नई दिल्ली, 02 अक्टूबर (हि.स.)। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के क्लेनमंड में आयोजित 11वें जी20 पार्लियामेंट्री स्पीकर्स समिट (पी20) में विभिन्न सत्रों को संबोधित किया। उन्होंने 'न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन के लिए धन संग्रह' विषय पर सत्र को संबोधित किया और बाद में 'समावेशी विकास और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग' विषय पर सत्र की अध्यक्षता की।
महत्वपूर्ण खनिजों के महत्व पर अपने संबोधन में, हरिवंश ने भारत के राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) - जो कि एक बहु-वर्षीय कार्यनीति है और जो आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक सतत धारणीयता को बढ़ावा देने के लिए घरेलू अन्वेषण, तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को संयोजित करती है- के आधारभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, हमें न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, बल्कि वैश्विक स्थिरता और साझा जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान देने के लिए भी सक्षम मूल्य श्रृंखलाओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, इन प्रयासों के तहत, भारत ने आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने और दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए रणनीतिक भंडार एवं ज्ञान नेटवर्क बनाने का भी लक्ष्य रखा है। इसके लिए, भारत अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि जैसे देशों में सहयोग के रूप में प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और सततधारणीय प्रथाओं का उपयोग करके अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने की प्रक्रिया में लगा है।
एनसीएमएम को वित्त वर्ष 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्षों की अवधि के लिए कार्यान्वित किया जाएगा। इस मिशन पर लगभग 16,300 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य से लगभग 18,000 करोड़ रुपये का निवेश अपेक्षित है। अब तक, सरकार द्वारा कुल 59 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की जा चुकी है।
महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच पिछली जी20 बैठकों का भी एक प्रमुख एजेंडा रहा है। भारत और ब्राजील, जिन्होंने क्रमशः 2023 और 2024 में शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, ने अपने-अपने घोषणापत्रों में इस विषय पर अनुच्छेद शामिल किए थे।
इससे पहले, उपसभापति ने वित्त और ऊर्जा परिवर्तन पर बोलते हुए नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों पर बल दिया।
उन्होंने बताया “भारत नवीकरणीय ऊर्जा संस्थापित क्षमता में चौथे, पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे और सौर ऊर्जा क्षमता में तीसरे स्थान पर है। हमारी सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता में तेजी से वृद्धि हुई है। इस परिवर्तन को प्रमुख लक्षित पहलों, जिनमें 'पीएम सूर्य घर', जिसका उद्देश्य दस मिलियन घरों में रूफटॉप सोलर स्थापित करना है; 'पीएम-कुसुम', जो किसानों को सौर पंप और बिजली संयंत्रों से सशक्त बनाता है; और 'पीएम जनमन', जो समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए दूरदराज के आदिवासी घरों को सौर ऊर्जा से बिजली प्रदान कर रहा है शामिल हैं, द्वारा गति प्रदान की जा रही है । उन्होंने अन्य देशों की संसदों से जलवायु संबंधी वित्तीय प्रतिबद्धताओं की निगरानी करने का भी आह्वान किया ताकि धन का पारदर्शी और प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी