कोलकाता, 15 अक्टूबर (हि.स.)। गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने बुधवार को कोलकाता में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई नौसेना भौतिकी एवं समुद्र वैज्ञानिक प्रयोगशाला (एनपीओएल) के लिए एक अत्याधुनिक ध्वनिक अनुसंधान पोत (एकॉस्टिक रिसर्च शिप - एआरएस) की कील रखी। इस अवसर पर डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कमत भी उपस्थित रहे।
इस उन्नत अनुसंधान पोत के निर्माण के लिए अनुबंध अक्टूबर 2024 में जीआरएसई और एनपीओएल के बीच हुआ था। यह पोत कुल 93 मीटर लंबा और 18 मीटर चौड़ा होगा, जिसमें अत्याधुनिक अनुसंधान उपकरण लगाए जाएंगे।
एआरएस चार से 12 नॉट की गति तक संचालित हो सकेगा। अधिकतम गति पर यह पोत एक मिशन में 30 दिनों तक अथवा 4,500 समुद्री मील की दूरी तय करने में सक्षम होगा। इसमें 120 कर्मियों के रहने की व्यवस्था होगी।
यह अनुसंधान पोत विभिन्न प्रकार के ध्वनिक उपकरणों को जल में उतारने, खींचने और वापस लाने में सक्षम होगा। इसके जरिए समुद्र की गहराई में ध्वनि की गति, समुद्री ज्वार-भाटे और धाराओं के अध्ययन के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन सर्वेक्षण किए जाएंगे, जिनका उपयोग समुद्रतल पर उपकरण लगाने और जलमग्न संरचनाओं की डिज़ाइन में किया जाएगा।
पोत के माध्यम से वायुमंडलीय परिस्थितियों का ध्वनि प्रसार पर प्रभाव समझने के लिए मौसम संबंधी सर्वेक्षण भी किए जाएंगे। यह उथले पानी में ध्वनिक गूंज एकॉस्टिक रिवर्वेशन) संबंधी अध्ययन करने में भी सक्षम होगा।
एआरएस में डीजल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली के साथ तीन डेक क्रेन लगाए जाएंगे, जिससे अनुसंधान उपकरणों को संभालना आसान होगा। इसके अलावा, इसमें डायनेमिक पोजिशनिंग सिस्टम भी होगा, जो इसे समुद्री स्थिति चार तक स्थिर बनाए रखेगा।
जीआरएसई को अनुसंधान और सर्वेक्षण पोतों के निर्माण का व्यापक अनुभव है। 1980 और 1990 के दशक में उसने नौसेना के लिए ‘संधायक’ श्रेणी के सर्वेक्षण पोत बनाए थे। 1994 में जीआरएसई ने एनपीओएल के लिए ‘आईएनएस सागरध्वनि’ का निर्माण किया था, जो आज भी सेवा में है और हाल ही में अपने प्रमुख पुनर्निर्माण के लिए फिर से जीआरएसई पहुंचा है।
पिछले दो वर्षों में जीआरएसई ने नौसेना को ‘आईएनएस संधायक’, ‘आईएनएस निर्देशक’ और ‘आईएनएस इक्षक’ जैसे आधुनिक सर्वेक्षण पोत सौंपे हैं। जुलाई 2024 में जीआरएसई ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्र अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के साथ एक उन्नत महासागरीय अनुसंधान पोत के निर्माण के लिए अनुबंध किया था। इसके अलावा, यह शिपयार्ड भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए दो तटीय अनुसंधान पोत भी बना रहा है।
डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कमत ने इस अवसर पर जीआरएसई को बधाई देते हुए कहा, “एनपीओएल द्वारा 1994 से जीआरएसई द्वारा निर्मित सागरध्वनि का संचालन किया जा रहा है और इसने अब तक उत्कृष्ट सेवा दी है। नया पोत इससे कहीं अधिक उन्नत क्षमताओं वाला होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि जीआरएसई निर्धारित समय में इस चुनौतीपूर्ण परियोजना को पूरा करेगा।”
जीआरएसई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कमोडोर पीआर हरी (सेवानिवृत्त) ने दिवंगत डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 94वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शिपयार्ड न केवल युद्धपोत निर्माण में अग्रणी है, बल्कि स्वायत्त प्लेटफार्म, हरित ऊर्जा पोत और पोर्टेबल इस्पाती पुल जैसे नवाचार क्षेत्रों में भी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने बताया कि जीआरएसई फिलहाल देश का एकमात्र शिपयार्ड है जो अनुसंधान पोतों का निर्माण कर रहा है।----------------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर