'लव जिहाद' पर एक जरूरी पाठ

युगवार्ता    24-Jul-2023   
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आज जब पूरे देश में लव जिहाद की घटनाएं खबरें बन रही हैं, ऐसे में लेखिका का लव जिहाद को कथावस्‍तु बनाना स्वाभाविक है। लेखिका सोनाली मिश्रा लेखक के साथ-साथ एक पत्रकार भी हैं, इसलिए विभिन्‍न खबरों के सहारे ही उन्‍होंने अपनी इस उपन्‍यास की कहानी रची हैं। लव जिहाद को केंद्र में रखते हुए लेखिका ने 'नेहा की लव स्‍टोरी' की कहानी कही है।

नेहा की लव स्‍टोरी  
पुस्‍तक का नाम - नेहा की लव स्‍टोरी
लेखक का नाम- सोनाली मिश्रा
प्रकाशक- रति (गरुड़ प्रकाशन प्रा. लि.)
मूल्‍य- 299 रुपये
आज जब पूरे देश में लव जिहाद की घटनाएं खबरें बन रही हैं, ऐसे में लेखिका का लव जिहाद को कथावस्‍तु बनाना स्वाभाविक है। लेखिका सोनाली मिश्रा लेखक के साथ-साथ एक पत्रकार भी हैं, इसलिए विभिन्‍न खबरों के सहारे ही उन्‍होंने अपनी इस उपन्‍यास की कहानी रची हैं। लव जिहाद को केंद्र में रखते हुए लेखिका ने 'नेहा की लव स्‍टोरी' की कहानी कही है। इस पुस्‍तक में लेखिका ने उस षडयंत्र को बताने की कोशिश की है कि कैसे हमारी युवा पीढ़ी का बहुत ही सफाई से ब्रेनवॉश किया जा रहा है, कैसे हिंदुओं का अपमान किया जा रहा हैं, कैसे आजादी के नाम पर हिन्‍दू लड़कियों को आकर्षित किया जा रहा है और शादी के बाद कैसे उनके साथ अत्याचार किया जा रहा है। लव जिहाद के इन पहलुओं को सामने लाने में यह उपन्यास पूरी तरह सफल रही है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का यह कथन कि ‘साहित्‍य समाज का दर्पण है’ सोनाली मिश्र के इस उपन्यास पर पूरी तरह चरितार्थ होती है। इस तरह यह उपन्‍यास अपने देशकाल के अनुरूप दिखाई पड़ता है।
यह उपन्‍यास एक बेबस लाचार लड़की की एक खबर से शुरू होता है और एक अन्‍य खबर से कहानी समाप्‍त होती है। कहानी की नायिका टीवी की जानी-मानी पत्रकार नेहा है। टीवी पत्रकार नेहा और उसके प्रेमी अकरम के मनोभावों के इर्द-गिर्द कहानी घूमती है। मानव मन के मनोभाव और जिहादी षडयंत्र को बड़े ही बारीकी से लेखिका ने अपनी पुस्‍तक में चित्रित किया है। कैसे शहरों की लड़कियां अपने धर्म की बुराइयों और रूढ़ियों के चलते झूठी स्‍वतंत्रता और प्रेम के चक्‍कर में अपने परिवार और समाज से दूर होती चली जा रही हैं। इतना ही नहीं उन्‍हें नारकीय जीवन जीने के साथ अपना जीवन भी गंवाना पड़ता है। इस पुस्‍तक में लेखिका ने यह बात बहुत ही स्‍वाभाविक तरीके कही है। इस दुष्‍चक्र में फंसी लड़कियों को उनके माता-पिता किस तरह उनसे संबंध विच्‍छेद कर उन्‍हें उपेक्षित कर रहे हैं। इस तरफ भी लेखिका ने संकेत किया है।
कैसे हमारे तथाकथित बुद्धिजीवी समाज में सुल्‍तान जैसा शायर अपनी शायरी और अकरम जैसा कथित बुद्धिजीवी 'परिंदों' जैसी संस्‍थाओं के आयोजनों के माध्‍यम से जिहाद को विस्‍तार दे रहे हैं। लेकिन लेखिका को विश्‍वास है कि तथाकथित प्रगतिशील साहित्‍यकारों के जरिये चल रहे सुनियोजित षडयंत्रों को वह बेनकाब करेगी। इसलिए लेखिका ने अपने उपन्‍यास में 'विश्‍वास' नामक एक पात्र का सृजन किया है जिसने इस तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवी और साहित्‍यकारों के फेक नैरेटिव्‍स को एक ही झटके में नेस्‍तनाबूद कर देता है। उन्‍होंने उपन्‍यास में बताया है कि कैसे विश्‍वास के आगे 'लव जिहाद' के षडयंत्रों के 'सुल्‍तान' को अपना बोरिया-बिस्‍तर समेटकर भागना पड़ता है। यह 'विश्‍वास' लेखिका का विश्‍वास है जो उन्‍होंने अपने पाठकों के मन में बिठाने का प्रयास किया है। इस तरह लेखिका ने इस किताब में सिर्फ लव जिहाद के षडयंत्रों के बारे में बताती ही नहीं हैं, बल्कि उन षडयंत्रों से कैसे खत्‍म किया जाए यह भी बताती है। आज जब पूरे देश में लव जिहाद का घटाटोप अंधेरा छाया हुआ है, वैसी स्थिति में अपने 'विश्‍वास' के जरिये लेखिका ने समाज में एक आशा की किरण जगाई है।
किताब के प्राक्‍कथन में दिलीप कुमार कौल ने भी किताब के बारे में लिखा हैं, ‘‘नेहा की लव स्टोरी’ उस अतिक्रमण की कथा है जिसकी शिकार सिमेटिक संस्कृतियां गैर सिमेटिक संस्कृतियों को बनाती हैं। इसके लिए प्रगतिशीलता, नारीवाद, सेक्युलरिज्म जैसी विचारधाराओं को उपकरणों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं उपन्यास में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि 'लव जिहाद' को लेकर भारत के ईसाई समुदाय ने भी शोर मचाया था। कहना ना होगा कि ईसाई और इस्लामी दोनों ही संस्कृतियां हिंदू समुदाय, जिसकी भारत में युगों पुरानी परंपरा है, का अतिक्रमण करके उसका विनाश करके संसार को उसके योगदान से वंचित करने पर तुली हुई हैं। यह अतिक्रमण अनेक स्तरों पर होता है। भावनाओं और लैंगिकता के स्तर पर, साहित्य, मीडिया, धर्म, सामाजिक न्याय, भाषा, जनसांख्यिकी और संस्कृति के स्तर पर होता है जिससे कि स्थान के रूप में भारत के अर्थों को मिटाकर सिमेटिक विचारों की तथाकथित श्रेष्‍ठता को थोपा जा सके।’’
कहने की आवश्‍यकता नहीं कि यह उपन्यास लव जिहाद के षड्यंत्रों को बहुत ही बारीकी से बेनकाब करता है। इस किताब की जितनी तारीफ की जाए वह कम है। लेखक ने बहुत ही रोचक और दिलचस्‍प अंदाज में लव जिहाद की बखिया उधेड़ी है। इसके लिए लेखक निश्चित ही बधाई की पात्र हैं। यह उपन्‍यास अपनी सहज सरल भाषा में कथावस्‍तु को पाठक के सामने रोचक अंदाज में सामने रखती है। पठनीयता के लिहाज से यह उपन्‍यास बहुत ही सफल है। उपन्‍यास खबरों की तरह रोचक तरीके से लिखा गया है। इतनी अच्‍छी किताब में कुछ जगहों पर प्रूफ रीडिंग संबंधी गलतियां खटकती हैं। बहरहाल जो भी व्‍यक्ति लव जिहाद के बारे में जानना चाहता है, उसके लिए यह किताब एक जरूरी पाठ है। वैसे यह किताब सभी को, खासकर हिंदू लड़कियों को जरूर पढ़नी चाहिए। क्‍योंकि यह किताब जितनी पढ़ी जाएगी, लव जिहाद की घटनाएं उतनी कम सुनने को मिलेंगी।
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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।