लाइलाज बीमारियों के लिए रामबाण औषधि श्री अन्‍न

युगवार्ता    07-Jul-2023   
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अगर आप हृदय रोग, मधुमेह और रक्‍तचाप जैसे लाइलाज रोगों से पीड़ित हैं और अंग्रेजी दवा खा-खाकर तंग आ गए हैं तो आप श्री अन्‍न का सेवन करें। श्री अन्‍न लाइलाज बीमारियों के लिए रामबाण औषधि से कम नहीं है।

श्री अन्‍न  
हृदय रोग, मधुमेह और रक्‍तचाप जैसी बीमारियां अगर किसी व्‍यक्ति को हो जाता है तो माना जाता है कि रोगी को अब जिंदगी भर दवा खानी पड़ेगी। क्‍योंकि इन बीमारियों को लाइलाज कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि एलोपैथी ही नहीं, किसी भी पैथी में इसकी कोई दवा नहीं है। लाइलाज बीमारियों के मरीजों की जिंदगी दवा के सहारे ही चलती है। अधिकतर रोगी दवा खा-खाकर तंग आ चुके हैं। लेकिन जिंदगी जीनी है तो दवा खानी ही पड़ेगी। ऐसे लोगों के लिए श्री अन्‍न एक रामबाण औषधि है। गौरतलब है कि श्री अन्‍न में लाइलाज रोगों को दूर करने का औषधीय गुण है। श्री अन्‍न पोषक तत्‍वों से भरपूर है। इसलिए इसे 'सुपर फूड' कहा जाता है। अब आपके मन में यह प्रश्‍न उठ रहा होगा कि श्री अन्‍न क्‍या है। बताते चलें कि श्री अन्‍न हमारा परंपरागत अनाज है। इसे हम पहले उगाते थे, अब हमने इसे उगाना बंद कर दिया है। वस्‍तुत: आधुनिक होने की होड़ में हमने अपने पारंपरिक अनाज को भुला दिया है। और इसके बदले हमने चावल और गेहूं जैसे अनाज को उगाना शुरू कर दिया। जबकि यह प्रकृति का अनुपम उपहार है जो हमें प्राकृतिक रूप से हमें मिला है। यह विडंबना ही है कि हमारा पारंपरिक अनाज इतनी खूबियों और औषधीय गुणों से परिपूर्ण है, लेकिन हम इन खूबियों से अनजान हैं।
मिलेट मैन डॉ. खादर वली का कहना है कि श्री अन्‍न उन अनाजों को कहा जाता है जिसके खाने से न केवल हमारे शरीर स्वस्थ रहते हैं, बल्कि ये अनाज हमारे शरीर के रोगों और विकारों को ठीक करने में भी हमारी मदद करते हैं। श्री अन्‍न के श्रेणी में उन्होंने कांगणी (फॉक्सटेल मिलेट), सांवा (बार्नयार्ड मिलेट), कोदो (कोदो मिलेट), कुटकी (लिटिल मिलेट) और मुरात (ब्राउनटॉप मिलेट) जैसे अनाज को रखा है। बताते चलें कि इन पांचों श्री अन्‍न (मिलेट) में फाइबर की मात्रा सबसे अधिक 8 से 12 प्रतिशत तक होती है। ये अनाज औषधीय गुणों से युक्त हैं। कहा भी जाता है कि ‘फूड इज मेडिसिन’ अर्थात भोजन ही दवा है। इसलिए डॉ. खादर वली का मानना है कि यदि आपका भोजन सही है तो आपको दवा की आवश्‍यकता नहीं है। क्‍योंकि इनमें भरपूर पोषक तत्‍व हैं जो चावल और गेहूं जैसे अनाज में नहीं मिलते। श्री अन्‍न (मिलेट) का हर अनाज अलग-अलग प्रकार के रोगों को प्राकृतिक ढंग से ठीक करने का औषधीय गुण रखता है। इसके बारे में डॉ. खादर वली ने अपने शोध और निष्‍कर्षों में विस्‍तार से बताया है। आइए संक्षेप में जानते हैं- सिरिधान्‍य में मिलनेवाले पोषक तत्‍वों और उससे ठीक होने वाले रोगों के बारे में।
आधुनिक जीवन प्रणाली, भोजन पद्धतियां, और व्‍यायाम का अभाव ही हमारे शरीर के अंदर स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं का प्रमुख कारण है। आज स्थिति इतनी विकट हो गई है कि 30 वर्ष की आयु वाले व्‍यक्ति भी रक्‍तचाप से पीड़ित होने लगे हैं। हमारे सामने आज यह चिंता का विषय है। डॉ. खादर वली का मानना है कि यदि आप जीवन शैली और आहार पद्धति में बदलाव लाएंगे तो स्‍वस्‍थ रह सकते हैं। श्री अन्‍न का भोजन, काढ़े, व्‍यायाम, ध्‍यान-योग आदि को अपने जीवन का अंग बनाने से से हृदय रोग से संबंधित समस्‍याओं को दूर किया जा सकता है।
हृदय रोग- हृदय रोग से जुड़ी समस्‍याओं, चाहे रक्‍त वाहिका में अवरोध हो, हृदय की गति अधिक हो या कम हो, रक्‍तचाप आदि समस्‍याओं से पीड़ित व्‍यक्तियों मुख्‍य रूप से आधुनिक भोजन को छोड़ देना चाहिए। पिज्‍जा, बर्गर, चाय, होटल या ढाबे का खाना आदि से दूर रहना चाहिए। हमेशा अपने घर की रसोई में बने भोजन ही करना चाहिए। मुख्‍य भोजन के रूप में श्री अन्‍न को अंबली के रूप में शामिल करना चाहिए। श्री अन्‍न को हमेशा रात में भिगोएं और सुबह पकाएं। सुबह भिगोएं और दोपहर में पकाएं और रात को खाएं। हृदय रोग से संबंधित समस्‍याओं के लिए सप्‍ताह में सावां और कोदो को तीन-तीन दिन, शेष श्री अन्‍न को एक-एक दिन लेना चाहिए। नौ सप्‍ताह तक खीरा, कददू और पेठे का जूस पीना चाहिए। साथ ही धनिया, नागफनी, तुलसी, पान और हड़जोड़ में से कम से कम तीन के पत्‍तों का काढ़ा एक-एक सप्‍ताह पीना चाहिए। अगर आपके हृदय की रक्‍त वाहिकाओं में 95 प्रतिशत तक भी अवरोध है तो वह ठीक हो सकता है। इस अगर आप नियमित करते हैं तो छह सप्‍ताह में हृदय की गति और बीपी को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही सुबह या शाम के समय एक घंटा पैदल चलना या टहलने का भी काम करें। इसके अलावा ध्‍यान भी करना चाहिए। एसा अगर आप नियमित करते हैं तो आप जिंदगी भर आप स्‍वस्‍थ रहेंगे।
रक्‍तचाप (बीपी) - रक्‍तचाप (बीपी) के मरीजों को आमतौर पर उच्‍च या निम्‍न रक्‍तचाप की शिकायत रहती है। आधुनिक भोजन को छोड़ शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए। बीपी के मरीजों को पांचों श्री अन्‍न में से दो-दो दिन मुख्‍य भोजन के रूप में अंबली के रूप में लेना चाहिए। साथ ही बिल्‍व पत्र, तुलसी, धनिया, नागफनी और सर्पगंधा में से कम से कम तीन काढ़ा छह सप्‍ताह तक पीना चाहिए। सुबह-शाम एक घंटा टहलना और ध्‍यान करना चाहिए। इस दिनचर्या से रक्‍तचाप को काबू किया जा सकता है।
मधुमेह (शुगर)- इसे शुगर या डायबिटीज भी कहते हैं। आज 10 करोड़ से अधिक लोग मधुमेह के मरीज हैं। आधुनिक और अनियमित जीवन शैली, मानसिक तनाव, बिना फाइबर वाले अन्‍न (चावल या गेहूं) को प्रधान भोजन के रूप में खाना, डिब्‍बा बंद चीजें खाना, अत्‍यधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन, पैनक्रियाटिक ग्रंथी का काम न करना आदि प्रमुख कारण हैं। मधुमेह के साथ कई बीमारियां सौगात के रूप में मिलती हैं। जैसे- आंख, हृदय, मूत्राशय, प्रजनन आदि से जुड़े रोग उत्‍पन्‍न हो सकते हैं। इससे बचने के लिए मधुमेह के मरीजों को बाजार के भोजन से परहेज रखना चाहिए।
मधुमेह के रोगियों को पांचों श्री अन्‍न को दो-दो दिन मुख्‍य भोजन के रूप में अंबली के रूप में लेना चाहिए। साथ ही गिलोय, धनिया, मेथी, कुंदुरू, कालाजामुन, सहजन, पुदीना, पान, अमरूद आदि में से कम से कम तीन के पत्‍ते का काढ़ा पीना चाहिए। इसके अलावा सूर्योदय या सूर्यास्‍त के समय एक घंटा पैदल चलना या टहलना जरूरी है। इस जीवनशैली से रक्‍त में शर्करा का स्‍तर कंट्रोल में रहता है।
 
काढ़ा या कषाय कैसे बनाएं

काढ़ा या कषाय  सामग्री
- 200 मिलीलीटर पानी
              पत्‍ते (छोटे पत्‍ते हैं तो आधा मुट़ठी और बड़े पत्‍ते हैं तो तीन-चार पत्‍ते।)
              खजूर का गुड़ (अगर आवश्‍यकता हो तो)
विधि- 200 मिलीलीटर पानी को मिटटी या स्‍टील के बर्तन में गैस पर चढ़ाएं। और पानी में जिस पत्‍ते का काढ़ा बनाना है उसे रखें। 4 से 5 मिनट तक पत्‍ते वाले पानी को उबालें। और दो मिनट तक उसे ढक कर छोड़ दें। आपका काढ़ा या कषाय तैयार हो गया। पानी को छानकर गुनगुना रहते हुए पिएं। अगर आवश्‍यकता हो तो खजूर का गुड़ डालकर पी सकते हैं।

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संजीव कुमार

संजीव कुमार (संपादक)
आप प्रिंट मीडिया में पिछले दो दशक से सक्रिय हैं। आपने हिंदी-साहित्य और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है। आप विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुडे रहे हैं। राजनीति और समसामयिक मुद्दों के अलावा खोजी रिपोर्ट, आरटीआई, चुनाव सुधार से जुड़ी रिपोर्ट और फीचर लिखना आपको पसंद है। आपने राज्यसभा सांसद आर.के. सिन्हा की पुस्तक ‘बेलाग-लपेट’, ‘समय का सच’, 'बात बोलेगी हम नहीं' और 'मोदी-शाह : मंजिल और राह' का संपादन भी किया है। आपने ‘अखबार नहीं आंदोलन’ कहे जाने वाले 'प्रभात खबर' से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की। उसके बाद 'प्रथम प्रवक्ता' पाक्षिक पत्रिका में संवाददाता, विशेष संवाददाता और मुख्य सहायक संपादक सह विशेष संवाददाता के रूप में कार्य किया। फिर 'यथावत' पत्रिका में समन्वय संपादक के रूप में कार्य किया। उसके बाद ‘युगवार्ता’ साप्तहिक और यथावत पाक्षिक के संपादक रहे। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ पाक्षिक पत्रिका के संपादक हैं।