

लंदन, 31 अक्टूबर (हि.स.)। ब्रिटेन के राजा चार्ल्स (तृतीय) ने आखिरकार अपने छोटे भाई प्रिंस एंड्रयू (65) से उनकी बची हुई सभी शाही उपाधि, सम्मान और विशेषाधिकार छीन लिए। साथ ही उन्हें विंडसर स्थित आवास रॉयल लॉज से बाहर निकलने का आदेश भी दिया है। किंग चार्ल्स को जन दबाव के आगे झुकते हुए यह घोषणा करनी पड़ी। उन्हें यह कठोर फैसला दिवंगत बाल यौन शोषण के आरोपित जेफरी एप्स्टीन से ड्यूक ऑफ यॉर्क के संबंधों पर दोबारा उठे विवादों के बाद करना पड़ा। पीड़ित वर्जीनिया गिफ्रे के परिवार ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए इसे अपनी जीत बताया है।
द इंडिपेंडेंट अखबार की इस घटनाक्रम पर केंद्रित रिपोर्ट के अनुसार वर्जीनिया गिफ्रे के संस्मरण के प्रकाशन के बाद राजा पर भी कई तरह के सवाल उठे। संस्मरण में आरोप लगाया कि प्रिंस एंड्रयू ने कम उम्र (नाबालिग) में उनका यौन शोषण किया गया। 41 वर्षीय पीड़ित गिफ्रे का ऑस्ट्रेलिया में इसी साल अप्रैल में निधन हो चुका है। उनके आत्महत्या करने के बाद राजा पर कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ा। हालांकि प्रिंस एंड्रयू ने इन आरोपों को कड़ाई से नकारा। बड़े भाई और राजा के फैसले के बाद अब प्रिंस एंड्रयू को आम नागरिक का दर्जा प्राप्त होगा।
बकिंघम पैलेस के बयान के अनुसार प्रिंस एंड्रयू अब आधिकारिक तौर पर एंड्रयू माउंटबेटन-विंडसर के नाम से जाने जाएंगे। उन्हें रॉयल लॉज के स्थान पर कहीं और निजी आवास में रहना होगा। बकिंघम पैलेस ने स्वीकार किया कि निर्णय लने में देर हुई है। राजा के फैसले पर गिफ्रे के परिवार ने कहा कि यह उनके लिए बड़ी जीत है। यह सच की जीत है। परिवार ने फैसले की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने असाधारण साहस से एक ब्रिटिश राजकुमार को हरा दिया। परिवार ने घोषणा की है कि हम वर्जीनिया की लड़ाई जारी रखेंगे। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक सभी आरोपितों को दंड नहीं मिल जाता। अब माना जा रहा है कि एंड्रयू सैंड्रिंघम एस्टेट की एक संपत्ति में रहने चले जाएंगे।
राजा के बयान के अनुसार आज प्रिंस एंड्रयू की शैली, उपाधियों और सम्मानों को हटाने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रिंस एंड्रयू अब एंड्रयू माउंटबेटन विंडसर के नाम से जाने जाएंगे। रॉयल लॉज के की लीज ने अब तक उन्हें रहने लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान की है। अब लीज छोड़ने के लिए औपचारिक नोटिस दिया गया है और वह वैकल्पिक निजी आवास में चले जाएंगे। उनकी निंदा आवश्यक है, भले ही वह अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार करते रहे हों। मेरी संवेदनाएं संवेदनाएं सभी प्रकार के दुर्व्यवहार के पीड़ितों के साथ हैं और रहेगीं।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, बयान में यह भी जोड़ा गया कि विंडसर कैसल के पास स्थित उनका 30 कमरों वाला भव्य निवास रॉयल लॉज अब उनके स्वामित्व में नहीं रहेगा। वे किसी निजी आवास सैंडरिंगहम एस्टेट (नॉरफॉक) में शिफ्ट होंगे। महल ने कहा कि ये कदम आवश्यक थे। बयान के अंत में किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला ने यौन शोषण पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की और इस निर्णय के नैतिक आधार को रेखांकित किया।
