किसानों की समृद्धि ही लक्ष्य

युगवार्ता    20-Jan-2024   
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पुष्कर सिंह धामी सरकार किसानों के लिए संवेदनशील है। इसलिए किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दर्जन भर से ज्यादा योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

Uttarakhand Farmers 
उत्तराखंड का अधिकांश क्षेत्र पहाड़ एवं जंगलों से घिरा हुआ है। प्रदेश के करीब 56.72 लाख हेक्टेयर भूमि में से केवल 7.41 लाख हेक्टेयर भूमि ही खेती योग्य है। यानी राज्य के लगभग 14 फीसदी भूमि पर ही खेती हो सकती है। इनमें से भी लगभग 89 प्रतिशत लघु और सीमांत खेती है। इससे यहां काश्तकारी में लागत ज्यादा और आमदनी कम होती है। केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत हैं। इसमें उत्तराखंड भी अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है।
राज्य में किसान आम तौर पर दो प्रकार की कृषि पद्धतियों को अपनाते हैं। एक वर्षा आधारित और दूसरा सिंचाई आधारित। राज्य का शुद्ध सिंचित क्षेत्र लगभग साढ़े तीन लाख हेक्टेयर है। धामी सरकार प्रदेश में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने के लिए कई स्तर पर कार्य कर रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन, चेक डैम, लिफ्ट सिंचाई के लिए हाइड्रम आदि पर तेजी काम हो रहा है। बेहतर जल प्रबंधन के लिए ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर आदि तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है। सरकार इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। साथ ही किसानों को सुविधाएं, संसाधन एवं प्रशिक्षण भी दिया गया है।
खेती-किसानी को लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना जरूरी है। प्रदेश सरकार इसके लिए जैविक खेती, मिलेट्स, कृषि के विविधीकरण, फसल कटाई में तकनीक का उपयोग सहित कृषि उपज के लिए बाजार उपलब्ध कराने में किसानों की मदद कर रही है। मिलेट्स के क्षेत्र में उत्तराखंड को रोल मॉडल बनाने की दिशा में कई कार्य किये जा रहे हैं। कृषि मंत्री गणेश जोशी कहते हैं, 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में हम उत्तराखंड को मिलेट्स स्टेट बनाने पर काम कर रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में अभी भी रसायन का न के बराबर इस्तेमाल होता है। इसलिए उत्तराखंड मिलेट्स के लिए सबसे उपयुक्त है।'
प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में कई योजनाएं बनाई है। जिससे उनकी आय दोगुनी हो सके और खेती लाभ वाला व्यवसाय बन जाए। इसके लिए राज्य में किसानों को तीन लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। एक साल में 18 हजार पोली हाउस बनाने का लक्ष्य प्रदेश सरकार ने रखा है। इससे एक लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। प्रदेश के कई हिस्सों में तेजपत्ता तिमूर मिशन पर कार्य किया जा रहे हैं। साथ ही सुगंध खेती को बढ़ावा देने के लिए 6 ऐरोमा वैली विकसित किये जा रहे हैं। काशीपुर में ऐरोमा पार्क बनाया जा रहा है। फार्म मशीनरी बैंक के तहत 80 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को अच्छा दाम मिले इसके लिए बेहतर बाजार की व्यवस्था की गई है।
धामी सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं बनाई है। इसमें उत्तराखंड किसान कृषि यंत्र योजना, उत्तराखंड किसान पेंशन योजना, उत्तराखंड दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना आदि प्रमुख हैं। कृषि यंत्र योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्र खरीदने पर उनकी श्रेणी के अनुसार सब्सिडी देने का प्रावधान है। मसलन, सामान्य, ओबीसी, एससी-एसटी किसानों को 40 से 70 प्रतिशत तक सब्सिडी इसमें दी जाती है। उत्तराखंड किसान पेंशन योजना के तहत गरीब किसानों को उत्तराखंड सरकार द्वारा एक हजार रुपए प्रति माह पेंशन दिया जाएगा। इसका लाभ किसानों को 60 वर्ष से अधिक होने पर मिलेगा। साथ ही लाभार्थी किसान के पास चार एकड़ से ज्यादा भूमि नहीं होना चाहिए।

Ganesh Joshi 
उत्तराखंड दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना शुरू करने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार करना और किसानों की आय को दोगुनी करना है। इस योजना के माध्यम से छोटे ग्रामीण किसानों को बिना ब्याज के तीन लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है। साथ ही किसान संगठनों को 5 लाख तक का लोन दिया जाता है। वह भी बिना किसी ब्याज के। उत्तराखंड खसरा खतौनी जमाबंदी भू- अभिलेख के माध्यम से उत्तराखंड के किसान घर बैठे अपनी जमीन का खसरा खतौनी नंबर निकाल सकते हैं। उत्तराखंड कृषि ऋण योजना के तहत उत्तराखंड के ग्रामीण किसानों को आजीविका सुधार के लिए दो प्रतिशत ब्याज दर पर एक लाख रुपए तक का लोन दिया जा जाता है। इसे किसानों को 3 साल के अंदर लौटाना होता है। यदि कोई किसान ऋण राशि का भुगतान नहीं कर पाया तो उसे तीन वर्ष के बाद मिश्रित ब्याज दर से ऋण भुगतान करना होता है। उत्तराखंड किसान क्रेडिट कार्ड योजना में कृषि को आसान बनाने के लिए कृषि संबंधित यंत्र, कीटनाशक दवाई और बीज आदि के ऊपर किसानों को राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है। यह योजना प्रदेश के छोटे किसानों के लिए है।
- उत्तराखंड दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के माध्यम से छोटे किसानों को बिना ब्याज के तीन लाख रुपए तक का लोन मिल रहा है।
- हाइड्रम सिंचाई योजना में किसानों को सिंचाई के लिए प्राकृतिक स्रोत से पानी को लिफ्ट कर पहाड़ों में खेतों तक पहुंचाया जाता है।
- छोटे किसान उत्तराखण्ड पशुपालन योजना के अन्तर्गत अपने पशुपालन को बढ़ाकर बड़े व्यवसायी बन सकते हैं।
मत्स्य उत्तराखंड किसान योजना प्रदेश के मत्स्य विभाग ने बनाया है। मत्स्य पालन से जुड़े किसानों को सेवाओं और बुनियादी जरूरत प्रदान किया जाता है। उत्तराखंड बकरी पालन योजना का लाभ राज्य के किसान और आम नागरिक ले सकते हैं। इस योजना के माध्यम से किसानों को बकरी पालन करने के लिए 4 लाख रुपए तक का लोन सरकार की ओर से दिया जाता है। उत्तराखंड पशुपालन योजना के तहत एक सामान्य किसान अपने पशुपालन को बढ़ाकर बड़ा व्यवसायी बन सकते हैं। यदि कोई किसान भेड़, सूअर, मुर्गी या फिर बकरी पालता है तो सरकार की ओर से इस पर 50 प्रतिशत का सब्सिडी दिया जाता है। हाइड्रम सिंचाई योजना में किसानों को सिंचाई के लिए पानी की सुविधा मिलती है। इसमें प्राकृतिक स्रोत से पानी को लिफ्ट कर पहाड़ों में खेतों तक पहुंचाया जाता है।
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गुंजन कुमार

गुंजन कुमार (ब्‍यूरो प्रमुख)
प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव। 'दैनिक हिंदुस्तान' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर 'हरिभूमि' में कुछ समय तक दिल्ली की रिपोर्टिंग की। इसके बाद साप्ताहिक 'दि संडे पोस्ट' में एक दशक से ज्यादा समय तक घुमंतू संवाददाता के रुप में काम किया। कई रिपोर्टों पर सम्मानित हुए। उसके बाद पाक्षिक पत्रिका 'यथावत' से जुड़े। वर्तमान में ‘युगवार्ता’ पत्रिका में बतौर ब्‍यूरो प्रमुख कार्यरत हैं।