जीरो बंधा से युवा वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक उड़ान, उत्तर भारत में पहली बार चार कैनसैट की सफल लॉन्चिंग

युगवार्ता    27-Oct-2025
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आसमान में उड़ान भरते कैनसैट


इस प्रतियोगिता में देश के 47 कॉलेजों के छह सौ प्रतिभागियों में 133 छात्राए हैंं शामिल

देवरिया, 27 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय वैज्ञानिक नवाचार के इतिहास में सोमवार का दिन तमकुहीराज के जीरो बंधा स्थित जंगलपट्टी गांव सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। राष्ट्रीय इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री/कैनसैट इंडिया स्टूडेंट कंप्टीशन 2024-25 के पहले दिन देशभर से आए युवा वैज्ञानिकों के निर्मित चार कैनसैट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इन-स्पेस के निदेशक डॉ. विनोद कुमार ने उत्तर भारत में पहली बार एक साथ चार कैनसैट की लॉन्चिंग को सफल बताया।

आज सुबह 7:30 बजे, देवरिया लोकसभा क्षेत्र के सांसद शशांक मणि और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के निदेशक डॉ. विनोद कुमार ने झंडी दिखाकर कैनसैट लदे वाहन को वर्किंग एरिया से लॉन्च पैड के लिए रवाना किया। छठ पर्व को देखते हुए आम लोगों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए सोमवार को निर्धारित 10 कैनसैट में से केवल चार ही लॉन्च किए गए और ये सभी लॉन्च शत-प्रतिशत सफल रहे। ये कैनसैट लगभग 10 मिनट के अंतराल पर प्रक्षेपित किए गए। इस अवसर पर दर्शकों और वैज्ञानिक रोमांचित दिखे।

उत्साह से लबरेज था पिपराघाटलॉन्चिंग की इस अद्भुत प्रक्रिया को देखने के लिए जीरो बंधा स्थित जंगलपट्टी पर लोगों की भीड़ में उत्साह दिखा। सुरक्षा के मद्देनजर लॉन्चिंग पैड से लगभग सवा किलोमीटर का एरिया आरक्षित किया गया था। राम जानकी मंदिर के पास बनी दर्शक दीर्घा में आम लोगों की उत्सुकताभरी भीड़ ने माहौल को जीवंत बना दिया। हर 10 मिनट के अंतराल पर कैनसैट के लॉन्च होने पर आसमान में उनकी उड़ान को लेकर लोगों में गजब का कौतूहल था। जैसे ही कैनसैट पेलोड पैराशूट की मदद से धीरे-धीरे नीचे उतरते दर्शक उत्साहभरी नजरों से उन्हें देख कर अपनी खुशी साझा कर रहे थे।

युवा प्रतिभा को निखारना हमारा लक्ष्य: डॉ विनोदइन–स्पेस के डायरेक्टर डॉ. विनोद ने कहा कि आज हमने पहली बार उत्तर भारत में एक साथ चार कैनसैट की सफल लॉन्चिंग कराई है। इन कैनसैट का आकार 7000 से ज्यादा सेंटीमीटर क्यूब था, जिन्हें छात्रों ने खुद निर्मित किया था। यह अपने आप में बड़ी बात है। इस प्रतियोगिता में कुल 71 टीमें भाग ले रही हैं। उन्होंने बताया कि आज 10 कैनसैट लॉन्च करने का प्लान था, लेकिन त्योहार के मद्देनजर हम लोगों ने चार ही कैनसैट लॉन्च कराए। हमारी कोशिश है कि युवाओं की प्रतिभा को और निखारा जाए। इस सफल लॉन्चिंग के लिए मैं प्रतिभागी छात्रों, अपने चेयरमैन डॉ. पवन गोयनका, देवरिया के सांसद शशांक मणि जी, मैनेजमेंट व जूरी टीम को धन्यवाद देता हूं।

देवरिया लोकसभा क्षेत्र में बही नवाचार की हवा: सांसददेवरिया लोकसभा क्षेत्र से सांसद शशांक मणि ने कहा कि यह आयोजन दर्शाता है कि देवरिया लोकसभा क्षेत्र से नवाचार की हवा बह चली है। यही मौका है, इस प्रतिभा को आगे बढ़ाते हुए विकसित भारत के सपने को साकार करने का। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले कुछ सालों में यह लोकसभा क्षेत्र वैज्ञानिक और तकनीकी नेतृत्व कर्ता बनकर उभरेगा। उन्होंने पहले दिन के चार कैनसैट की सफल लॉन्चिंग के लिए इन-स्पेस के चेयरमैन, डायरेक्टर और सभी प्रतिभागी छात्रों को धन्यवाद दिया।

तकनीकी निगरानी और रिकवरी ऑपरेशनलॉन्चिंग के दौरान सुरक्षा और तकनीकी डेटा की निगरानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। ऑब्जर्वेशन एरिया में बैठे जूरी सदस्य और लॉन्चिंग टीम एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लॉन्च पैड की गतिविधियों को लगातार मॉनिटर कर रही थी। वॉलंटियर्स को गतिविधियाँ देखने के लिए स्टेज पर अलग से बड़ी एलईडी का इंतजाम किया गया है। लॉन्च साइट की निगरानी कुल आठ हाई क्वालिटी के कैमरों से की जा रही है। लॉन्च के बाद, नारायणी नदी में गिरे दो कैनसैट पेलोड को रिकवरी टीम तत्काल रिकवर करने में सफल रही।

विजेता टीम के लिए पांच–पांच ट्रॉफीप्रतियोगिता में देश के 47 कॉलेजों से आए कुल छह सौ प्रतिभागियों में 133 छात्राएं शामिल हैं। इस राष्ट्रीय मंच पर प्रतिभा दिखाने वाली विजेता टीमों को रॉकेट्री और कैनसैट कंपटीशन के लिए जूरी की ओर से पांच-पांच ट्राॅफी दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, कंपटीशन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो उनके शैक्षणिक रिकॉर्ड में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में दर्ज होगा। अब यह महाकुंभ 30 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें बाकी 67 कैनसैट और रॉकेट मॉडल्स लॉन्च किए जाएंगे।

महिला शक्ति की उड़ानपिपराघाट में आयोजित इस राष्ट्रीय वैज्ञानिक महाकुंभ में लोगों ने सिर्फ कैनसैट ही नहीं बल्कि महिला शक्ति के मजबूत इरादों की उड़ान भी देखी। राष्ट्रीय इन-स्पेस मॉडल रॉकेट्री/कैनसैट इंडिया स्टूडेंट कंप्टीशन 2024-25 में भाग ले रहे कुल छह सौ युवा वैज्ञानिकों में 133 छात्राओं ने महिला वैज्ञानिकों के बढ़ते कदम को दर्शाया। इन छात्राओं ने अपने बनाए हुए कैनसैट मॉडल्स की तकनीकी जटिलताओं को न सिर्फ समझा, बल्कि उन्हें सफलतापूर्वक लॉन्च कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। एवियोनिक्स से लेकर लॉन्च व्हीकल स्ट्रक्चर तक, हर तकनीकी पहलू पर उनकी पकड़ मजबूत दिखी। इन-स्पेस निदेशक डॉ. विनोद कुमार ने भी इस रिकॉर्ड भागीदारी की सराहना की है। यह प्रतियोगिता एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्र में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में भारतीय महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को मजबूत करेगा।

क्या है कैनसैटकैनसैट एक छोटा शैक्षिक उपग्रह मॉडल है, जिसका आकार लगभग एक सोडा कैन जितना होता है। इसे छात्रों को उपग्रह डिजाइन और अंतरिक्ष मिशन की मूल अवधारणाओं का व्यावहारिक अनुभव देने के लिए विकसित किया गया है। छोटे मॉडल रॉकेट से लगभग एक किलोमीटर की ऊंचाई तक भेजे जाने के बाद यह पैराशूट की मदद से नीचे उतरते हुए तापमान, दबाव, ऊंचाई और जीपीएस डेटा जैसी जानकारियां एकत्र करता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / ज्योति पाठक

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