नई दिल्ली, 05 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि समाज की सेवा ही राष्ट्र निर्माण का सबसे बड़ा माध्यम है और यही भारत की संस्कृति की आत्मा है। देश में जन्मा हर व्यक्ति समाज का ऋण चुकाने के लिए किसी न किसी रूप में सेवा का मार्ग खोजे। सेवा का कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता, बल्कि उसके पीछे की भावना सबसे महत्वपूर्ण होती है।
वे रविवार को राजधानी दिल्ली स्थित भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम, पूसा में आयोजितसंत ईश्वर सम्मान 2025के 10वें वार्षिक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
समाज सेवा और मानवीय उत्थान के क्षेत्र में निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वाले व्यक्तित्वों को सम्मानित करने के उद्देश्य से संत ईश्वर फाउंडेशन ने इस वर्ष का सम्मान समारोह आयोजित किया। इसमें देशभर से आए 18 विशिष्ट समाजसेवियों और संस्थानों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
होसबोले ने कहा कि संत ईश्वर फाउंडेशन ‘नर सेवा ही नारायण सेवा’ के भाव से कार्य कर रहा है और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को पहचान कर समाज के लिए प्रेरणा का कार्य कर रहा है। ऐसे आयोजनों से समाज के प्रति अपना ऋण चुकाने की भावना और अधिक प्रबल होती है। सैकड़ों लोग केवल समाज के लिए जी रहे हैं, ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर हमें भी अपने जीवन में समाज सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दस वर्ष पहले संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ऐसे ही एक आयोजन से प्रेरित होकर इस कार्यक्रम की परिकल्पना की थी, ताकि समाज के प्रेरक कार्यों को जनआंदोलन का स्वरूप दिया जा सके।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अपने लिए तो कीट-पतंगे और पशु-पक्षी भी जीते हैं, लेकिन जो दूसरों के लिए जीता है, वही वास्तव में महापुरुष होता है। परोपकार में ही जीवन का सार है और संत ईश्वर फाउंडेशन ऐसे ही परोपकारी लोगों को चिन्हित कर सम्मानित करके स्वयं भी परोपकार का कार्य कर रहा है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि किसी भी अच्छे कार्य के लिए निरंतरता अत्यंत आवश्यक होती है। पिछले दस वर्षों में संत ईश्वर फाउंडेशन ने सौ से अधिक समाजसेवकों को सम्मानित कर यह साबित किया है कि समर्पण और सेवा के कार्यों को यदि लगातार प्रोत्साहित किया जाए तो उसका परिणाम अत्यंत सुखद होता है।
विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष एवं संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने बताया कि इस सम्मान के लिए कोई नामांकन प्रक्रिया नहीं होती। संस्था का उद्देश्य उन लोगों को सम्मानित करना है जो समाज सेवा के क्षेत्र में निःस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे हैं। यह पुरस्कार प्रसिद्धि नहीं, बल्कि समर्पण और संस्कृति का प्रतीक है।
उन्होंने जानकारी दी कि अब तक कुल 151 ‘सेवा साधकों‘ को संत ईश्वर सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है और संस्था लगभग तीन करोड़ रुपये की सम्मान राशि वितरित कर चुकी है।
इस वर्ष सम्मान समाज सेवा की चार प्रमुख श्रेणियों- महिला एवं बाल विकास, वनवासी कल्याण, कृषि सेवा (ग्रामीण विकास) और विशेष योगदान क्षेत्र में प्रदान किए गए। प्रत्येक श्रेणी में एक विशिष्ट सेवा सम्मान और तीन सेवा सम्मान दिए गए।
संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान 2025 प्राप्तकर्ता (6):
1.नेत्र कुंभ — महाकुंभ 2025 में नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा सेवा हेतु
2.भारतीय सेना महिला कल्याण संघ (आवा) - सैनिक परिवारों के कल्याण हेतु
3.गोवर्धन पांडा — कोरापुट, ओडिशा (वनवासी कल्याण)
4.देविन्द्रप्पा -यादगीर, कर्नाटक (ग्रामीण विकास)
5.जीवन आनंद संस्था (किसनराव अंजना बबनराव चौरे) - औरंगाबाद, महाराष्ट्र (महिला एवं बाल विकास)
6.समर्पण फाउंडेशन (रवि प्रकाश) - गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश (विशिष्ट योगदान क्षेत्र)
संत ईश्वर सेवा सम्मान 2025 प्राप्तकर्ता (12):
1.महामंडलेश्वर रघुनाथ दास फरसी वाले बाबा - नासिक, महाराष्ट्र
2.डॉ. अम्बेडकर बनवासी कल्याण ट्रस्ट -ललित बंसल, सचिव, सूरत, गुजरात
3.कटुंग वाघे - पूर्वी कामेंग, अरुणाचल प्रदेश
4.ग्रामीण विकास संस्था - के. राजेश, विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश
5.रेखा प्रभाकर चौहान - संभाजीनगर, महाराष्ट्र
6.निधि त्रिपाठी - महोबा, उत्तर प्रदेश
7.चित्रा शाह - करुवदिकुप्पम, पुदुचेरी
8.मानव सेवा संस्थान - बीरेन्द्र कुमार, कटिहार, बिहार
9.पोटुकुची सोमसुन्दर सोशल वेलफेयर चैरिटेबल ट्रस्ट - श्रीनिवास पोटुकुची, हैदराबाद, तेलंगाना
10.मारिंगमेई गैंगमलुंग - इम्फाल, मणिपुर
11.मातृछाया ट्रस्ट - शिरीष कुमार अमशेखर, पोंडा, गोवा
12.केशव सेवा धाम दिव्यांग आश्रम - भरत झावर, खंडवा, मध्य प्रदेश
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर