मप्र में कफ सिरप के सेवन से बीमार एक और बच्चे की मौत, मृतकों का आंकड़ा 24 पहुंचा

युगवार्ता    15-Oct-2025
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कोल्ड्रिफ कफ सिरप


छिंदवाड़ा/भोपाल, 15 अक्टूबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन के बाद किडनी फेल होने से बच्चों की मौतों का सिलसिला जारी है। बुधवार सुबह छिंदवाड़ा जिले के चौरई क्षेत्र में एक और मासूम की मौत हो गई। कफ सिरप के सेवन से बीमार हुई साढ़े तीन वर्षीय बच्ची अम्बिका विश्वकर्मा ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जिला प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है। इसके बाद अब मध्य प्रदेश में कफ सिरप से मरने वाले बच्चों की संख्या 24 हो गई है। अभी दो और बच्चे नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं, जिनका उपचार चल रहा है।

परासिया के विकासखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) दीपेन्द्र सलामे ने बताया कि चौरई तहसील के ग्राम ककई बिल्वा निवासी साढ़े तीन वर्षीय अम्बिका विश्वकर्मा की तबीयत सितंबर की शुरुआत में बिगड़ी थी। स्थानीय स्तर पर इलाज से जब कोई सुधार नहीं हुआ तो परिजन उसे 14 सितंबर को नागपुर ले गए थे। वहां डॉक्टरों ने जांच में किडनी फेल होने की पुष्टि की थी। करीब एक महीने तक चले इलाज के बाद बुधवार सुबह अम्बिका की मौत हो गई।

उल्लेखनीय है कि कफ सिरप के सेवन के मरने वाले सभी बच्चों की उम्र पांच साल से कम है। इन बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार हुआ था। सभी बच्चे बाल रोग चिकित्सक डॉ. प्रवीण सोनी के क्लिनिक में पहुंचे थे। डॉक्टर ने कई बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया गया था। बच्चों ने दवाई पी और बुखार उतर गया, खांसी ठीक हो गई, लेकिन दो दिन बाद पेशाब बंद हो गई। परिवारवालों ने छिंदवाड़ा से लेकर नागपुर तक इलाज करवाया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई। आरोप है कि बच्चों की ऐसी हालत डॉक्टर की लिखी कफ सिरप से हुई, जिसे चार साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं देनी थी।

मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद श्रीसन फार्मा की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त की गई थी। चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में सैंपल भेजे गए। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ था। कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6 प्रतिशत जहरीला और अमानक था। सिरप डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं।

जांच के दौरान कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा अधिक होने की पुष्टि के बाद डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ बीएनएस धारा 276 (औषधियों में मिलावट), बीएनएस धारा 105(3) (आपराधिक मानव वध) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 27(ए)(iii) और 26 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले में अब तक कफ सिरप लिखने वाले डॉ. प्रवीण सोनी और दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मा के मालिक गोविंदन रंगनाथन समेत पांच की गिरफ्तारी हो चुकी है।

अब इस मामले में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। डॉ. प्रवीण सोनी ने स्वीकार किया है कि कोल्ड्रिफ प्रिस्क्राइब करने की एवज में उन्हें श्रीसन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से 10 फीसदी कमीशन मिलता था। इतना ही नहीं, कई दवाइयां डॉक्टर की पत्नी और भतीजे की दुकान पर बेची जाती थीं। डॉ. सोनी ने यह बातें अपने मेमोरेंडम बयान में कोर्ट में स्वीकार की है। वहीं, मामला सामने आने के बाद तमिलनाडु स्थित कांचीपुरम में श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी कोल्ड्रिफ सिरप बना रही थी। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने श्रीसन फार्मा का लाइसेंस रद्द कर दिया और कंपनी को आधिकारिक रूप से हमेशा के लिए बंद कर दिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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