मालवीय वांग्मय का पहला खंड प्रकाशित

युगवार्ता    18-Jan-2024
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सौरव राय
महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं और आने वाली कई सदियों तक लोग उनसे प्रभावित होते हैं। वे आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे। वे देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए, मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी उन्होंने देश के लिए संभावनाओं के बीज बोए।

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मेरा सौभाग्य है कि 2014 में जब मैंने नामांकन भरा तो उसे प्रपोज करने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय के परिवार के सदस्य थे। यह शब्द प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर 25 दिसंबर 2023 को विज्ञान भवन में ‘कलेक्टेड वर्क्स आॅफ पंडित मदन मोहन मालवीय’ की 11 खंडों की पहली श्रृंखला का लोकार्पण करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आने वाली कई सदियों तक लोग मालवीय जी से प्रभावित होते रहेंगे। मालवीय जी ने हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय के संपूर्ण वांग्मय का लोकार्पण होना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यह संपूर्ण वांग्मय उनके विचारों, आदर्शों और जीवन से हमारी युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं और आने वाली कई सदियों तक लोग उनसे प्रभावित होते हैं। वे आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे। वे देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए, मुश्किल से मुश्किल माहौल में भी उन्होंने देश के लिए संभावनाओं के बीज बोए।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि महामना की काशी के प्रति बहुत आस्था थी। आज काशी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रही है। आजादी के ‘अमृत काल’ में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने और अपनी विरासत पर गर्व करने के सरकार के अभियान का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यों में भी कहीं न कहीं पंडित मालवीय के विचारों की महक महसूस होगी।
उल्लेखनीय है कि आधुनिक भारत के निर्माताओं में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय का अग्रणी स्थान है। पंडित मदन मोहन मालवीय को एक उत्कृष्ट विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने लोगों के बीच राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए अथक मेहनत की थी। मालवीय द्वारा लिखित और बोले गए विभिन्न दस्तावेजों पर शोध एवं उनके संकलन का कार्य महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया, जो महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित एक संस्था है। प्रख्यात पत्रकार रामबहादुर राय के नेतृत्व में इस मिशन की एक समर्पित टीम ने इन सभी रचनाओं की भाषा और पाठ में बदलाव किए बिना ही पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल साहित्य पर कार्य किया है। वांग्मय के संपादक रामबहादुर राय ने मालवीय वांग्मय के बारे में बताते हुए कहा कि यह वांग्मय की पहली किस्त है। अभी दूसरी किस्त आना बाकी है।
यह वांग्मय (अंग्रेजी और हिंदी) 11 खंडों में लगभग 4,000 पृष्ठों में है, जो देश के हर कोने से एकत्र किए गए पंडित मदन मोहन मालवीय के लेखों और भाषणों का संग्रह है। इन खंडों में उनके अप्रकाशित पत्र, लेख और ज्ञापन सहित भाषण हैं। वर्ष 1907 में उनके द्वारा शुरू किए गए हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ की संपादकीय सामग्री, समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख, पैम्फलेट एवं पुस्तिकाएं शामिल हैं। इसमें वर्ष 1903 और वर्ष 1910 के बीच आगरा और अवध के संयुक्त प्रांतों की विधान परिषद में दिए गए उनके सभी भाषण, रॉयल कमीशन के समक्ष दिए गए वक्तव्य, वर्ष 1910 और वर्ष 1920 के बीच इंपीरियल विधान परिषद में विभिन्नि विधेयकों को प्रस्तुत करने के दौरान दिए गए भाषण। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले और उसके बाद लिखे गए पत्र, लेख एवं भाषण तथा वर्ष 1923 से लेकर वर्ष 1925 के बीच उनके द्वारा लिखी गई एक डायरी शामिल है।
इन पुस्तकों का प्रकाशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ प्रकाशन प्रभाग द्वारा किया गया है। इसके लोकार्पण के दौरान मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अनुराग ठाकुर, मालवीय मिशन के अध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव, कार्यकारी अध्यक्ष हरिशंकर सिंह और महामंत्री वेद प्रकाश उपस्थित थे।
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