ताइवान चीन के ‘एक देश, दो व्यवस्था’ को ठुकराता है: राष्ट्रपति लाई चिंग-ते

युगवार्ता    31-Oct-2025
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ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते


ताइपे, 31 अक्टूबर (हि.स.)। ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश चीन के “एक देश, दो व्यवस्था” मॉडल को कभी स्वीकार नहीं करेगा तथा अपनी स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था को मजबूती से बनाए रखेगा।

यह बयान चीन की ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने की ताजा कोशिशों के बीच आया है, जहां चीन ने इस सप्ताह उसके खिलाफ बल प्रयोग की संभावना से भी “इंकार नहीं” नहीं किया है।

उत्तरी ताइवान के हुकोउ सैन्य अड्डे पर सैनिकों को संबोधित करते हुए लाई ने कहा, “सच्ची शांति केवल ताकत से ही आ सकती है। आक्रामण के दावों को मान लेना और संप्रभुता छोड़ना शांति नहीं ला सकता। हमें गरिमा और दृढ़ता से वर्तमान स्थिति बनाए रखनी चाहिए। जबरदस्ती हाेने वाले एकीकरण, आक्रमण और विलय का हमें विरोध करना होगा।” उन्होंने कहा, “हम ‘एक देश, दो व्यवस्था’ को खारिज करते हैं क्योंकि हम हमेशा अपनी स्वतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाएंगे।”

गाैरतलब है कि चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और लाई को “अलगाववादी” कहता है। इस सप्ताह चीन के सरकारी मीडिया ने दावा किया कि अगर ताइवान हांगकांग-मकाऊ जैसी स्वायत्तता स्वीकार करता है, तो उसके साथ नरम व्यवहार होगा। लेकिन ताइवान के किसी बड़े राजनीतिक दल ने चीन की इस नीति का समर्थन नहीं किया हैै।

लाई ने स्पष्ट किया कि चीन गणतंत्र (ताइवान का औपचारिक नाम) और जनवादी गणराज्य चीन एक-दूसरे के अधीन नहीं हैं। उन्हाेंने कहा “ताइवान की संप्रभुता का उल्लंघन या विलय नहीं हो सकता। इसका भविष्य केवल ताइवानी लोग ही तय करेंगे।”

राष्ट्रपति ने कहा कि ताइवानी लोगों द्वारा संप्रभुता की रक्षा और लोकतांत्रिक जीवनशैली बनाए रखना 'किसी के प्रति कोई उकसावे वाली कार्रवाई' नहीं है। राष्ट्रीय रक्षा में निवेश शांति में निवेश है। उन्होंने घाेषणा की कि 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का पांच प्रतिशत सैन्य खर्च पर लगाया जाएगा, ताकि चीन के बढ़ते खतरे से निपटा जा सके।

यह बयान हुकोउ में ताइवान की पहली 'एमएक- ए-दाेटी अब्राम्स' टैंक के बटालियन में औपचारिक रूप से शामिल किए जाने के दौरान आया है। ये टैंक अमेरिकी कंपनी 'जनरल डायनेमिक्स' द्वारा बनाए गए हैं। इनमें से 80 टैंक पहले ही ताइवान पहुंच चुके हैं।

अमेरिका ताइवान का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है, हालांकि दाेनाें के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं।

इस बीच शुक्रवार को कुआलालंपुर में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने चीन के रक्षा मंत्री डोंग जून से मुलाकात में ताइवान जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर में चीनी गतिविधियों पर चिंता जताई।

हालांकि इस पर डोंग ने साफ किया कि चीन-ताइवान “पुनर्मिलन” ऐतिहासिक और अपरिहार्य है। उन्हाेंने अमेरिका को द्वीप की स्वतंत्रता के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाने की सलाह दी।

ताइवान की आबादी 2.3 करोड़ है और यहां चीन की सैन्य गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। ताइवान की अर्थव्यवस्था प्रौद्योगिकी पर निर्भर है, और वैश्विक 'चिप' आपूर्ति श्रृंखला में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।

अमेरिका और उसके सहयोगी देश ताइवान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि चीन अपनी संप्रभुता पर अडिग है।

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हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल

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