गरुआ (कैमरून), 14 अक्टूबर (हि.स.)। कैमरून में 12 अक्टूबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से पहले ही देश के विपक्षी उम्मीदवार इसा चिरोमा ने सोमवार देर रात अपनी जीत का दावा किया और मौजूदा राष्ट्रपति पॉल बिया से पराजय स्वीकार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि “जनता का फैसला स्पष्ट है, और इसे सम्मानित किया जाना चाहिए।”
गुरुआ (उत्तर कैमरून) से फेसबुक पर दिए गए संबोधन में 70 वर्षीय चिरोमा ने कहा, “हमारी जीत स्पष्ट है। जनता ने जो चुना है, उसे स्वीकार किया जाना चाहिए।” चिरोमा, जो पहले सरकार के प्रवक्ता और रोजगार मंत्री रह चुके हैं, ने इस साल की शुरुआत में बिया से अलग होकर विपक्षी दलों और नागरिक संगठनों के गठबंधन के समर्थन से चुनाव लड़ा था।
वहीं, राष्ट्रपति बिया की पार्टी ‘कैमरून पीपल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट (CPDM)’ ने चिरोमा के इस दावे को “भ्रामक और असंवैधानिक” बताते हुए खारिज किया। पार्टी प्रवक्ता जैक्स फेमे नडोंगो ने बयान जारी कर कहा कि “चुनावी परिणाम घोषित करने का अधिकार केवल संवैधानिक परिषद को है।”
गृह प्रशासन मंत्री पॉल अतांगा नजी ने भी चेतावनी दी कि किसी भी उम्मीदवार द्वारा एकतरफा नतीजे जारी करना “देशद्रोह के समान अपराध” माना जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार चुनावी अवधि में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखेगी और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
92 वर्षीय राष्ट्रपति पॉल बिया, जो दुनिया के सबसे बुजुर्ग कार्यरत राष्ट्राध्यक्ष हैं, 43 वर्षों से सत्ता में हैं और यह चुनाव उनका आठवां कार्यकाल पाने का प्रयास है। विश्लेषकों का मानना है कि सरकारी संस्थाओं पर बिया के नियंत्रण और विपक्ष के बिखरे होने से उन्हें बढ़त मिलने की संभावना है, हालांकि देश में आर्थिक सुस्ती और असुरक्षा को लेकर जनता में असंतोष बढ़ा है।
चिरोमा ने मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि “उन्होंने डर और धमकियों की परवाह किए बिना देर रात तक मतदान केंद्रों पर रहकर लोकतंत्र की रक्षा की।” उन्होंने यह भी बताया कि वे जल्द ही क्षेत्रवार मतदान परिणामों का विवरण सार्वजनिक करेंगे।
चिरोमा ने सेना, सुरक्षा बलों और सरकारी अधिकारियों से “शासन नहीं, बल्कि गणराज्य के प्रति निष्ठावान रहने” की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार “जनता के मत का सम्मान नहीं करती”, तो देश अराजकता में डूब सकता है।
कैमरून के चुनावी कानून के तहत अंतिम परिणाम 26 अक्टूबर तक संवैधानिक परिषद द्वारा घोषित किए जाएंगे। देश में 80 लाख से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं और सिंगल-राउंड सिस्टम के तहत सर्वाधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार ही राष्ट्रपति बनता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय