मिशन 2024 से पहले 2023 में सेमीफाइनल

युगवार्ता    03-Sep-2023   
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लोकसभा चुनाव से पहले इसी साल के अंत तक पांच राज्यों तेलंगाना,मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें तीन बड़े राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला है। एक में भाजपा तो दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। कुल मिला कर 2023 का चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा है।

शिवराज सिंह चौहान, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल
 
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इसी साल के अंत तक पांच राज्यों तेलंगाना,मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल माना जा रहा है। इन चुनावों को लेकर भाजपा व कांग्रेस दोनों ने पुरजोर तैयारियां शुरू कर दी है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हार से सबक लेते हुए भाजपा हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में किसी तरह का जोखिम’ नहीं उठाना चाहती है। छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में तो चुनाव की तारीखों के ऐलान से बहुत पहले ही उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है। प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करके भाजपा ने यह संकेत देने की कोशिश की है कि वह चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस से बहुत आगे है। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं जबकि छत्तीसगढ़ में 90 सीटें। भाजपा की पहली लिस्ट में मध्य प्रदेश में 39 और छत्तीसगढ़ में 21 उमीदवारों के नाम हैं। राजस्थान में परिवर्तन यात्रा के जरिए कांग्रेस को घेरने का प्लान है। राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं।
हिंदी पट्टी के ये चुनाव, भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए बहुत मायने रखते हैं। इन राज्यों में किसी तीसरी राजनीतिक शक्ति की ग़ैरमौजूदगी में मुक़ाबला दोनों दलों के बीच आमने-सामने का है। पिछले चुनाव में तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की जीत हुई थी। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आपसी खींचतान के बावजूदकांग्रेस की सरकारें जहां पांच सालों तक चलीं, वहीं मध्य प्रदेश में 16 महीने में ही उसकी सरकार तब गिर गई जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बग़ावत कर अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था। इससे अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार गिर गई थी और भाजपा फिर से मध्य प्रदेश की सत्ता में लौट आई।
बहरहाल, हिंदी पट्टी के इन तीनों राज्यों के चुनावों के नतीजों पर पूरे देश की नज़र रहेगी क्योंकि इनके परिणामों से लोकसभा चुनाव में क्या कुछ होगा इसके कुछ तो संकेत मिलने लगेंगे। यानी मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीगढ़ विधानसभा चुनाव को 2024 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। कांग्रेस ने इसकी अहमियत समझते हुए चुनाव से पहले राजस्थान कार्य समिति की लिस्ट जारी कर दी है। सबसे अहम बात यह है कि इस लिस्ट में सचिन पायलट का नाम भी शामिल है। प्रदेश में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की जंग पर ब्रेक लगाने के मकसद से कांग्रेस का ये कदम मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।
पांचों राज्यों में विधानसभा की कुल 679 सीटें हैं, जबकि लोकसभा की 83 सीटें हैं। तेलंगाना में बीआरएस यानी के चंद्रशेखर राव सत्ता में हैं और मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है।
बहरहाल, राजस्थान में दोनों प्रमुख संगठनों की अंदरूनी कलह जगजाहिर है। हालांकि कांग्रेस ने सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच रस्साकशी पर विराम लगाने की कोशिश की है। वहीं भाजपा ने पार्टी की कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को चुनाव की किसी भी समिति से दूर ही रखा है। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि जहां वर्ष 2008 में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच वोटों का अंतर 3 प्रतिशत था, वह अंतर वर्ष 2018 में महज एक प्रतिशत पर आ गया था, यानी कांटे की टक्कर।
हालांकि जब वर्ष 2013 में भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई थी तो उस समय दोनों दलों के बीच वोटों का अंतर 10 प्रतिशत का था। तब कांग्रेस को केवल 21 सीटें मिलीं थीं जबकि भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था और उसकी झोली में 163 सीटें आई थी। राजस्थान में फिलहाल दोनों ही दल अपने पत्ते खोलने में कोई जल्दबाज़ी नहीं दिखा रहे हैं और एक-एक कदम बहुत नाप-तौलकर रख रहे हैं। वैसे भी राजस्थान में हर पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन का एक रिवाज चला आ रहा है। इसलिए कांग्रेस के सामने इस बार काफी चुनौतियां हैं। पार्टी की अंदरूनी कलह तो सार्वजनिक है ही सत्ता विरोधी भावना भी है।
