देश की एकता और अखंडता के लिए चार स्तंभों पर जन-जन को जोड़ने का कार्य कर रही है सरकार : प्रधानमंत्री

युगवार्ता    31-Oct-2025
Total Views |
એકતાનગર ખાતે રાષ્ટ્રીય એકતા દિવસની શાનદાર ઉજવણી


એકતાનગર ખાતે રાષ્ટ્રીય એકતા દિવસની શાનદાર ઉજવણી


એકતાનગર ખાતે રાષ્ટ્રીય એકતા દિવસની શાનદાર ઉજવણી


यह लौहपुरुष सरदार पटेल का भारत है, जो सुरक्षा और सम्मान के लिए कभी समझौता नहीं करताजब तक देश नक्सलवाद-माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता, तब तक यह सरकार चैन से नहीं बैठेगी

गांधीनगर, 31 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश की एकता-अखंडता को बनाए रखने के लिए सरकार चार स्तंभों पर आधारित नीति द्वारा हर व्यक्ति को जोड़ने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि यह लौहपुरुष सरदार पटेल का भारत है, जो सुरक्षा और सम्मान के लिए कभी समझौता नहीं करता।

जब तक देश नक्सलवाद-माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता, तब तक यह सरकार चैन से नहीं बैठेगी।

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को गुजरात के नर्मदा जिला स्थित एकता नगर में लौहपुरुष और अखंड भारत के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का भव्य समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के सान्निध्य में देशभक्ति के जोश और उत्साह के साथ अर्धसैनिक बलों की विभिन्न टुकड़ियों ने भव्य परेड की।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित कर राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह की शुरुआत की। ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को सुदृढ़ करते हुए उन्होंने कहा कि एकता राष्ट्र और समाज के अस्तित्व की मूलभूत शक्ति है, जब तक समाज में एकता है, तब तक राष्ट्र की अखंडता सुरक्षित है। विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें एकता तोड़ने वाले हर षड्यंत्र को एकता की शक्ति से विफल करना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत की एकता के चार मजबूत आधारस्तंभ हैं—पहला सांस्कृतिक एकता, जो हजारों वर्षों से बदलते राजनीतिक परिदृश्यों के बावजूद भारत को एक चेतन राष्ट्र के रूप में बनाए रखती है।

दूसरा स्तंभ है भाषाई एकता, जहाँ सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ भारत की विविधता, सृजनशीलता और गौरव का जीवंत प्रतीक हैं। किसी भी समुदाय, शासन या समूह ने कभी भी किसी भाषा को थोपने का प्रयास नहीं किया।

तीसरा स्तंभ है भेदभाव-मुक्त विकास। गरीबी और असमानता समाज की सबसे बड़ी कमजोरी हैं। सरदार पटेल गरीबी उन्मूलन के लिए दीर्घकालीन नीति बनाना चाहते थे। वे कहते थे कि अगर भारत को आज़ादी 10 साल पहले मिली होती, तो 1947 तक देश अन्न संकट से मुक्त हो गया होता। जिस तरह उन्होंने रियासतों के विलय की जटिल चुनौती को सुलझाया, वैसे ही वे खाद्य संकट का समाधान भी कर लेते। आज उनकी अधूरी इच्छा को इस सरकार ने पूरा किया है।पिछले एक दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।

चौथा और अंतिम स्तंभ है कनेक्टिविटी– दिलों का जुड़ाव, जो आधुनिक भारत को विश्व के केंद्र में ला रहा है। रेकॉर्ड हाइवे, एक्सप्रेसवे, वंदे भारत और नमो भारत जैसी ट्रेनों द्वारा रेलवे में परिवर्तन कर, छोटे शहरों को एयरपोर्ट से जोड़ते हुए उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम की दूरी को कम किया गया है।

सरदार पटेल इतिहास बनाने में विश्वास रखते थे : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल इतिहास लिखने में नहीं, इतिहास बनाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने नीतियों और दृढ़ निर्णयों के बल पर आज़ादी के बाद 550 से अधिक रियासतों को एक सूत्र में बांधा। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का विचार उनके लिए सर्वोच्च था। आज केंद्र सरकार की कार्यनीति में भी यही दृष्टिकोण मुख्य है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस एकता का महापर्व है। जैसे हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस गर्व से मनाते हैं, वैसे ही यह दिन प्रेरणा, गर्व और संकल्प का पवित्र अवसर है। आज पूरे देश में करोड़ों लोगों ने एकता की शपथ ली है, जो राष्ट्र की एकता को सुदृढ़ करने का प्रतीक है।

