इस्लामाबाद, 21 अक्टूबर (हि.स.)। पाकिस्तान में कराची सहित अन्य शहरों में दिवाली बड़े धूमधाम से मनाई गई और यहां के नेताओं ने दुनिया भर में रह रहे हिंदुओं को इस पर्व की शुभकामनाएं दीं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सोमवार को अपने संदेश में कहा, “दिवाली अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व सभी को आशा, सकारात्मकता और एकता की याद दिलाता है।”
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर कहा, जैसे दिवाली की रोशनी से घर और दिल जगमगा रहे हैं, वैसे ही यह त्योहार अंधकार को दूर करे, सद्भाव को बढ़ावा दे और हम सभी को शांति, करुणा और साझा समृद्धि के भविष्य की ओर ले जाए।
रिपोर्टों के अनुसार, दिवाली पर सिंध और दक्षिणी पंजाब के कई मंदिरों और कराची के स्वामीनारायण मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किये गये, जहां परिवारों ने गणेश लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और समृद्धि व शांति का आशीर्वाद प्राप्त किया।
पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ ने भी दिवाली की शुभकामनाएं दीं और कहा, “दिवाली शांति, सद्भावना और सौहार्द का संदेश लेकर आती है।” उन्होंने अल्पसंख्यक कल्याण के लिए पहलों की भी घोषणा की, जिनमें न्याय तक प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षित पंजाब विज़न के तहत एक 'विशेष अल्पसंख्यक कार्ड' और एक 'अल्पसंख्यक वर्चुअल पुलिस स्टेशन' शामिल है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी कहा, “दिवाली सभी को याद दिलाती है कि प्रकाश हमेशा अंधकार पर विजय प्राप्त करता है।”
दिवाली के अवसर पर कराची के बाजारों में काफी चहल-पहल दिखी और दुकानें मिट्टी के दीयोंसहित अन्य सामानों से सजी हुई थीं। यहां के हिंदू समुदाय ने भक्ति, उत्सव और अच्छाई व एकता में विश्वास को बरकरार बनाए रखने की कामना को लेकर दिवाली मनाई। अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक इस त्योहार पर मंदिरों और घरों में मिट्टी के दीयों की चमक, धूप की सुगंध बिखरी रही।
लाहौर में रावी रोड स्थित ऐतिहासिक कृष्ण मंदिर पर अल्पसंख्यक 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम के अयोध्या लौटने के नाटकीय दृश्य को देखने के लिए एकत्रित हुए। दीयों की रोशनी, मिठाइयों का आदान-प्रदान और रंगोली ने रात को गर्मजोशी और रंगों से भर दिया, जो एक स्थायी सांस्कृतिक भावना को दर्शाता है। यही भावना बलोचिस्तान के रेगिस्तानी गाँवों के साथ-साथ थार में भी गूंजी, जहां समुदायों ने पारंपरिक सादगी के साथ उत्सव मनाया। घरों और मंदिरों के बाहर मिट्टी के दीयों की जगमगाहट थी। इसके अलावा यहाँ सामूहिक प्रार्थनाएं और गीत शाम भर गूंजते रहे।
पाकिस्तानी समाचार पत्र के मुताबिक, दिवाली के अवसर पर धर्मार्थ संगठनों ने वंचित परिवारों के बीच भोजन और उपहार वितरित किये।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी