सक्षम व प्रभावशाली तकनीक के उपयोग से विश्व का नेतृत्व कर रहा है नया भारत: जितिन प्रसाद

युगवार्ता    17-Oct-2025
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एमईआईटीवाई के राज्य मंत्री (एमओएस) जितिन प्रसाद देहरादून में शिखर सम्मेलन को संबोधित करते।


- कंप्यूटिंग शक्ति को एक डॉलर प्रति घंटे से भी कम कीमत पर उपलब्ध करा रहे हैं

देहरादून, 17 अक्टूबर (हि.स.)। केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि एआई की ओर से कुंभ के प्रबंधन से लेकर शासन और शिक्षा में बदलाव तक, भारत यह दिखा रहा है कि जो कभी अकल्पनीय था, अब वह संभव है। यह नया भारत है, जो आत्मविश्वास से भरा हुआ है। सक्षम है और प्रभावशाली तकनीक के उपयोग में विश्व का नेतृत्व कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री प्रसाद शुक्रवार को चकराता रोड स्थित एक होटल में उत्तराखंड सरकार के आईटी विभाग और भारत एआई मिशन, एमईआईटीवाई के संयुक्त रूप से आयोजित एक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन के बाद संबाेधित कर रहे थे। इस माैके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 का एक आधिकारिक प्री-समिट कार्यक्रम है, जो 19-20 फरवरी, 2026 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है।

केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि पिछली सदी में परमाणु तकनीक जो मायने रखती थी, वह इस सदी के लिए एआई है। लेकिन इस बार भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि यह अवसर सभी को समान रूप से मिले। हम एक डॉलर प्रति घंटे से भी कम की लागत में विश्वस्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे अनुसंधान, इनोवेशन और सकारात्मक परिवर्तन संभव हो सकेंगे।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमे बायोस्ट नहीं होना चाहिए। पूराने ढर्रे को बदलना है। भारत बदल चुक है और अब यह मानसिकता बदल कर जरुरत पर ध्यान केंद्रित करना है। सोच, पत्राचार को आगे को बढ़ाना है। नई तकनीक जीवन में परिवर्तन ला सकता है। उत्तराखंड में स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने छात्रों को नए टूल्स का उपयोग करने पर जोर देते हुए कहा कि एआई जरुरत है न कि अत्यधिक निर्भरता। एआई एक माध्यम है और मददगार हो सकता है। हमारी इच्छा शक्ति और भूख मिटनी नहीं चाहिए। जीवन में लक्ष्य को अपने अंदर लाना चाहिए। शिक्षा का प्रभाव बढ़ना चाहिए और शोध का रिजल्ट आना चाहिए।

इस माैके पर उत्तराखंड सरकार के आईटी सचिव नितेश कुमार झा ने कहा कि हम नियमित रूप से एआई का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार और हमारे राज्य का व्यापक उद्देश्य केवल एआई का उपयोग करना नहीं, बल्कि एआई का निर्माण करना है। आइए, हम एआई के निर्माता बनें। हमने एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया है और पहला ड्रोन अनुप्रयोग केंद्र भी स्थापित किया है, जहां हम ड्रोन तकनीक में एआई को एकीकृत कर रहे हैं। इसके लिए हमें इस वर्ष प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

प्री-समिट कार्यक्रम में आईआईटी रुड़की,आईआईएम काशीपुर, टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज, यूपीईएस और एसटीपीआई देहरादून जैसे प्रमुख संस्थानों ने हिस्सा लिया। इसमें आईआईएम काशीपुर और एसटीपीआई देहरादून के सहयोग से एआई-आधारित स्टार्टअप्स की ओर से प्रस्तुतियां दी गईं,जिनमें शासन, उद्यमिता और सामाजिक प्रभाव में एआई के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला गया।

सम्मेलन के सत्र में एआई के विकसित परिदृश्य की पड़ताल की गई और युवाओं में रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इसमें छात्रों को जमीनी स्तर पर जाने, मूल कारणों को समझने और वास्तविक सामाजिक प्रभाव पैदा करने वाले विचारों को डिजाइन करने के लिए प्रोत्साहित करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज के कंट्री डायरेक्टर विवेक अग्रवाल की ओर से संचालित एक पैनल चर्चा में शर्मिष्ठा दास, डीडीजी और एचओजी, एआई डिवीजन, एनआईसी मुख्यालय; डॉ. सफल बत्रा, सीईओ, एफआईईडी, आईआईएम काशीपुर; डॉ. दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूसीओएसटी, जीओयूयूके, प्रो.राम शर्मा, कुलपति, यूपीईएस, देहरादून और डॉ. आजम अली, सीईओ, टीआईडीईएस, आईआईटी रुड़की ने हिस्सा लिया।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025 ने भारत-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के लिए एक मंच तैयार किया, जो ग्लोबल साउथ में आयोजित होने वाला पहला वैश्विक एआई फोरम होगा। वैश्विक एआई एजेंडे को आकार देने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को दर्शाते हुए, यह शिखर सम्मेलन देश के “एआई फॉर ऑल” के लक्ष्य पर आधारित है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

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