नूंह में हिंसा का तांडव

युगवार्ता    22-Aug-2023   
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नूंह में बीते 31 जुलाई को जो हुआ वह बहुत ही भयावह मंजर था। हर तरफ से हो रही पत्थरबाजी आगजनी, फायरिंग, हत्या, जिधर देखें उधर जली हुई गाड़ियां थी। टूटे हुए कांच, बिखरे हुए पत्थर और एक दूसरे के प्रति मारने-काटने की नफरत। यह सब कहीं न कहीं सरकार के इकबाल पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
नूंह में हिंसा
देश की राजधानी दिल्ली से करीब 85 किलोमीटर दूर हरियाणा के नूंह में हिंदू संगठनों की ओर से प्रति वर्ष निकाली जाने वाली जलाभिषेक यात्रा में बीते 31 जुलाई को मुस्लिम समुदाय की उपद्रवी भीड़ ने जैसा भीषण हमला किया और गोलीबारी के साथ बड़े पैमाने पर आगजनी एवं लूटपाट की, वह दुस्साहस की पराकाष्ठा है। जिस तरीके से इस यात्रा पर हमला किया गया, उससे यह साफ है कि ऐसा सुनियोजित साजिश और पूरी तैयारी के साथ किया गया। स्थिति कितनी भयावह हो गई थी, यह इससे समझा जा सकता है कि तीन हजार के करीब श्रद्धालु एक मंदिर परिसर में घंटों फंसे रहे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। उन्हें निकालने और बचाने के लिए सुरक्षा बलों की तीन कंपनियों को एयरड्राप करना पड़ा।
स्पष्ट है कि हिंसक भीड़ ने इस इलाके को एक तरह से युद्ध क्षेत्र में तब्दील कर दिया था। हिंसक भीड़ कितनी दुस्साहसी थी, इसका पता इससे चलता है कि पुलिस को भी निशाना बनाया। इसके चलते होमगार्ड के दो जवानों सहित कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कई पुलिस अधिकारी एवं सिपाही घायल भी हो गए। इनमें कुछ की हालत गंभीर है। अराजक तत्वों ने एक थाने को भी निशाना बनाया और उसके अंदर-बाहर खड़े दर्जनों वाहन जला दिए।
चूंकि हिंसा की व्यापक तैयारी की गई थी, इसलिए जल्द ही अन्य इलाकों में भी उपद्रव शुरू कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि जहां नूंह में कर्फ्यू लगाना पड़ा, वहीं अन्य क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती बढ़ानी पड़ी। इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि यात्रा तय मार्ग से निकल रही थी और प्रशासन से उसकी अनुमति भी ली गई थी। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि पुलिस और प्रशासन इस यात्रा की सुरक्षा के लिए अपेक्षित चौकसी नहीं बरत सका। खुफिया एजेंसियों की चूक भी नजर आ रही है। उसे इसका आभास होना चाहिए था कि इस यात्रा को निशाना बनाया जा सकता है, क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि गो तस्करों की हत्या में संदिग्ध आरोपित मोनू मानेसर भी इस यात्रा में शामिल हो सकता है। उसके शामिल न होने के बाद भी इस यात्रा पर जिस तरह भीषण हमला किया गया, उससे यही पता चलता है कि उपद्रवी तत्व उत्पात मचाने के लिए किसी बहाने की तलाश में थे।
 
मणिपुर हो या नूंह, दोनों ही जगह व्यवस्थाओं ने काम नहीं किया। सामाजिक तनाव बढ़ा, कहीं न कहीं ताना-बाना टूटा। यह समय गलती निकालने का नहीं है। मणिपुर और नूंह की घटनाओं में एक समानता है। राज्य प्रशासन घटनाओं से निपटने में असक्षम साबित हुआ है।हिंदुओं की जलाभिषेक यात्रा पर हमले की इस भयावह घटना ने उन घटनाओं की याद दिला दी, जिनमें पिछले कुछ समय में देश के अनेक हिस्सों और यहां तक कि देश की राजधानी में ऐसी ही यात्राओं को निशाना बनाया गया था। यदि इन घटनाओं में शामिल तत्वों को समय रहते सही सबक सिखाया गया होता तो शायद नूंह में जो कुछ हुआ, उससे बचा जा सकता था। यह शुभ संकेत नहीं कि अब कोई भी पर्व और त्योहार ऐसे नहीं, जिनमें किसी न किसी बहाने हिंसा न होती हो। जिस नूंह में सांप्रदायिक हिंसा भड़की, वह हरियाणा का एक जिÞला है जिसकी सीमा राजस्थान से लगती है, यह जिÞला उस बड़े क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे मेवात कहा जाता है। मेवात क्षेत्र में हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से आते हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं।
यह इलाका आर्थिक और सामाजिक रूप से तो जरूर पिछड़ा हुआ है लेकिन सांप्रदायिक हिंसा या दंगे जैसी खबरें, यहां से कभी नहीं आई। लेकिन बीते दिनों जो हुआ उसने सब कुछ बदल कर रख दिया है। बात सबसे पहले घटनाक्रम की, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल की अगुवाई में 31 जुलाई को ब्रजमंडल (मेवात) जलाभिषेक यात्रा रखी गई थी। तय कार्यक्रम के अनुसार इस यात्रा को नल्हड के शिव मंदिर से करीब 35 किलोमीटर दूर फिरोजपुर झिरका के झिर मंदिर और वहां से करीब 30 किलोमीटर दूर पुनहाना के कृष्ण मंदिर पहुंचना था। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने इस यात्रा में शामिल होने के लिए हरियाणा प्रांत के सभी जिÞलों से अपने कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं को बुलाया था।
यात्रा में शामिल पानीपत के रहने वाले बजरंग दल के कार्यकर्ता ने बताया, ‘हम नूंह से करीब 180 किलोमीटर दूर पानीपत से सुबह छह बजे बस में 50 लोग चले। हम 11 बजे नल्हड के शिव मंदिर पहुंच गए। यहां हजारों की संख्या में लोग आए हुए थे। 12 बजे तक भंडारा और जलाभिषेक का कार्यक्रम चला।’ दोपहर के समय मंदिर के अंदर और बाहर भारी भीड़ थी। 50 से ज्यादा बसें और कारें सड़कों पर खड़ी हुई थी और लोगों का आना जारी था। दोपहर 12.30 बजे ब्रजमंडल यात्रा फिरोजपुर झिरका के झिर मंदिर के लिए रवाना हुई। बसों और कारों में बैठकर लोगों ने निकलना शुरू कर दिया। यात्रा में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, लेकिन जैसे ही यात्रा करीब दो किलोमीटर आगे बढ़ी और मुख्य सड़क पर पहुंची, तो पथराव शुरू हो गया।
हरियाणा में भड़की इस हिंसा को राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 'सोची-समझी साजिश' बताते हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘इस घटना के बारे में पता लगते ही हमने पुलिस के उच्च अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा, जिसमें डीजीपी, एडीजी, डीजीपी लॉ एंड आॅर्डर और आस-पास के जिलों की पुलिस शामिल थी।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों ने एक षड़यंत्र रचकर उस यात्रा पर आक्रमण करना शुरू किया, न सिर्फ यात्रा पर बल्कि पुलिस को भी निशाना बनाया गया। जिसके बाद यात्रा को भी भंग किया और बहुत स्थानों पर आगजनी की घटनाएं हुईं। निश्चित रूप से एक बड़े षड़यंत्र का हिस्सा लगता है।’
हरियाणा सरकार के मुताबिक, शांति बनाए रखने के लिए नूंह में 14, पलवल में 3, गुरुग्राम में 2 और फरीदाबाद में अर्धसैनिक बलों की एक कंपनी तैनात की गई है। मुख्यमंत्री के मुताबिक हिंसा में अब तक छह लोगों की मौत हुई है, जिसमें दो पुलिसकर्मी शामिल हैं। इस हिंसा के लिए विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, ‘बृज मंडल यात्रा हर साल होती है। बीस हजार लोग हिस्सा लेते हैं, यह सबको पता था। इसकी तैयारी पुलिस ने नहीं की, लेकिन मुसलमानों ने की। कई दिनों से पत्थर इकट्ठा किए जा रहे थे। योजना बनाई जा रही थी। यात्रा एक किलोमीटर बढ़ी ही थी कि हमला किया गया। यह इंटेलिजेंस की एक बड़ी चूक है।’
ऐसा पहली बार नहीं है कि जब नूंह के नल्हड शिव मंदिर से मेवात ब्रजमंडल यात्रा निकली हो। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह यात्रा दशकों से निकल रही है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस इलाके में हिंदुओं के तीन बड़े मंदिर हैं। पिछले कई सालों से स्थानीय हिंदू परिवार, इन तीनों मंदिरों की यात्रा करते हैं लेकिन पिछले तीन सालों से इस यात्रा का स्वरूप बदल गया है। विश्व हिंदू परिषद के आह्वान के बाद अब इसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। बहरहाल, हिंसा के बाद जागी खट्टर सरकार ने उपद्रवियों को चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी व उनके अवैध कब्जों पर बुलडोजर एक्शन प्रारंभ कर दिया। तीन दिनों में लगभग सात सौ अवैध मकानों को ध्वस्त किया गया। यह एक्शन अभी आगे भी जारी रहने वाला था लेकिन हरियाणा व पंजाब हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी है।
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विजय कुमार राय

विजय कुमार राय (वरिष्‍ठ संवाददाता)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 से दूरदर्शन के ‘डीडी न्यूज’ से जुड़कर छोटी-बड़ी खबरों से लोगों को रू-ब-रू कराया। उसके बाद कुछ सालों तक ‘कोबरापोस्ट’ से जुड़कर कई बड़े स्टिंग ऑपरेशन के साक्षी बने। वर्तमान में ये हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ के वरिष्‍ठ संवाददाता हैं। इन दिनों देश की सभ्यता-संस्कृति और कला के अलावा समसामयिक मुद्दों पर इनकी लेखनी चलती रहती है।