कुआलालंपुर, 26 अक्टूबर (हि.स.)। 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में रविवार को भारत और आसियान देशों ने सतत पर्यटन को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। संयुक्त बयान में हरित, नीली और परिपत्र अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों पर आधारित पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
मलेशिया में आज आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया। बयान में कहा गया कि भारत और आसियान देश हरित, नीली और परिपत्र अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों पर आधारित पर्यटन को बढ़ावा देंगे। इसका उद्देश्य पर्यावरण-सम्मत और समुदाय-आधारित पर्यटन को बढ़ाना है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त हो और पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। इस पहल के तहत सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण, संसाधनों का दक्ष उपयोग और जैव विविधता की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि पर्यटन को पर्यावरणीय, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिरता के तीन प्रमुख स्तंभों पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए आसियान और भारत के बीच सूचना साझा करने, क्षमता निर्माण और संस्थागत सहयोग को मजबूत किया जाएगा। पर्यटन स्थलों पर ‘रिड्यूस, रीयूज़ और रीसायकल’ के सिद्धांत अपनाने, प्लास्टिक-मुक्त व्यवस्था, नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग और ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ जैसी पहलें लागू करने का आह्वान किया गया।
बयान के अनुसार पर्यटन उद्योग में कार्बन उत्सर्जन कम करने, अपशिष्ट प्रबंधन सुधारने और प्रदूषण घटाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक मानकों के पालन के साथ, प्रदूषण-संवेदनशील स्मारकों के आसपास स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा आसियान सेंटर फॉर एनर्जी और भारत के ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) को नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग में सहयोग बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई।
बयान में जैव विविधता संरक्षण पर भी जोर दिया गया। इसके तहत नए पर्यटन उत्पाद विकसित करने, जिम्मेदार पर्यटन को प्रोत्साहित करने और भारत के पर्यावरण मंत्रालय व आसियान सेंटर फॉर बायोडायवर्सिटी के बीच परियोजनाएं विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया। स्थानीय समुदायों, महिलाओं और युवाओं को पर्यटन और संरक्षण दोनों में भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाएगा।
आर्थिक स्थिरता के क्षेत्र में रोजगार सृजन, आय वृद्धि और स्थानीय समुदायों के लाभ सुनिश्चित करने पर बल दिया गया। पर्यटन से जुड़े उद्यमों को प्रशिक्षण और निवेश सहयोग प्रदान कर स्वावलंबी बनाने की बात कही गई। इसी तरह, डिजिटल तकनीकों के उपयोग से पर्यटन स्थलों के प्रबंधन और यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा गया।
सांस्कृतिक दृष्टि से, ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे। स्थानीय भोजन, शिल्प और फैशन के माध्यम से पर्यटन को जोड़कर समुदायों की आजीविका में सुधार का लक्ष्य रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि आसियान और भारत के बीच पर्यटन सहयोग 2012 में हुए समझौते के बाद लगातार मजबूत हुआ है। वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, जो दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई देगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा