भारत सह-अस्तित्व का बेहतरीन देश

युगवार्ता    05-Aug-2023   
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मक्का स्थित मुसलमानों के प्रभावशाली संगठन मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-ईसा ने भारत की संस्कृति, मानवता और सह-अस्तित्व की दिल खोलकर तारीफ की है।
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भारत के मुसलमानों को भारतीय होने पर गर्व है। भारत दुनिया में सह-अस्तित्व का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। यह कथन है 10 जुलाई को पांच दिवसीय भारत दौरे पर आए सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री और मक्का स्थित मुसलमानों के प्रभावशाली संगठन मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मोहम्मद बिन अल-ईसा का। उनकी भारत यात्रा महत्वपूर्ण इसलिए है कि वह सऊदी क्राउन प्रिंस के करीबी हैं और रॉयल किंगडम में इस्लाम के सुधारात्मक चरण का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
डॉ. अल-ईसा भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर आए थे। मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अन्य राजनीतिक और इस्लामी व गैर-इस्लामिक धार्मिक गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अल-ईसा के लिए एक भव्य रात्रिभोज की मेजबानी की, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह के सूफी मौलवियों के अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी और अहले-हदीस के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी जैसे प्रमुख इस्लामी मौलवी भी शामिल हुए। इसके अलावा शेख अल-ईसा ने दिल्ली में इस्लामिक सेंटर में एक बड़ी सभा को संबोधित किया, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारत के इतिहास और विविधता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को अपने देश पर गर्व है, भारत पूरी दुनिया के लिए सह-अस्तित्व का एक महान मॉडल है और देशभक्त होना सभी भारतीयों का कर्तव्य है।
इसी समारोह में बोलते हुए एनएसए डोभाल ने कहा कि आतंकवाद किसी धर्म से जुड़ा नहीं है और चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए आध्यात्मिक नेताओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है कि भारत में 20 करोड़ मुस्लिम होने के बावजूद वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम है। जबकि भारत के विरोधी पाकिस्तान और मध्य-पूर्व में उसके सहयोगी मोदी सरकार और भारत पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि शेख अल-ईसा सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के करीबी और सुधारवादी चरण के हिमायती हैं।
शाही साम्राज्य में उदारवादी इस्लाम की आवाज और चेहरा, शेख अल-ईसा ने सऊदी अरब के प्रधानमंत्री के तहत सऊदी साम्राज्य में महिलाओं के प्रमुख सशक्तिकरण को धार्मिक पवित्रता प्रदान की है। आज सऊदी अरब में अपने नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लाउडस्पीकर न बजाते हुए नमाज अदा करने और नमाज को घरों और मस्जिदों तक सीमित रखने के लिए कदम उठाए गए हैं। अब महिलाएं सऊदी अरब में गाड़ी चला सकती हैं। यानी वर्तमान क्राउन प्रिंस ने उन्हें मौलिक रूप से सशक्त बना दिया है।
मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर का भी दौरा किया और संघर्षों के पीछे के कारणों की परवाह किए बिना सभी के बीच शांति और प्रेम का आह्वान किया। अक्षरधाम मंदिर का दौरा करने के बाद उन्होंने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत अनेकता में एकता का एक महान उदाहरण है और अक्षरधाम की मेरी यात्रा - प्रेम, शांति और सद्भाव से भरा एक पूजा स्थल, इसे दर्शाता है।
अपनी तीन घंटे की यात्रा के दौरान, मुस्लिम नेता ने अक्षरधाम की वास्तुकला, संस्कृति और मूल्यों की सराहना की। शेख अल-ईसा ने कहा कि उनकी भारत यात्रा ‘भारत गणराज्य में उनके दोस्तों की यात्रा’ है। उन्होंने कहा, ‘ये आतंकवादी संगठन अपने अलावा किसी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं; उनका कोई धर्म या देश नहीं है।’ उन्होंने इस बात पर भी जोर डाला कि सऊदी अरब के पास ऐसे विचारों का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत मंच है।
 
क्या है एमडब्ल्यूएल
इस्लाम का प्रचार करने और धर्म की विश्वव्यापी समझ में सुधार करने के उद्देश्य से साल 1962 में गठित मुस्लिम वर्ल्ड लीग (एमडब्ल्यूएल) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है। इसका मुख्यालय मक्का, सऊदी अरब में है और दुनिया के लगभग तमाम देशों में इसके कार्यालय हैं। एमडब्ल्यूएल एक संविधान परिषद द्वारा शासित होता है जिसमें प्रमुख इस्लामी संगठनों से आए 60 सदस्य शामिल होते हैं। यह सऊदी अरब सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। गौरतलब है कि इसके वर्तमान महासचिव शेख अल-ईसा इसका कार्यभार संभालने के पहले साल 2016 में सऊदी कैबिनेट में न्याय मंत्री थे। वह एक इस्लामी विद्वान, उदारवादी इस्लाम के समर्थक और अंतरधार्मिक संवाद और वैश्विक शांति के समर्थक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
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राम जी तिवारी

राम जी तिवारी (मुख्‍य उप संपादक)
 
अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक। आईआईएमसी से पत्रकारिता में डिप्लोमा, कुरुक्षेत्र विवि से पत्रकारिता में परास्नातक। श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन, डीडी किसान एवं वैश्य भारती पत्रिका सहित कई संस्थानों के संपादकीय विभाग में कार्य किया है। इन दिनों हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी से जुड़े हैं। फिलहाल ‘युगवार्ता’ पाक्षिक के मुख्‍य उप-संपादक हैं।