-हिंदू-सिख एकता का संदेश देगा अमृतसर
चंडीगढ़, 21 अक्टूबर (हि.स.)। अमास्या तिथि के उदय को लेकर चल रहे संश्य के बीच अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब में मंगलवार को बंदी छोड़ दिवस का आयोजन किया जा रहा है। पंजाब में कई स्थानों पर दीपावली का पर्व सोमवार को मनाया जा चुका है जबकि कई जिलों में बंदी छोड़ दिवस तथा दीपावली एक ही दिन मनाए जाने की परंपरा के चलते मंगलवार को आयोजन किया जा रहा है।
दरबार साहिब में आज सुबह से देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आज यहां सामान्य दिनों के मुकाबले डेढ़ से दो लाख संगत के आने की संभावना जताई जा रही है। स्वर्ण मंदिर में आज शाम एक लाख घी के दीपक जलाए जाएंगे और रंग-बिरंगी आतिशबाजी के साथ रोशनी की जगमगाहट होगी। वहीं, दुर्गियाणा मंदिर में श्रद्धालु भगवान श्रीराम के 14 वर्षों बाद अयोध्या लौटने की खुशी में दिवाली पर्व मनाएंगे। इस दौरान 3 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
श्री हरिमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह ने बताया कि बंदी छोड़ दिवस रोशनी के साथ-साथ आजादी और न्याय का प्रतीक है। गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने ग्वालियर किले में कैद 52 राजाओं को मुक्त कराया और अमृतसर लौटे थे। उनकी वापसी पर संगतों ने घी के दीपक जलाकर, दीयों की मालाएं सजाकर दीपमाला और आतिशबाजी के साथ खुशियां मनाई थी। तब से यह दिन हर साल बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा कि बंदी छोड़ वही है, जो दूसरों को भी मुक्त करे। यह दिन आत्मिक आजादी, मानव अधिकारों की जीत और अन्याय के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। हर साल की तरह इस बार भी श्री हरिमंदिर साहिब दीपों से जगमगाएगा और दुनिया भर में बसे सिख संगत इस दिन को गुरु हरगोबिंद साहिब जी की याद में आजादी की मिसाल के रूप में मनाएंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा