जाके प्रिय न राम वैदेही

युगवार्ता    16-Apr-2024   
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Gaurav 

लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच गौरव वल्लभ का पार्टी छोड़कर जाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। विनय पत्रिका में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि जाके प्रिय न राम बैदेही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम,जदपि परम सनेही। ऐसे में क्या यह मान लिया जाय कि राम विरोधी व सनातन विरोधी होने का ठप्पा लगवा चुकी कांग्रेस से नेताओं व कार्यकर्ताओं का वाकई मोहभंग होता जा रहा है जिसकी परिणति कांग्रेस में भागमभाग के रूप में सामने आ रही है।

जो सनातन धर्म का नहीं, वह भारत का भी नहीं हो सकता है। सनातन का श्राप कांग्रेस को ले डूबेगा। फरवरी में आचार्य प्रमोद कृष्णम की कही गई यह बात सच होती प्रतीत हो रही है। टीवी डिबेट में कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखने वाले गौरव वल्लभ कांग्रेस पर राम विरोधी और सनातन विरोधी होने का आरोप लगाते हुए भाजपा में शामिल हो गये। लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच गौरव वल्लभ का पार्टी छोड़कर जाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। विनय पत्रिका में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि जाके प्रिय न राम बैदेही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही। ऐसे में क्या यह मान लिया जाय कि राम विरोधी व सनातन विरोधी होने का ठप्पा लगवा चुकी कांग्रेस से नेताओं व कार्यकर्ताओं का वाकई मोहभंग होता जा रहा है जिसकी परिणति कांग्रेस में भागमभाग के रूप में सामने आ रही है।

कांग्रेस को तिलांजलि देकर भाजपा में शामिल होने वाले अन्य नेताओं ने भी गौरव वल्लभ की ही तरह कांग्रेस को भगवान राम की विरोधी व सनातन विरोधी निरूपित किया है। गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिखकर पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे में उन्होंने राम मंदिर का जिक्र करते हुए लिखा था प्रभु राम केवल हिंदुओं के लिए पूज्य नहीं है, वह भारत की आस्था हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के न्योते को ठुकराने से भारत के लोगों की भावना आहत हुई है। मोढवाडिया ने प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन का न्योता ठुकराने को लेकर पहले भी बयान दिया था।

कांग्रेस को तिलांजलि देकर भाजपा में शामिल होने वाले अन्य नेताओं ने भी गौरव वल्लभ की ही तरह कांग्रेस को भगवान राम की विरोधी व सनातन विरोधी निरूपित किया है। 

कांग्रेस के प्रखर प्रवक्ताओं में से एक गौरव वल्लभ ने पार्टी छोड़ने का कारण बताते हुए साफ साफ शब्दों में कहा है कि वह सनातन का विरोध नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सनातन के विरोध में नारे नहीं लगा सकता, वेल्थ क्रिएटर्स के खिलाफ नहीं बोल सकता। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से दूरी बनाने वाले पापियों के साथ एक क्षण भी खड़ा नहीं हो सकता। कुछ इसी तरह के आरोप आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी लगाया था। आचार्य कृष्णम ने कांग्रेस के कई नेताओं को हिंदू विरोधी बताया था। वह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकराने को लेकर अपनी ही पार्टी के नेताओं पर भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि मोदी का विरोध करिये, भाजपा का विरोध करिए लेकिन सनातन और भगवान राम से मत लड़िए। सनातन का श्राप कांग्रेस को ले डूबेगा।

उल्लेखनीय है कि कई बार कांग्रेस के सहयोगी दलों ने सनातन धर्म और हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है। गौरव वल्लभ ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम से दूर रहने का जो रुख अपनाया उससे वह नाखुश थे। उन्होंने इस्तीफे में कहा कि मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस रुख ने मुझे हमेशा परेशान किया। पार्टी व आईएनडीआईए गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन धर्म के खिलाफ बोलते हैं और उस पर पार्टी का चुप रहना, उसे एक तरह से मौन स्वीकृति देने जैसा है। जाहिर है आचार्य प्रमोद कृष्णम, गौरव वल्लभ और अर्जुन मोढवाडिया ने पार्टी छोड़ने का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता को बताया है।

इसी हिंदू विरोधी मानसिकता का साफ-साफ संकेत 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद बनी एके एंटनी कमेटी की रिपोर्ट ने किया था। एंटनी कमेटी ने कहा था कि ‘धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता’ के मुद्दे पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ। उसकी पहचान अल्पसंख्यक समर्थक और हिंदू विरोधी के रूप में बन गई थी। समिति ने कहा कि पार्टी की अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति बेहद हानिकारक साबित हुई। मुस्लिम तुष्टिकरण पर कुछ कांग्रेस नेताओं के लगातार बयानों ने बहुसंख्यक समुदाय को नाराज और कांग्रेस से अलग-थलग कर दिया।

बहरहाल, चुनावी गहमागहमी के बीच कांग्रेस में पार्टी छोड़ने को लेकर एक तरह से भगदड़ की सी स्थिति है। कांग्रेस छोड़कर नेताओं का दूसरे दलों में जाने का सिलसिला तेज हो गया है। एक के बाद एक बड़े नेता हाथ का साथ छोड़कर दूसरे दलों में जा रहे हैं। कांग्रेस छोड़ने वाले बड़े नेताओं में से किसी ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया तो किसी का ठिकाना भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल दूसरे दल बने। कांग्रेस छोड़ने वाले नेता किस्म-किस्म के कारण गिना रहे हैं। ज्यादातर नेताओं ने राम मंदिर, सनातन विरोध और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के इर्द-गिर्द नेताओं के कॉकस को कांग्रेस छोड़ने की वजह बताया है। पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, कोरोना, मलेरिया से करते हुए इसे खत्म करने की बात कही। उसके बाद डीएमके सांसद ए राजा ने सनातन धर्म को एचआईवी और कुष्ठ रोग बताया था। फिर भी कांग्रेस चुप रही।

यह बात कई नेताओं को खल गई। इसी का नतीजा है कि कांग्रेस से हाल के दिनों में कई बड़े चेहरों ने किनारा कर लिया है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे बाबा सिद्दीकी के साथ ही मध्य प्रदेश में पार्टी के बड़े नेता रहे सुरेश पचौरी तक ने पार्टी से किनारा कर लिया है। अशोक चव्हाण और सुरेश पचौरी भाजपा में शामिल हुए तो वहीं मिलिंद देवड़ा ने सीएम एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना का दामन थामा। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ और रोहन गुप्ता भी भाजपा में जा चुके हैं तो वहीं बॉक्सिंग से राजनीति में आए विजेंदर सिंह भी अब भाजपाई बन चुके हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश और राजस्थान में काफी बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा में जाना बेहतर समझा। साथ ही हिमाचल में कांग्रेस की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उसके 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसे में यह भागमभाग कहां जाकर रुकेगी फिलहाल कहना मुश्किल है।

कांग्रेस छोड़ने वाले नेता सनातन, राम मंदिर से लेकर उद्योगपतियों को लेकर विरोधी रुख को जहां वजह बता रहे हैं। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेता नेताओं के पलायन के पीछे केंद्रीय एजेंसियों की जांच के भय की बात कर रहे हैं। कांग्रेस से नेताओं के मोहभंग को लेकर पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने कहा है कि कुछ लोग डर के मारे हमसे दूर भाग रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने कुछ गलत किया है। जो सिद्धांतों पर है, उसे कोई नहीं डरा सकता है। उन्होंने इसे लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन नेताओं पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, उनमें से अधिकांश वॉशिंग मशीन के माध्यम से पाक-साफ हो गए। खड़गे चाहे जो कहें लेकिन गौरव वल्लभ व अन्य नेताओं की कही बातों का जवाब उनके पास नहीं है। सनातन व हिंदू विरोधी मानसिकता का आरोप लगाकर कांग्रेस के ज्यादातर नेता पार्टी छोड़कर भाजपा का रुख कर रहे हैं। इनमें सबसे ताजा नाम कांग्रेस के तेजतर्रार प्रवक्ता गौरव वल्लभ का है। इसके अलावा बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा, कांग्रेस प्रवक्ता रोहन गुप्ता, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार के सह प्रभारी अजय कपूर समेत तमाम अन्य नेताओं ने भी पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामना बेहतर समझा।

गौरव वल्लभ

टीवी पर कांग्रेस का पक्ष रखते आए गौरव वल्लभ ने पार्टी छोड़ने के बाद कहा कि सनातन के विरोध में नारे नहीं लगा सकता, वेल्थ क्रिएटर्स के खिलाफ नहीं बोल सकता। भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से दूरी बनाने वाले पापियों के साथ एक क्षण भी खड़ा नहीं हो सकता। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस रुख ने मुझे हमेशा परेशान किया। पार्टी व आईएनडीआईए गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन धर्म के खिलाफ बोलते हैं और उस पर पार्टी का चुप रहना, उसे एक तरह से मौन स्वीकृति देने जैसा है।

सुरेश पचौरी

कभी गांधी परिवार के वफादार नेताओं में गिने जाने वाले सुरेश पचौरी ने कांग्रेस छोड़ने के बाद इसके पीछे तीन मुख्य कारण बताए। उन्होंने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से कांग्रेस की दूरी को ठेस पहुंचाने वाला बताया और सनातन को लेकर आईएनडीआईए ब्लॉक के नेताओं की बयानबाजियों पर पार्टी के मौन को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। सुरेश पचौरी ने सेना का मनोबल तोड़ने का आरोप लगाया और जातिगत जनगणना के वादे को भी पार्टी छोड़ने की वजह बताया।

अर्जुन मोढवाडिया

गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिखकर पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे में उन्होंने राम मंदिर का जिक्र करते हुए लिखा- प्रभु राम केवल हिंदुओं के लिए पूज्य नहीं है, वह भारत की आस्था हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के न्योते को ठुकराने से भारत के लोगों की भावना आहत हुई है। मोढवाडिया ने प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन का न्योता ठुकराने को लेकर पहले भी बयान दिया था।

आचार्य प्रमोद कृष्णम

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के कई नेताओं को हिंदू विरोधी बताया था। वह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकराने को लेकर भी अपनी ही पार्टी के नेताओं पर भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि जो सनातन के खिलाफ है वो भारत के भी खिलाफ है क्योंकि सनातन के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। सनातन के खिलाफ बोलने वाले रावण के वंशज है, इनका सर्वनाश सुनिश्चित है। सनातन धर्म के विरोध का पाप और जातिवाद की राजनीति कांग्रेस को ले डूबेगी।

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बद्रीनाथ वर्मा

बद्रीनाथ वर्मा (सहायक संपादक)
देश-समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर बेबाक लेखन करने वाले बद्रीनाथ वर्मा ने अपनी पत्रकारिता की यात्रा ऐतिहासिक अखबार ‘दैनिक भारतमित्र‘ से शुरू की। अपने दो दशक से भी अधिक के कार्यकाल में वे कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रह चुके हैं। इन दिनों ‘युगवार्ता‘ पत्रिका में सहायक संपादक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं।