नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (हि.स.)। भारत ने अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के बीच टकराव में खुल कर अफगानिस्तान का पक्ष लिया है और पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में चेताया है कि उसके दोनों पड़ोसियों को सीमापार आतंकवाद फैलाने की नीति स्वीकार नहीं है। भारत ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में कुनार नदी पर प्रस्तावित बांध बनाने के लिए वह अफगान सरकार को पूरा सहयोग देगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को यहां नियमित ब्रीफिंग में अफगानिस्तान सरकार के कुनार नदी पर बांध बनाने के प्रस्ताव में भारत की भूमिका से जुड़े एक सवाल पर कहा, जैसा कि हाल ही में पारित भारत-अफग़ानिस्तान संयुक्त वक्तव्य में ज़ोर दिया गया है, भारत अफग़ानिस्तान के सतत जल प्रबंधन में, जिसमें जलविद्युत परियोजनाएं भी शामिल हैं, सहयोग देने के लिए तैयार है। दोनों देशों के बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें सलमा बाँध भी शामिल है, जिसे आज भारत-अफ़ग़ानिस्तान मैत्री बांध कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान से बहकर आने वाली कुनार नदी पाकिस्तान में पानी की आपूर्ति के लिए बहुत अहम स्रोत मानी जाती है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान में खलबली मच गयी है और पाकिस्तानी नेताओं ने इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की है। दरअसल इस नदी पर पानी रुकने से पाकिस्तान में सूखे के हालात बन सकते हैं क्योंकि एक तरफ से भारत ने भी सिंधु जल संधि पर रोक लगा रखी है।
अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के बीच में सीमावर्ती इलाकों में टकराव एवं सैन्य संघर्ष से जुड़े एक सवाल पर जायसवाल ने पिछली ब्रीफिंग में दिये गये वक्तव्य को दोहराया। उन्होंने कहा, पाकिस्तान इस बात से नाराज़ है कि अफग़ानिस्तान अपने ही क्षेत्रों पर संप्रभुता को स्थापित कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान को लगता है कि उसे किसी सजा के भय के बिना, अपनी मर्जी से सीमा पार आतंकवाद करने का अधिकार है। उसके पड़ोसी इसे अस्वीकार्य मानते हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, भारत अफग़ानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
अफगानिस्तान एवं मध्य एशियाई देशों के लिए व्यापार के अहम द्वार ईरान में भारत के सहयोग से विकसित चाबहार बंदरगाह को लेकर अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों से छूट दिये जाने के बारे में एक सवाल पर प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि भारत को अमेरिका से छह माह की छूट मिल गयी है। यह छूट बुधवार, 29 अक्टूबर से प्रभावी है। प्रवक्ता ने कहा, हमें बंदरगाह पर लागू अमेरिकी प्रतिबंधों से 6 महीने की छूट दी गई है।
सोशल मीडिया पर ताजिकिस्तान सरकार द्वारा भारतीय वायुसेना के आयनी अड्डे को वापस लिये जाने संबंधी प्रसारित रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर जायसवाल ने कहा कि ताजिकिस्तान सरकार के साथ वायुसैनिक अड्डे के लॉजिस्टिक्स के लिए उपयोग संबंधी समझौता समाप्त होने के बाद भारत ने इसे वर्ष 2022 में ही वापस कर दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया