
भोपाल, 30 अक्टूबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जो चीता पूरे एशिया से गायब हो गया था, उन चीतों के पुनर्स्थापन का प्रयास विश्व में कई जगह हुआ, लेकिन हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वाद से मध्य प्रदेश में चीता पुनर्स्थापन का ऐतिहासिक कार्य हुआ। यह पुनर्स्थापना पहले पालपुर कूनो और बाद में राज्य के अंदर ही गांधी सागर में हुआ है। बहुत जल्द नौरादेही एक और अभयारण्य बनने वाला है। इसमें अफ्रीका, नामीबिया से चीते लाकर छोड़े जाएंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव गुरुवार को खण्डवा में मां नर्मदा के तट पर मगरमच्छ छोड़ने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश नदियों का मायका है। मध्य प्रदेश में ईश्वर के आशीर्वाद से थलचर, जलचर और नभचर सभी प्रकार के जीव स्वच्छंद रूप से अपना जीवन यापन करते हैं। आज ओंकारेश्वर में मां नर्मदा के निर्जन स्थान पर मगरमच्छ प्राकृतिक आवास पर छोड़े गए हैं। मां नर्मदा के वाहन मगरमच्छ हैं, जो मध्य प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि मां नर्मदा के प्रवाह में चार मादा दो नर मगर छोड़े गए हैं। उन्हों ने कहा कि प्रदेश में घड़ियाल और मगरमच्छ, चम्बल, सोन बरगी और अन्य नदियों में हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल का ईको -सिस्टम पर्यावरण की भी रक्षा करता है। जिस प्रकार मां नर्मदा का आशीर्वाद सबको मिलता है, मां नर्मदा अपने वाहन मगर को भी आशीर्वाद दे और प्राकृतिक रूप से स्वच्छता का यह कार्य होता रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने खंडवा जिले में हुए इस शुभ कार्य के लिए और प्रदेश की स्थापना दिवस के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी। इस अवसर पर वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने माँ नर्मदा नदी में 6 मगरमच्छों का कराया जलप्रवेश
इससे पहले मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खंडवा जिले के नर्मदानगर (पुनासा) में विधिवत रूप से पूजन कर वन विहार भोपाल से लाये गये 6 मगरमच्छों को मां नर्मदा नदी के सलिल जल में स्वच्छंद छोड़ा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जीवों के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध है। माँ नर्मदा का वाहन माने जाने वाले मगरमच्छों को उनके नैसर्गिक आवास में पुनर्स्थापित करना हमारी सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी है। मगरमच्छों के आवास के लिए यह अत्यंत अनुकूल है और उनकी उपस्थिति से नदी का पारिस्थितिक तंत्र एवं जल प्रवाह और अधिक सुदृढ़ होगा। यह महत्वपूर्ण पहल प्रदेश में चल रहे व्यापक वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला का एक हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में वन्यजीवों के साथ ही मगरमच्छ जलीय जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन में निरंतर वृद्धि होगी। प्रदेश में सभी प्रकार के जीवों के संरक्षण अभियान के तहत भारतीय संस्कृति में मनुष्य एवं वन्यजीव परस्पर एक दूंसरे पर निर्भर हैं। मगरमच्छ जलीय पारिस्थितिक तंत्र की अहम कड़ी है। इंदिरा सागर परियोजना के बैक वाटर क्षेत्र में माँ नर्मदा के वाहन के संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से पूर्ण अनुकुल माहौल उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के समक्ष वन विभाग के अधिकारियों ने प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना एवं जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि सामान्य वनमण्डल खण्डवा के कुल वनक्षेत्र- 283773.23 हेक्टेयर अंतर्गत प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभ्यारण्य का कुल क्षेत्रफल 61407.09 हेक्टेयर है। जिसमें खंडवा वनमंडल अंतर्गत पुनासा, मूंदी, चांदगढ़, बलडी परिक्षेत्र शामिल हैं, वहीं देवास वनमंडल के सतवास, कॉटाफोड, पुंजापुरा, उदयनगर आदि परिक्षेत्र शामिल हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर