समाज को संगठित करने के लिए हर घर में पंच परिवर्तन का भाव करें जागृत: आलोक कुमार

युगवार्ता    05-Oct-2025
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कार्यक्रम को संबोधित करते सह सरकार्यवाह  आलोक कुमार।


- आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर शंखनाद कार्यक्रम में शामिल हुए सह सरकार्यवाह- बांसुरी की मधुर धुन और मंगल गीत के साथ स्वयंसेवकों ने किया योगाभ्यास

हल्द्वानी, 5 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने कहा कि स्वयंसेवकों ने इन 100 वर्षों में देश और समाज के लिए जो किया, वह एक लंबी गाथा है। जो काम अभी अधूरे हैं, आगे उन्हें पूरा करने का संकल्प लिया गया है। समाज को संगठित करने, सेवा और स्वावलंबन सहित विभिन्न पहलुओं को देखते हुए हर घर मे पंच परिवर्तन का भाव जागृत करना है।

सह सरकार्यवाह आलोक कुमार रविवार को एमबी इंटर कॉलेज, हल्द्वानी के मैदान पर शताब्दी शंखनाद कार्यक्रम को बतौर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर आयाेजित कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने बांसुरी की मधुर तान और कुमाऊंनी लोक गीत दैणा होया खोली का गणेशा हे... के साथ योग और आसन का प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों व नागरिकों ने प्रतिभाग किया। आलोक ने विजयदशमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिन अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय और असत्य पर सत्य की जीत का दिन हैं। महिषासुर से लेकर रावण का वध आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ।

उन्हाेंने कहा कि भारत की परंपरा में इस दिन शस्त्रों की पूजा का विधान होने के साथ ही राजाओं की ओर से सीमा उलंघन कर दूसरे की सीमा में प्रवेश का दिन के रूप में भी मनाया जाता था। तभी से शस्त्र पूजन कर राज्य विस्तार की परंपरा प्रारम्भ हुई। यह माना जाता हैं कि विजयदशमी के दिन प्रारम्भ किये जाने वाले कार्य में विजय निश्चित हैं, इसी भाव के साथ डाॅ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना के लिए भी इसी पावन दिन को चुना था।

उन्होंने कहा कि संघ 101वें वर्ष में प्रवेश हो चुका है। स्वयंसेवकों ने इन वर्षों में देश और समाज के लिए जो किया वह एक लंबी गाथा है, उसे कहना भी उचित नहीं है। संघ में निश्वार्थ भाव से समाज और देश की सेवा करना सिखाया जाता है, सेवा को गाया नहीं जाता है, समाज स्वतः समझ लेता हैं।

सह सरकार्यवाह आलोक ने कहा कि जो काम अभी अधूरे हैं, आगे उन्हें पूरा करने का संकल्प लिया गया है। जैसा समाज होना चाहिए अभी वैसा नहीं बन पाया है। हिन्दू समाज में अभी भी कई सारी कुरीतियां हैं, लोगों में अभी भी जैसी जागरूकता होनी चाहिए वैसी नहीं है। समाज को संगठित करने, सेवा और स्वावलंबन आदि विभिन्न पहलुओं को देखते हुए पंच परिवर्तन के बिंदु बनाए गए। जिसमें कुटुंबप्रबोधन, सामाजिक समरसता, स्वदेशी, पर्यावरण और नागरिक कर्तव्य बोध शामिल हैं। पंच परिवर्तन के विषय को लेकर संघ अभी तक 5.25 लाख परिवारों तक पहुंचा है, लेकिन आगामी वर्षों में प्रत्येक घर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।

पंच परिवर्तन के विस्तार पर जाेरआलोक ने इस बात को जोर देकर कहा कि अगले 10 से 15 वर्षों में हमने देश में पंच परिवर्तन के लिए समाज में काम करना है और इसकी शुरुआत सबसे पहले स्वयं से करनी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'पंच परिवर्तन' पांच प्रमुख सामाजिक और वैचारिक बदलावों का एक कार्यक्रम है, जिसे हर घर तक पहुंचना है और जिसका उद्देश्य भारतीय समाज में सकारात्मक और रचनात्मक परिवर्तन लाना है।

कुटुंब-प्रबोधनसमाज की सबसे छोटी इकाई परिवार काे ऋग्वेद और अथर्ववेद में आनंद और समृद्धि का केंद्र बताया गया है। स्वस्थ परिवार से ही स्वस्थ समाज और अंततः एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण संभव है। उन्हाेंने कहा कि प्रत्येक परिवार को सामाजिक शिक्षा और संस्कारों की पहली इकाई मानकर परिवार के सदस्यों के बीच संवाद, संस्कार, सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है। तभी हम दादा, दादी, ताऊ, चाचा बुआ आदि रिश्तों को संजो के रख पाएंगे।

सामाजिक समरसता

सामाजिक समरसता को संघ की विचारधारा का केंद्रीय बिंदु है। उन्हाेंने कहा कि हिंदू समाज में जाति-भेद, ऊंच-नीच और अस्पृश्यता जैसी विकृतियाें काे त्यागना है। पहाड़ों पर आज भी यह समाज में व्याप्त है। इस बुराई को त्याज्य करना है। समाज में सब समान हैं—इस भावना से सभी को जोड़कर यह एकत्व की स्थापना की जाए। संतों और समाज सुधारकों ने भी इसे पाप बताया है और इसका समाप्त होना अत्यंत आवश्यक है।

स्व-आधारित जीवन

उन्होंने कहा कि हमारा खान, पान, भेष आदि स्वदेशी होना चाहिए। विदेशी दासता से मुक्त होकर अब स्वभाषा, स्वभूषा, स्वसंस्कृति और स्वदेशी उद्योगों पर बल देना आवश्यक है। आत्मनिर्भरता का अर्थ दुनिया से अलग होना नहीं है, बल्कि स्वाभिमान के साथ व्यापार और उत्पादन करना है। स्थानीय व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देकर रोजगार और आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ाना इस परिवर्तन का मुख्य ध्येय है।

पर्यावरण संरक्षणउन्होंने कहा कि दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन का असर दिखाई दे रहा है। आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाएं बहुत होंगी ऐसा भविष्य वक्ताओं ने संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्वपूर्ण जीवनशैली अपनाना और पृथ्वी, जल, वायु जैसे संसाधनों की रक्षा करना, जल, जंगल जमीन को कैसे सम्भल कर रखे ऐसी चर्चा और प्रयास, परिवार में समाज में होने चाहिए। भारतीय परंपरा में पेड़-पौधों और प्रकृति की पूजा का जो भाव है, वही सच्चे अर्थों में पर्यावरण संरक्षण का आधार है। संघ हर नागरिक से जल-बचत, वृक्षारोपण, स्वच्छता और ऊर्जा-संरक्षण को अपना कर्तव्य मानने का आग्रह करता है। यही भाव नव राष्ट्र-निर्माण की आवश्यकता है।

नागरिक कर्तव्य बोध

उन्होंने कहा कि संविधान ने जहां हमें अधिकार दिए हैं, वहीं मौलिक कर्तव्य भी है। राष्ट्रभक्ति केवल बड़े अवसरों पर नहीं, बल्कि दैनिक आचरण में झलकनी चाहिए। जैसे पानी-बिजली की बचत, ईंधन का संयमित उपयोग, हेलमेट का नियमित उपयोग, अनुशासन, ईमानदारी और शिष्टाचार भी राष्ट्रसेवा हैं।

आलाेक ने कहा कि इन पांचों परिवर्तनों को समाज जीवन में समय के अनुकूल लाकर ही हम राष्ट्रहित के महान कार्य को समग्रतापूर्वक कर सकते हैं। समाज संगठन हो सके इसलिए यह पांचों पर कार्य करना है। विश्व में हम सबसे मजबूत बने इसलिए हम सब स्वयंसेवक संघ के इस नियम पर काम करते हैं कि वह पहले खुद करते हैं और फिर वह और लोगों को उसके लिए कहते हैं। इसलिए हमें पहले खुद इन पांचों कामों काे करना है और फिर और लोगों को साथ लेकर चलना है।

कार्यक्रम में प्रांत संघचालक डाॅ. बीएस बिष्ट, सह प्रांत प्रचारक चंद्रशेखर, जिला संघचालक डाॅ. नीलांबर भट्ट, नगर संघ चालक विवेक कश्यप, वरिष्ठ स्वयंसेवक जगन्नाथ पांडेय, वेद प्रकाश अग्रवाल, सह क्षेत्र सेवा प्रमुख धनीराम, सह प्रांत प्रचार प्रमुख डाॅ. बृजेश बनकोटी, सह प्रान्त बौद्धिक प्रमुख राजेश जोशी, सह प्रांत व्यवस्था प्रमुख भगवान सहाय, सह विभाग प्रचारक डाॅ. नरेंद्र, जिला प्रचारक जितेंद्र, जिला कार्यवाह राहुल जोशी, जिला प्रचार प्रमुख एडवोकेट प्रदीप लोहनी, जिला शारीरिक प्रमुख सूरज, कमल, नगर प्रचार प्रमुख डॉ नवीन शर्मा, योगेश गोस्वामी, भुवन जोशी, डॉ नवीन शर्मा, धीरेश पांडे, आनंद मेऱ, अनुज गुप्ता, कमलेश त्रिपाठी, नगर कार्यवाह प्रकाश पांडे सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल

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