विवाद के बाद उठे तूफान को ब्रिटिश राजघराने के आधुनिक इतिहास की सबसे नाटकीय घटनाओं में से एक बताया गया है। ग्रिफे के आरोपों के बाद एंड्रयू की प्रतिष्ठा ध्वस्त हो गई। एंड्रयू ने 2022 में इस मामले का निपटारा करने के लिए भारी भरकम धनराशि दी थी। हाल ही में वर्जीनिया की किताब नोबॉडीज गर्ल का प्रकाशन हुआ। इसमें उन्होंने अपने आरोपों का विस्तार से जिक्र किया। राजा के फैसले के बाद प्रिंस एंड्रयू ने अपना सब कुछ गंवा दिया। प्रिंस एंड्रयू के पास जन्म और सेवा दोनों के आधार पर कई प्रतिष्ठित उपाधि थीं। 1960 में जन्म के समय उन्हें हिज रॉयल हाईनेस प्रिंस एंड्रयू अल्बर्ट क्रिश्चियन एडवर्ड ऑफ यॉर्क के रूप में जाना गया। रानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप के दूसरे बेटे होने के नाते उन्हें प्रिंस और हिज रॉयल हाईनेस की उपाधि स्वतः प्राप्त थी।
उन्होंने 1986 में सारा फर्ग्यूसन से विवाह किया। तब रानी ने उन्हें पारंपरिक ड्यूकडम प्रदान किया और उन्हें ड्यूक ऑफ यॉर्क की उपाधि दी। साथ ही उन्हें अर्ल ऑफ इनवरनेस और बैरन किलीलीघ की उपाधियां भी दी गईं, जो क्रमशः इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड का प्रतिनिधित्व करती थीं। विरासत में मिली उपाधियों के अलावा एंड्रयू के पास सैन्य और औपचारिक पद भी थे। जैसे-ऑनरेरी एडमिरल ऑफ द रॉयल नेवी, “कर्नल ऑफ द ग्रेनेडियर गार्ड्स, ऑर्डर ऑफ द गार्टर और ऑर्डर ऑफ द थिसल। एक गलती से सब कुछ छिन गया।
एंड्रयू अब न तो किसी शाही कार्यक्रम में क्राउन का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, न ही सैन्य वर्दी पहन सकते हैं और न ही उपाधिया अपने नाम के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। अब वह केवल एंड्रयू माउंटबैटन-विंडसर कहलाएंगे। सार्वजनिक रिकॉर्ड और मीडिया में अब उनका नाम प्रिंस या ड्यूक के बिना ही दर्ज किया जाएगा। हालांकि इस फैसले से उनके उत्तराधिकार क्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे अब भी सिंहासन के लिए आठवें स्थान पर हैं, लेकिन उन्हें शाही कर्तव्यों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। अब उन्हें कर जमा करने में कोई छूट नहीं मिलेगी।
ताजा फैसला केवल एंड्रयू तक सीमित है। उनकी बेटियां प्रिंसेस बीट्रिस और प्रिंसेस यूजिनी अपनी शाही उपाधियां और स्थान बनाए रखेंगी। उन्हें यह उपाधियां जन्म के समय रानी एलिजाबेथ द्वितीय ने दी थीं। हालांकि दोनों बेटियां पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक शाही जीवन से धीरे-धीरे दूर होती गई हैं। शाही परिवार के सूत्रों के अनुसार, राजा (तृतीय) ने इस कदम को क्राउन की गरिमा की रक्षा और राजशाही की नैतिक साख बनाए रखने के लिए आवश्यक समझा। इस सप्ताह की शुरुआत में लिचफील्ड कैथेड्रल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान राजा को विरोध का सामना करना पड़ा था।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद