एक समय था जब हॉकी में उतनी ही रुचि थी, जितनी आज क्रिकेट में है : अशोक कुमार

युगवार्ता    13-Oct-2025
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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरा होने पर म्यूनिख ओलंपिक 1972 और विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा रहे अशोक कुमार ने कहा कि पहली बार ओलंपिक में खेलने पर दुनिया ने हमारे कौशल और प्रतिभा को देखा और वहीं हमारी हॉकी टीम का शानदार सफर शुरु हुआ। उन्होंने कहा, “एक समय था जब हॉकी में उतनी ही रुचि थी, जितनी आज क्रिकेट में है।

भारतीय हॉकी को कई वर्षों और दशकों तक स्वर्णिम मानक माना जाता रहा है। ओलंपिक खेलों में 8 स्वर्ण पदक, 1 रजत और 4 कांस्य पदक यानी कुल 13 पदक जीतकर, भारत ने सचमुच मानक स्थापित कर दिए हैं। जिस व्यक्ति ने इसे लंबे समय तक बेहद करीब से देखा, वह हैं अशोक कुमार, जो 1972 में म्यूनिख ओलंपिक पदक विजेता और 1975 में विश्व कप विजेता रहे। वह महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के पुत्र भी हैं।

1928 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता और 1956 तक भारतीय पुरुष हॉकी टीम ओलंपिक में अपराजित रही और लगातार छह स्वर्ण पदक जीते।

अतीत को याद करते हुए अशोक कुमार ने हॉकी इंडिया की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा कि 1928 के ओलंपिक से पहले भी भारतीय पुरुष हॉकी टीम अच्छी हॉकी खेल रही थी। जब हमने पहली बार ओलंपिक खेला तो ध्यानचंद उस टीम का हिस्सा थे। यहीं से भारत में हॉकी का शानदार सफर शुरू हुआ। हमने दुनिया को अपनी कौशल और प्रतिभा को दिखाया। इस मुकाम पर पहुंचकर, जहां हम इस खेल में 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, यह भारतीय हॉकी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

अशोक कुमार 1975 में कुआलालंपुर (मलेशिया) में अपना आखिरी विश्व कप खिताब जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे, जहां उन्होंने फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ विजयी गोल किया था। उनके पास 1971 के बार्सिलोना विश्व कप में कांस्य और 1973 के एम्स्टर्डम विश्व कप में रजत पदक भी है। हालांकि 1975 का खिताब भारत का एकमात्र विश्व कप खिताब है। अशोक कुमार उन कुछ खिलाड़ियों में से एक हैं जिनके पास तीनों विश्व कप पदक हैं।

अपने असाधारण गेंद नियंत्रण और कौशल के लिए जाने जाने वाले अशोक कुमार ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा, “एक समय था जब हॉकी में उतनी ही रुचि थी, जितनी आज क्रिकेट में है। भारत में कुछ अविश्वसनीय खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने एक मजबूत विरासत छोड़ी है। ध्यानचंद, केडी सिंह, बलबीर सिंह सीनियर और कई अन्य खिलाड़ी। पूरा देश भारतीय हॉकी को बहुत करीब से अनुसरण करता था और उस युग में हर कोई हॉकी खेलता था।”

उन्होंने आगे कहा, हॉकी में भारत के रिकॉर्ड, पदकों की दोहरी हैट्रिक और भारतीय हॉकी टीम के प्रति जो दीवानगी देखी गई, वह अविश्वसनीय थी। खेलों के शिखर ओलंपिक में इतना अच्छा प्रदर्शन करना एक कहानी कहता है। 1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों के बाद भारत को 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के रूप में एक और पदक मिलने में चार दशक लग गए। चार साल बाद 2024 के पेरिस ओलंपिक में एक और कांस्य पदक मिला।

अशोक कुमार का मानना ​​है कि मौजूदा भारतीय टीम में निश्चित रूप से वो सब कुछ है जो उच्चतम स्तर पर सफलता पाने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, हमारी मौजूदा टीम बहुत आत्मविश्वास के साथ खेल रही है और उनमें किसी भी चीज की कमी नहीं है। चाहे तैयारी हो या प्रदर्शन, यह एक बहुत ही मजबूत टीम है। भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमें, दोनों ही अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और अब उनके लिए उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने और चमकने का समय है।

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हिन्दुस्थान समाचार / वीरेन्द्र सिंह

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