर यानी एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करें और उसमें फर्मेंटेड दलिया की कटोरी रखें। इसे गुनगुने स्तर से अधिक गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे लाभकारी बैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे।
7. एक कप श्री अन्न को दस कप पानी में पकाना चाहिए।
8. श्री अन्न को पकाने के लिए ताम्रपत्र संचरित पानी का उपयोग करना चाहिए।
9. श्री अन्न को हमेशा धीमी आंच पर ही पकानी चाहिए।
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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।