उपेक्षा, उपहास और विरोध से निकलकर आगे बढ़ा संघ: स्वान्त रंजन

युगवार्ता    02-Oct-2025
Total Views |
स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन


मंच पर मौजूद संघ के अधिकारी गण


मौजूद स्वयंसेवक


संचलन  में शामिल स्वयंसेवक


सेवा बस्ती में पथ संचलन निकालते संघ के स्वयंसेवक


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर आयाेजित हुआ कार्यक्रम

सीतापुर, 2 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन ने कहा कि ''संगठन गढ़े चलो- सुपंथ पर बढ़े चलो, भला हो जिसमें देश का वह काम सब किए चलो'' जीत की इस पंक्ति को मंत्र मानकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व में आज उदाहरण के साथ खड़ा है। संघ की 100 वर्षों की यात्रा में अनेक प्रकार की कठिनाइयां, उतार-चढ़ाव आए, उसे पार करके संघ विचारों के साथ सतत चलता रहा। कुछ लोगों ने प्रयत्न जरूर किया कि संघ का कार्य समाप्त किया जाए! लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शास्त्री नगर बस्ती द्वारा सिंघानिया पब्लिक स्कूल में विजयादशमी के दिन आयोजित एक कार्यक्रम काे सम्बोधित कर रहे थे। प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है, किसी भी उद्देश्य को लेकर चलने वाले कार्य व संगठन के 100 वर्ष पूर्ण होना बड़ी बात है। कई बार लंबे समय तक साथ में कार्य करने से कई प्रकार के भ्रम पैदा हो जाते हैं, रास्ते बदल जाते हैं, लेकिन संघ ने अपने विचारों के साथ कोई समझौता न कर रास्ता नहीं बदला। संघ ने हिंदू समाज के लिए कार्य प्रारम्भ किया था उसमें वह कभी दाएं-बाएं नहीं गया। रंजन ने कहा कि लंबे समय तक चलने वाले संगठनों के कार्यकर्ताओं में मतभेद तक हो जाते हैं, लेकिन संघ के कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों ने सोचा तक भी नहीं कि हम अलग संगठन बनाएं।

राम की तरह चुनौतियों को स्वीकार कर आगे बढ़ा संघरंजन ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान श्री राम को भी लंका पर विजय प्राप्त करने में समस्या आई थी, रावण राम का साधारण शत्रु नहीं था, मेघनाद, कुंभकरण जैसे बलवान राम के सामने थे। वहीं राम की सेना में बंदर और भालू थे, लेकिन पैदल चलने वाले राम ने संकटों का सामना करते हुए विभीषण को छोड़कर रावण के सम्पूर्ण कुल का विनाश कर दिया। यह उदाहरण है कि कोई भी कार्य सत्य, संकल्प और सिद्धि से ही पूर्ण होता है। संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार भी सत्य, संकल्प के धनी थे। उन्हाेंने संकल्प से संघ की स्थापना की थी।

पहले उपेक्षा फिर उपहास बाद में विरोध से आगे बढ़ा संघ कार्य

अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख ने कहा कि 1925 में संघ की शुरुआत के दौरान डॉक्टर हेडगेवार के कार्य को देखकर लोग उन्हें पागल तक कहने लगे थे! हिंदू समाज को एकत्र करने के कार्य का लोग उपहास उड़ाते थे। उस समय लोग कहते थे कि हिंदू समाज को एकत्र करना जिंदा मेंढक तौलने के समान है, लेकिन डॉक्टर हेडगेवार ने उसे करके दिखाया। कुछ विरोधियों ने संघ को समाप्त करने की साजिश भी रची लेकिन वह सफल नहीं हुए। विरोध के बावजूद संघ समाज के बीच और मजबूती के साथ खड़ा हुआ। उन्हाेंने कहा कि आज विश्व में भी लोगों को समझ में आ गया कि संघ क्या है।

तीन प्रतिबंधों के बाद भी आगे बढ़ा संघ

संघ की 100 वर्षों की यात्रा के अनेक प्रसंगों का उदाहरण देते हुए स्वान्त रंजन ने कहा कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या का झूठा आरोप लगाकर हजारों स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया गया। उनके परिवारजनों को परेशान किया गया। लेकिन बाद में स्वयंसेवकों ने देशभर में सत्याग्रह किया‌, मजबूरन सरकार को बिना शर्त 12 जुलाई 1949 को प्रतिबंध हटाना पड़ा। उन्हाेंने कहा कि संघ फिर आगे बढ़ा। उसके बाद 1975 में इमरजेंसी लगाई गई और संघ पर प्रतिबंध दूसरी बार लगाया गया। स्वयंसेवकों ने उसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया। सरकार को फिर प्रतिबंध हटाना पड़ा। उसके बाद 3 जनवरी 1993 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिरने के बाद संघ पर तीसरी बार प्रतिबंध लगा। संघ को विचलित करने के लिए तमाम बाधाएं खड़ी की गई, लेकिन राष्ट्र का सर्वांगीण विकास करने के संकल्प के साथ स्वयंसेवक आगे बढ़ते रहे उसी के बल पर तीसरी बार भी प्रतिबंध हटा।

बच्चों को केवल पैसा बनाने की मशीन ना बनाए हिन्दू समाज

रंजन ने कहा कि समाज को स्वस्थ रखने के लिए सामाजिक परिवर्तन आवश्यक है। सामाजिक समरसता पर्यावरण की सुरक्षा, कुटुंब प्रबोधन, स्व का बोध, और नागरिक कर्तव्यों के प्रति समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने आवाहन किया कि आज के दौर में माता पिता बच्चों को केवल रुपया पैदा करने की मशीन न बनाएं, वह संस्कारित हों, परिवार की चिंता करें, हिंदू संस्कार सीखें। रंजन ने कहा कि संघ का यह संकल्प वर्ष है, इसलिए पंच परिवर्तन को लेकर संघ समाज को जागरुक कर रहा है। लोग अब समझ चुके हैं कि संघ के स्वयंसेवक सेवा भाव लेकर राष्ट्र भावना से कार्य करते हैं। इसलिए समाज अब मजबूती के साथ संघ के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि आज संघ का विरोधी वही है जिस तक हम पहुंचे नहीं। स्वयंसेवकों को ऐसे कुछ लोगों के पास भी शताब्दी वर्ष में पहुंचना होगा। आज संघ की स्वीकारोक्ति हो रही है कार्यकर्ताओं से आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ कार्य की गति बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम के बाद शास्त्री नगर बस्ती में स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथ संचलन निकाला, बस्ती वासियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विभाग संघचालक डॉक्टर हरिपाल, नगर संघचालक विनय, जिला संघ चालक उमाकांत, प्रांत कार्यवाह प्रशांत, विभाग प्रचारक अभिषेक, जिला प्रचारक आकाश, नगर प्रचारक विशाल, जिला कार्यवाह आशीष,नगर कार्यवाह विनीत, भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा,भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश शुक्ला, पूर्व एमएलसी भरत त्रिपाठी, सीतापुर नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि नमीन्द्र अवस्थी, अजय गुप्ता, परीक्षित त्रिपाठी सहित अनेक गणमान्य मौजूद रहे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / Mahesh Sharma

Tags