छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर नक्सल आतंक से मुक्त घोषित : अमित शाह

युगवार्ता    16-Oct-2025
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अमित शाह ने अपने एक्स हेंडल पर लिखा


जगदलपुर, 16 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि छत्तीसगढ़ के आतंक के गढ़ अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर को नक्सल आतंक से मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब दक्षिण बस्तर में नक्सलवाद का नामोनिशान बचा है, जिसे हमारे सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे।

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने आज अपने एक्स प्लेटफार्म पर लिखा कि यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर, जो कभी आतंक का गढ़ हुआ करता था, आज नक्सल आतंक से मुक्त घोषित कर दिया गया है। अब दक्षिण बस्तर में नक्सलवाद का नामोनिशान बचा है, जिसे हमारे सुरक्षा बल शीघ्र ही समाप्त कर देंगे। जनवरी 2024 से छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद 2100 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। 1785 को गिरफ्तार किया गया है और 477 को मार गिराया गया है। ये आंकड़े 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के हमारे दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 6 से घटाकर 3 कर दी गई है। इसी तरह वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की कैटेगरी में भी संख्या 18 से घटाकर सिर्फ 11 कर दी गई है। 31 मार्च, 2026 तक भारत नक्सलवाद के खतरे से मुक्त हो जाएगा। केंद्र सरकार अगले वर्ष 31 मार्च तक नक्सली समस्या को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और गृहमंत्री शाह के मार्गदर्शन में इस वर्ष 2025 ऑपरेशनल सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है, जिसमें 312 वामपंथी कैडरों को मार गिराया गया है। इनमें सीपीआई (माओवादी) महासचिव और आठ अन्य पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया कि कम से कम 836 वामपंथी उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है और 1639 आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक सेंट्रल कमेटी सदस्य शामिल हैं।

मंत्रालय ने कहा कि केंद्र में मौजूदा शासन के दौरान राष्ट्रीय कार्रवाई याेजना और पॉलिसी के कठोर कार्यान्वयन के माध्यम से नक्सली खतरे से निपटने में अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई है, जिसमें बहु-आयामी दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है। मंत्रालय ने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती कहे जाने वाला नक्सलवाद अब स्पष्ट रूप से पीछे हट रहा है।

गाैरतलब है कि नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्रप्रदेश के तिरूपति तक एक लाल गलियारे की योजना बनाई थी। वर्ष 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा की सूचना मिली, लेकिन मार्च 2025 तक यह संख्या गिरकर केवल 18 जिलों तक रह गई थी। वर्तमान में केवल छह को सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों के रूप में क्लासीफाइड किया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे

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