मप्र के छिंदवाड़ा में दो और मासूमों की मौत के बाद मृतक बच्चों की संख्या 11 हुई

युगवार्ता    04-Oct-2025
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कोल्ड्रिफ कप सिरप (प्रतीकात्मक तस्वीर)


- सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ एफआईआर के आदेश

भोपाल, 04 अक्टूबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप के कारण किडनी फेल होने से बच्चों की मौत का सिलसिल अभी भी जारी है। मामले में शनिवार को दो और बच्चों की मौत हो गई है। छिंदवाड़ा जिले में एक माह में अब तक कुल 11 बच्चे खराब सिरप पीने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। छिंदवाड़ा कलेक्टर हरेन्द्र नारायण ने बताया कि सिरप बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।

कलेक्टर ने बताया कि एफआईआर करने के लिए सभी जांच रिपोर्ट्स को दस्तावेज के रूप में एकत्र कर जमा किया गया है। छिंदवाड़ा एसपी से भी इस संबंध में बात हुई है। पुलिस इस मामले में पूरी जांच करेगी। जांच के बाद पता चल पाएगा कि मामले में किसकी, क्या भूमिका रही और कहां लापरवाही बरती गई? प्रारंभिक तौर पर दवा बनाने वाले पर एफआईआर की गई है क्योंकि इसमें तय मानकों से ज्यादा पदार्थ पाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से 10 बच्चे परासिया के हैं, जबकि एक पांढुरना का है। बच्चों की मौत किडनी काम नहीं करने के कारण हुई है। किडनी का काम नहीं करना सभी रिपोर्ट में पहले ही आ चुका था। इस वजह से मौत का कारण पता चल चुका था। यही कारण रहा कि बच्चों के पोस्टमार्टम नहीं करवाए गए।

इधर, राज्य सरकार द्वारा शनिवार को कोल्ड्रिफ कफ सिरप के उपयोग और बिक्री पर पूरे प्रदेश में रोक लगाई गई है। कंपनी के अन्य उत्पादों पर रोक लगा दी गई है। यह सीरप श्रीसन कंपनी बनाती है, जिसका उत्पादन इकाई तमिल नाडु के कांचीपुरम में है। मध्य प्रदेश सरकार के कहने पर तमिलनाडु सरकार के औषधि प्रशासन विभाग ने कंपनी के उत्पादन इकाई से सिरप के सैंपल लेकर जांच की तो एसआर-13 बैच में हानिकारक केमिकल डायथिलीन ग्लायकल (डीईजी) पाया गया। इस रिपोर्ट के बाद मध्य प्रदेश सरकार एक्शन में आई है। तमिलनाडु की रिपोर्ट पर सिरप प्रतिबंधित किया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मृतक बच्चों के स्वजन को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा जिले में सर्दी-जुकाम, बुखार के बाद बच्चों को पेशाब रुकने की समस्या हुई। किडनी फेल होने से उनकी मौत का सिलसिला शुरू हुआ। गत चार सितंबर को पहली मौत सामने आई थी, तब स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई। पीड़ित बच्चों की किडनी की बायोप्सी में डीईजी मिलने के बाद मात्र छिंदवाड़ा में ही कफ सिरप को कलेक्टर के निर्देश पर प्रतिबंधित किया गया। एक सप्ताह पहले केंद्र व राज्य की टीम ने बच्चों को पिलाए गए कफ सिरप के अलग-अलग ब्रांड के 19 सैंपल लिए गए थे, अभी तक जिन नौ की रिपोर्ट आई है, उनमें कोल्ड्रिफ शामिल नहीं है। तमिलनाडु सरकार ने श्रीसन कंपनी द्वारा निर्मित चार अन्य ब्रांड के कफ सिरप के भी सैंपल लिए थे, पर उनमें डीइजी नहीं मिला।

मध्य प्रदेश के नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन दिनेश मौर्य ने बताया कि तमिलनाडु की जांच रिपोर्ट में डाइथिलीन ग्लाइकाल (48.6 प्रतिशत) की मात्रा निर्धारित सीमा 0.1 प्रतिशत से अधिक मिली है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने बताया कि औषधि प्रशासन की तरफ से 13 सैंपल लिए गए थे, जिनमें तीन अलग-अलग ब्रांड के सिरप की जांच रिपोर्ट आ गई है, पर किसी में डीईजी नहीं मिला है। छह सिरप के सैंपल सेंट्रल ड्रग स्ट्रैंडर्ड एवं कंट्रोल आर्गनाइजेशन की टीम ने लिए थे, उनकी जांच रिपोर्ट में भी डीईजी नहीं मिला है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर

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