मप्र के भोपाल में ऑटो ड्राइवर ने दी तीन लोगों काे नई जिंदगी, अंगदान से मिला जीवन

युगवार्ता    26-Oct-2025
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गार्ड ऑफ ऑनर के साथ दी गई अंगदाता को अंतिम विदाई


- गार्ड ऑफ ऑनर के साथ दी गई अंगदाता को अंतिम विदाई

भोपाल, 26 अक्टूबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रविवार को एम्स के तीन ऑपरेशन थिएटरों में एक साथ जिंदगी और मौत की कहानी लिखी गई। यहां 37 वर्षीय ऑटो चालक की ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिवार ने उसके दिल और दोनों किडनियां दान करने का फैसला लिया। सुबह 4 बजे तीन ऑपरेशन थिएटरों (ओटी) में एक साथ यह भावनात्मक और जटिल प्रक्रिया शुरू हुई। एक ओटी में डॉक्टरों ने युवक के शरीर से दिल और किडनियां निकालीं, वहीं दूसरे में इन्हीं अंगों से किसी की धड़कन और किसी की उम्मीद फिर से चल पड़ी। अब उसी युवक का दिल 40 वर्षीय महिला के सीने में धड़क रहा है, जबकि दोनों किडनियां अलग-अलग मरीजों को नई जिंदगी दे रही हैं। एक किडनी एम्स में प्रत्यारोपित हुई और दूसरी को बंसल अस्पताल ग्रीन कॉरिडोर से पहुंचाया गया।

अंगदान करने वाले युवक के भाई भारत पाटिल ने बताया कि मेरा भाई सोते समय बिस्तर से गिरा था, जिससे उसके सिर पर चोट आई। हम उसे लेकर 21 अक्टूबर को सीधे एम्स आए थे। लंबे इलाज के बाद डॉक्टर ने बताया कि वे ब्रेन डेड हो चुके हैं। हमारे पूरे परिवार ने तय किया कि हमारा भाई तो नहीं बच सकता, लेकिन वह जाते-जाते तीन लोगों को नया जीवन और किसी के जीवन में रोशनी भरने का काम कर सकता है। इसलिए हमने डॉक्टरों की सलाह अंगदान के लिए मंजूरी दी। अंगदान से लेकर ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम भूमिका कोऑर्डिनेटर दिनेश मीणा ने निभाई।

एम्स भोपाल में यह दूसरी बार है, जब एक ब्रेन डेड मरीज तीन लोगों की जिंदगी बचाने का जरिया बना। डॉक्टरों की टीम पूरी रात से तैयारी में जुटी रही। जैसे ही घड़ी में 4 बजे जीवनदान की यह जटिल प्रक्रिया शुरू हुई। एम्स में ही दूसरी तरफ दो ऑपरेशन थिएटर में दो मेजर सर्जरी हुईं। एक मरीज में हार्ट ट्रांसप्लांट किया तो वहीं दूसरे मरीज में किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया की गई। वहीं, एक किडनी ट्रांसप्लांट बंसल अस्पताल भेजी गई। भोपाल एम्स में अंगदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंगदाता को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गई।

एम्स मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि 37 वर्षीय युवक कुछ दिन पहले हेड इंजरी के साथ एम्स भोपाल में भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान उसका ब्रेन रिस्पॉन्स पूरी तरह बंद हो गया। ऐसे में परिवार की सहमति मिलने पर डॉक्टरों ने पहले सभी रिवर्सिबल कारण जैसे दवा, शॉक और हाइपोथर्मिया को दूर किया। इसके बाद चार डॉक्टरों की टीम ने 6 घंटे के अंतराल पर दो बार जांच की। टीम ने पुतली, कॉर्नियल, गग, कफ, ऑकुलोसेफेलिक, ऑकुलोवेस्टिब्युलर और श्वसन (एपनिया) रिफ्लेक्स की जांच की। सभी रिफ्लेक्स अनुपस्थित पाए गए और एपनिया टेस्ट पॉजिटिव आया। इसके बाद शनिवार देर शाम युवक को ब्रेन डेड घोषित किया गया जिसे कानूनी रूप से मृत्यु मानी जाती है।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि ऐसे सभी डोनर्स को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। साथ ही, जिन परिवारों को आर्थिक सहायता की आवश्यकता होगी, उन्हें मदद भी प्रदान की जाएगी। इसी घोषणा के तहत पूरी प्रक्रिया पूरी की गई है। ट्रांसप्लांट सफल रहा है।

इन्होंने अंगदान व प्रत्यारोपण में निभाई अहम भूमिका

ब्रेन डेड घोषणा- डॉ. विकास गुप्ता (एमएस), डॉ. सुमित राज (न्यूरोसर्जरी), डॉ. ज्योत्सना कुबरे (एनेस्थीसिया) और डॉ. राजा वडिवेल (न्यूरोसर्जरी) कार्डियोथोरेसिक सर्जरी- डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. एम. किशन, डॉ. सुरेन्द्र यादव, डॉ. राहुल शर्मा, डॉ. विक्रम वाट्टी, डॉ. आदित्य सिरोही यूरोलॉजी- डॉ. देवाशीष कौशल, डॉ. कुमार माधवन, डॉ. केतन मेहरा नेफ्रोलॉजी- डॉ. महेन्द्र अटलानी एनेस्थीसियोलॉजी- डॉ. वैशाली वैंदेसकर, डॉ. सुनैना तेजपाल कर्णा, डॉ. ज़ैनब हक, डॉ. हरीश कुमार

किडनी ट्रांसप्लांट में भोपाल आगे

भोपाल के दो प्रमुख सरकारी अस्पताल, एम्स और हमीदिया में किडनी ट्रांसप्लांट रफ्तार पकड़ रहा है। एक तरफ एम्स में 11 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, जिसमें से 3 कैडेवरिक ऑर्गन (यानी ब्रेन डेड मरीज से मिली किडनी) ट्रांसप्लांट थे। वहीं, गांधी मेडिकल कॉलेज में 10 किडनी ट्रांसप्लांट हुए और यह सभी लाइव थे। यानी परिजनों ने अपनों को नया जीवन देने के लिए अपनी किडनी दान की। इसके अलावा, भोपाल का बंसल अस्पताल 400 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कर चुका है। इन दोनों कैटेगरी (सरकारी और निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट) में भोपाल प्रदेश में सबसे आगे हैं।----------------------

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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