मध्य प्रदेश में भाजपा ने जिन 39 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है इनमें अधिकतर वो सीटें हैं जिन पर कांग्रेस का कब्जा है। इनमें 38 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं जबकि एक सीट बहुजन समाज पार्टी के पाले में है। ये इलाके मूलतः आदिवासी बहुल या अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्ग की ज़्यादा आबादी वाले हैं। कांग्रेस का कहना है कि इन सीटों से चुने गये विधायक अपने-अपने क्षेत्र में बड़ा प्रभाव रखते हैं जैसे राऊ की सीट से जीतू पटवारी जो राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में उनके साथ आगे-आगे नज़र आए। इसी तरह कसरावद से पूर्व मंत्री सचिन यादव, सोनकच्छ से सज्जन सिंह वर्मा और झाबुआ से कद्दावर आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया विधायक हैं जिन्हें हरा पाना मुश्किल है।
भाजपा के एक प्रवक्ता ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने को लेकर कहा कि हर चुनाव की अपनी अलग तासीर होती है। उसी के हिसाब से चुनाव लड़ने की रणनीति भी बनाई जाती है। हम भी ऐसा ही कर रहे हैं। इन सीटों पर उम्मीदवारों की सूची इसलिए जारी कर दी ताकि वो कांग्रेस से लोहा लेने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दें। 2018 के चुनाव में कांटे की टक्कर में कांग्रेस की झोली में 114 सीटें आई थीं जबकि भाजपा को 109 सीटें मिलीं थीं लेकिन दोनों ही दलों का ‘वोट शेयर’ लगभग बराबर ही था। भाजपा का वोट शेयर 41.02 प्रतिशत था, वहीं कांग्रेस का 40.89 प्रतिशत था। लेकिन पूर्ववर्ती चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट शेयर का भारी अंतर रहा है। राजनीतिक विशलेषकों का मानना हैं कि वोट शेयर में सिर्फ़ एक प्रतिशत अंतर ही कई सीटों के नतीजों को प्रभावित कर सकता है इसलिए दोनों ही दल पूरी ज़ोर आज़माइश कर रहे हैं।
हिंदी पट्टी के तीसरे चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार इतनी करारी थी कि वो 90 में से 15 सीटों पर सिमट गई थी। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए इस प्रदेश में भाजपा की इतनी करारी हार पहले कभी नहीं हुई थी। भाजपा का वोट शेयर घटकर 32.29 पर आ गया था जबकि कांग्रेस ने 68 सीटें जीतीं थीं और उसका वोट शेयर 43.04 था। इससे पहले 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत हुई थी लेकिन कांग्रेस के साथ उसकी कांटे की टक्कर रही। इस बार चुनावों की घोषणा से पहले ही भाजपा ने 21 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण नाम है सांसद विजय बघेल का जिनको पाटन विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। ये सीट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीती थी। विजय बघेल दुर्ग से भाजपा के सांसद हैं और वो कांग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भतीजे हैं।
दूसरी सीट है रामानुजगंज की जहां राज्यसभा के सांसद रहे चुके रामविचार नेताम को पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है। नेताम क़द्दावर आदिवासी नेता हैं और वो भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आरपी सिंह कहते हैं कि मध्य प्रदेश की तरह ही भाजपा ने उन सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा की है जहां वे हार गए थे। हालांकि पहली सूची के बाद छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश दोनों जगह भाजपा के अंदर से विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। मध्य प्रदेश में तो पार्टी के नेताओं ने सड़क पर उतारकर विरोध प्रदर्शन भी किया है। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह रणनीति कारगर साबित होती है या फिसड्डी।
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विजय कुमार राय

विजय कुमार राय (वरिष्‍ठ संवाददाता)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। साल 2012 से दूरदर्शन के ‘डीडी न्यूज’ से जुड़कर छोटी-बड़ी खबरों से लोगों को रू-ब-रू कराया। उसके बाद कुछ सालों तक ‘कोबरापोस्ट’ से जुड़कर कई बड़े स्टिंग ऑपरेशन के साक्षी बने। वर्तमान में ये हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका ‘युगवार्ता’ और ‘नवोत्थान’ के वरिष्‍ठ संवाददाता हैं। इन दिनों देश की सभ्यता-संस्कृति और कला के अलावा समसामयिक मुद्दों पर इनकी लेखनी चलती रहती है।