एकतानगर में एकता मॉल और एकता गार्डन जैसे प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें उन विचारों और प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए जो देश की एकता को नुकसान पहुंचाती हैं। यह केवल राष्ट्रीय कर्तव्य ही नहीं बल्कि सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि भी है। भारत माता की भक्ति हर नागरिक के लिए सर्वोच्च पूजा है और आज यह हर भारतीय के लिए प्रेरणा और कर्तव्यपथ का मार्गदर्शन है।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल देश की संप्रभुता को सर्वोपरि मानते थे। उनके निधन के बाद की सरकारों में यह गंभीरता और दृढ़ता कम हो गई। कश्मीर में की गई गलतियाँ, पूर्वोत्तर की समस्याएँ और देश में फैला नक्सल-माओवादी आतंक भारत की अखंडता के लिए चुनौती बने। तत्कालीन सरकारों ने सरदार पटेल की नीतियों का अनुसरण करने के बजाय राष्ट्रहित से समझौता किया। परिणामस्वरूप हिंसा, रक्तपात और विभाजन जैसी त्रासदियाँ देश ने देखीं।

उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेल के कश्मीर संबंधी सुझावों को स्वीकार किया गया होता, तो आज पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होता। लेकिन तत्कालीन सरकारों ने उन्हें अनदेखा किया। कश्मीर को अलग विधान और प्रतीक देकर विभाजित किया गया, जिससे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को बढ़ावा मिला और देश ने इसकी भारी कीमत चुकाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने सरदार पटेल के “एक भारत” के विज़न को भुला दिया था, लेकिन 2014 के बाद देश ने फिर से उस अडिग इच्छाशक्ति को अनुभव किया है। अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीर को मुख्यधारा में लाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत पर आंख उठाने वालों को कड़ा जवाब मिलेगा। यह लौहपुरुष सरदार पटेल का भारत है— जो अपनी सुरक्षा और सम्मान से कभी समझौता नहीं करता।

उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में सरकार ने नक्सल-माओवादी आतंक की कमर तोड़ दी है। 2014 से पहले नक्सली अपने कानून चलाते थे, संविधान लागू नहीं होता था, पुलिस और प्रशासन बेबस था, स्कूलों-सड़कों-अस्पतालों पर हमले होते थे। लेकिन इस सरकार ने निर्णायक कार्रवाई की, अर्बन नक्सलियों और उनके समर्थकों को करारा जवाब दिया, वैचारिक युद्ध जीता और नक्सल क्षेत्रों को विकास के रास्ते पर लाया। उन्होंने सरदार पटेल की प्रतिमा की छाया में दृढ़ निश्चय के साथ कहा— “जब तक देश नक्सलवाद-माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त नहीं हो जाता, तब तक यह सरकार चैन से नहीं बैठेगी।”

उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा घुसपैठिए हैं, जो वर्षों से हमारे संसाधनों पर कब्जा कर देश की जनसांख्यिकी को असंतुलित कर रहे हैं। पिछली सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के कारण आंख मूंद ली थी। लेकिन अब पहली बार देश ने इस खतरे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू की है और लाल किले से ‘डेमोग्राफी मिशन’ की घोषणा की गई है।

प्रधानमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए देशहित से ऊपर उठकर घुसपैठियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि अगर देश का विभाजन दोबारा हो जाए तो क्या होगा? लेकिन सच यह है कि अगर भारत की सुरक्षा और पहचान पर खतरा आएगा, तो हर नागरिक प्रभावित होगा। इसलिए राष्ट्रीय एकता दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि देश में रह रहे हर घुसपैठिए को बाहर निकालकर ही रहेंगे, ताकि राष्ट्र की अखंडता और अस्तित्व को सुरक्षित रखा जा सके।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने देश की महान विभूतियों का अपमान किया, जबकि इस सरकार ने उन्हें सम्मान दिया, उनके स्मारक बनवाए और गुलामी की मानसिकता को बदलने का कार्य किया।

सरदार पटेल की भावना को स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें देश के लिए काम करने में सबसे अधिक आनंद मिलता था। आज भी यही संदेश है — मातृभूमि की सेवा ही सबसे बड़ी आराधना है। जब 140 करोड़ भारतीय एक साथ खड़े होते हैं, तो पहाड़ भी रास्ता छोड़ देते हैं; जब एक स्वर में बोलते हैं, तो वह स्वर भारत की सफलता का उद्घोष बन जाता है। हम बंटेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं; ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार करते हुए विकसित और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे। प्रधानमंत्री ने परेड के बाद सड़क मार्ग से गुजरते हुए उपस्थित जनसमूह का अभिवादन स्वीकार किया।

इस अवसर पर सांसदों, विधायकों, मुख्य सचिव सहित उच्च अधिकारी और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad

Tags