
- शिक्षकों के लिए टेट की अनिर्वायता अव्यावहारिक और अनुचित : सुशील पाण्डेय
लखनऊ, 31 अक्टूबर (हि.स.)। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (एआईपीटीएफ) ने देशभर के प्राथमिक शिक्षकों के समर्थन में आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया है। जंतर-मंतर पर 11 दिसंबर को प्रदर्शन करते हुए एक दिवसीय सांकेतिक विशाल धरना दिया जायेगा। अगर इसके बाद भी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे रही, तो अगले साल दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद तक मार्च किया जाएगा। इस आंदोलन में देश के सभी सम्बद्ध राज्य शिक्षक संगठन अधिक से अधिक संख्या में जुटेंगे।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय ने हजरतगंज के डिप्लोमा इंजीनियर संघ भवन के हाल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक सितम्बर के निर्देशों से प्राथमिक शिक्षक और शिक्षिकाओं का भविष्य अधर पर अटक गया है। केंद्र सरकार सब जानते हुए मूकदर्शक बनी हुई है। न्यायालय ने सेवा में बने रहने और पदोन्नति के लिए दो वर्ष के भीतर टेट (शिक्षक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण करना आवश्यक कर दिया है।
शिक्षक नेता पाण्डेय ने कहा कि प्राथमिक शिक्षकों के अधिकारों पर किए गए कुठाराघात का सारे देश में विरोध हो रहा है। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि उत्तर प्रदेश में संगठन के बैनर तले उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के तत्वानधान में समस्त जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपे गए। शिक्षक और शिक्षिकाओं ने काली पट्टी बांध कर पठन-पाठन कार्य किया गया। वृहद हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। सुशील पाण्डेय ने कहा कि इस समय शिक्षक समुदाय की सबसे बड़ी समस्या टेट है। शिक्षक और शिक्षिकाओं के लिए टेट की अनिर्वायता अव्यावहारिक और अनुचित है। उन्होंने कहा हमारी दूसरी प्रमुख मांग पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की है।
शिक्षक नेता ने कहा कि सभी राज्यों के प्राथमिक शिक्षकों को समान वेतनमान और अन्य लाभ प्रदान करना भी समय की मांग है। उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र या अन्य राज्यों में पैरा टीचर, शिक्षाकर्मी, नियोजित शिक्षक आदि के तहत काम कर रहे ऐसे संविदा शिक्षक और शिक्षिकाओं को नियमित किया जाए। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु नई शिक्षा नीति-2020 के शिक्षक विरोधी प्रावधानों को तत्काल हटाया जाए।---------------------------
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन