(अपडेट) गंगोत्री धाम के 22, यमुनाेत्री व बाबा केदार धाम के 23 अक्टूबर और बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर होंगे बंद, कपाट बंद होने के उत्सवों से जुड़ना भी सौभाग्य

युगवार्ता    02-Oct-2025
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बदरी-केदार समिति की बैठक में मौजूद तीर्थ पुरोहित व अन्य।


देहरादून, 2 अक्टूबर (हि.स.)। शीतकाल के दौरान उत्तराखंड के चार धाम के कपाट बंद होने की तिथि तय कर दी गई है। इस वर्ष बाबा केदारनाथ के कपाट

23 अक्टूबर और बाबा बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को रीति-रिवाज और प्राचीन परंपराओं के साथ बंद कर दिए जाएंगे। इसी तरह 22 अक्टूबर को गंगोत्री धाम और 23 अक्टूबर को यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होंगे। इसके अलावा द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 18 नवंबर ब्रह्म मुहुर्त और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 6 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे।

राज्य के चारों धामों के कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तराखंड की सशक्त आध्यात्मिक व सांस्कृतिक परंपराएं जीवंत हो उठती हैं। श्री पंच गंगोत्री मंदिर समिति की बैठक में कपाट बंद होने का निर्णय लिया गया। अन्नकूट पर्व पर गंगोत्री के कपाट हर साल बंद होते हैं। इस साल 23 अक्टूबर को अन्नकूट पर्व पर मां गंगोत्री के कपाट बंद होंगे। गंगोत्री अपने मायके मुखवा (मुखीमठ) पहुंचेगी। गंगोत्री का शीतकालीन वास छह माह मुखवा गांव में रहेगा। मुखवा गांव के लोग कपाट खुलने पर गंगा को बेटी की तरह विदा करते हैं। मुखवा गांव में भी गंगा की वापसी की तैयारियों शुरू हो गई हैं। गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल बताते हैं कि इस साल मानसून की बारिश में गंगोत्री यात्रा पर काफी असर रहा। यात्री कम संख्या में गंगोत्री धाम पहुंचे।

विजय दशमी के दिन यमुनोत्री मंदिर समिति की बैठक में यमुनोत्री के कपाट बंद करने की तिथि तय कर दी गई। 23 अक्टूबर को भैया दूज दिन यमुनोत्री धाम

के कपाट बंद होंगे। इस दिन पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां यमुना की डोली को लेने शनि महाराज खरसाली से यमुनोत्री पहुंचते हैं।खरसाली गांव में एक प्राचीन शनि मंदिर है और इसी मंदिर में यमुनोत्री का शीतकालीन वास होता है। खरसाली गांव के लोग यमुना की घर वापसी की तैयारियों में अभी जुट गए हैं। मान्यता है कि सूर्य पूत्र शनि, यम और यमी (यमुना) तीनों भाई बहन है और यमुना के ये दोनों भाई सदैव यमुना की विशेष पूजा करते हैं। यही वजह है कि भैयादूज के दिन यमुना में भाई-बहन का स्नान पवित्र माना जाता है।

इसी तरह बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने भी केदारनाथ और बदरीनाथ के धाम के कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा कर दी है। बीकेटीसी के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने आज बताया कि आज की बैठक में पंचांग गणना के बाद एकादश ज्यार्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट 23 अक्टूबर को बंद होंगे। कपाट बंद होने के बाद ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ विराजमान रहेंगे और छह माह तक ओंकारेश्वर में ही भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना की जाएगी। केदारनाथ से जाने के बाद एक रात्रि गुप्तकाशी स्थित भगवान विश्वनाथ मंदिर में बाबा केदारनाथ विश्राम करेंगे।

द्विवेदी ने बताया कि बाबा बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार 25 नवंबर को अपराह्न 2 बजकर 56 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे । कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत 21 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू होंगी। भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही उधवजी, श्री शंकराचार्य गद्दी, कुबेरजी की भव्य यात्रा में शामिल होना भी बड़ा सौभाग्य माना जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल

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