- सर्वोदय से अभ्युदय सभी के उत्थान से सभी के उत्कर्ष तक के लिए एसडीजी की भूमिका पर होगा विमर्श, देशभर से 17 प्रमुख संस्थानों की रहेगी सहभागिता
सतना, 06 अक्टूबर (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र के धारणीय विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए मध्य प्रदेश के चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा सर्वोदय से अभ्युदय सभी के उत्थान से सभी के उत्कर्ष तक के लिए एसडीजी की भूमिका पर चर्चा के लिए पांचवां अंतरराष्ट्रीय सतत् विकास के लक्ष्य (एसडीजी) अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। भारत रत्न नानाजी देशमुख के 109वें जन्मदिन अवसर पर सोमवार को शरद पूर्णिमा के दिन दीनदयाल परिसर के विवेकानन्द सभागार में इस दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।
यूपी के जल शक्ति मंत्री रामकेश निषाद, सतना सांसद गणेश सिंह, मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ मोहन नागर, विधायक चित्रकूट सुरेंद्र सिंह गहरवार, विधायक पन्ना बृजेंद्र प्रताप सिंह, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव निखिल मुंडले, मणिपाल और इंडोपैसिफिक अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष डॉ. शेषाद्रि चारी, पदमश्री उमाशंकर पांडे, पदमश्री सेठपाल सिंह सहारनपुर, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति डॉ एके सिंह, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ भरत मिश्रा, छिंदवाड़ा के कुलगुरु प्रो. आईपी त्रिपाठी, नगर परिषद चित्रकूट की अध्यक्ष साधना पटेल एवं फ्रांस से प्रमुख अर्थशास्त्री बेनेडिक्ट डेला ब्रिएरे के आतिथ्य में भारतरत्न नानाजी देशमुख के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन कर दो दिवसीय 5वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई।
यह सम्मेलन एसडीजी एक्शन लैब के तत्वावधान में जन अभियान परिषद, मध्य प्रदेश के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक वसन्त पंडित ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय सेमिनार वैश्विक संपर्क बनाने और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को गति देने के प्रयास को जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में देश भर से 17 प्रमुख संस्थान सहभागी बने हैं। इस सेमिनार में एसडीजी 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) के अन्तर्गत सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना और एसडीजी 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास) के अन्तर्गत सभी के लिए सतत, समावेशी और संधारणीय आर्थिक विकास, पूर्ण और लाभकारी रोजगार और उचित कार्य को बढ़ावा व गति देने के लिए भारत रत्न नानाजी देशमुख की 109वीं जयंती पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए डॉ मनोज त्रिपाठी ने कहा कि तकनीकी सत्रों में सतत् विकास लक्ष्यों के संबंध में प्रगति में तेजी लाने के लिए अनिवार्यताओं पर चर्चा की जाएगी। इन लक्ष्यों पर काम कर रहे अनुभवी विशेषज्ञों के बीच विचार-विनिमय होगा तथा ऐसे समाधानों एवं हस्तक्षेपों के सर्वोत्तम प्रारूप विकसित करने की दिशा में यह सम्मेलन कारगर साबित होगा। जो स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समान रूप से अनुपालन योग्य है।
सतना सांसद गणेश सिंह ने कहा कि सतत विकास को लेकर यह आयोजन चित्रकूट में हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 17 बिंदुओं को लेकर वर्ष 2015 से 2030 तक के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां सतत विकास से संबंधित विभिन्न चुनौतियां हैं। राष्ट्र ऋषि नानाजी ने 90 के दशक में चित्रकूट में कार्य शुरू किया। यह गरीबों का इलाका था यहां बड़ी चुनौतियां थी। यूनाइटेड नेशन में जो बिंदु तय किए हैं नानाजी की संस्था उन्हीं के अंतर्गत कार्य कर रही है। 2014 के बाद सतत विकास के लक्ष्यों पर जिस गति से देश में काम शुरू हुआ है उसका परिणाम अब दिखने लगा है। घर-घर नल और जल सरकार की योजना भली भांति फलीभूत हो रही है, जगह-जगह संरचनाएं बन रही हैं, अभी तक 75 प्रतिशत से ज्यादा परिवारों में पीने का पानी पहुंच गया है, बहुत जल्द ही इसे भी पूर्ण किया जाएगा। मणिपाल और इंडोपैसिफिक अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष डॉ. शेषाद्रिचारी ने अपने उदबोधन में कहा कि परम वैभव की प्राप्ति संघ का आदर्श वाक्य रहा है और यह मानव निर्माण के महान कार्य द्वारा प्राप्त किया जा रहा है।
जीवन के मूल्यों को ध्यान में रखकर परम वैभव को प्राप्त करना, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इस संदर्भ में अपने एकात्मक मानववाद के दर्शन में बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है और विकास की भारतीय अवधारणा को प्रस्तुत किया है। व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और समष्टि का सर्वांगीण विकास करना ये एकात्म मानवदर्शन का ध्येय है। सतत विकास के लक्ष्य भी इसी पर आधारित है, जिसकी विस्तृत चर्चा इन दो दिनों में हम सब यहाँ करने वाले हैं।
जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ मोहन नागर ने कहा कि आज हमें जल के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है। जो व्यक्ति जल के प्रति संवेदनशील नहीं है वह किसी के प्रति संवेदनशील नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आज अल्पवर्षा के समय हमें जहाँ जल उपयोग के प्रति अनुशासित होना पड़ेगा, वहीं जल संरक्षण के लिए भी आगे आना होगा। नागर ने सबसे आग्रह किया कि घर का पानी घर में, गाँव का पानी गाँव में और खेत का पानी खेत से बाहर नहीं जाने दें, तभी हम आगे के जल संकट से सामना कर पायेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 10 वर्षों में जल संग्रहण को लेकर काफी काम किया है, उन्होंने इसके लिए अलग से जल शक्ति मंत्रालय भी बनाया है। सतत विकास के लक्ष्यों के अंतर्गत हमें इन्हीं सब महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम करने की जरूरत है। हमें समुदाय को साथ लेकर जल के क्षेत्र में काम करने की बहुत आवश्यकता है, सरकार के भरोसे ही सब संभव नहीं है।
यूपी के जल शक्ति मंत्री रामकेश निषाद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास के 17 लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। जिनकी प्राप्ति के लिए दीनदयाल शोध संस्थान अपने स्थापना के वर्षों से सतत संलग्न है। कल तक जो ड्राई जोन था वो अब ग्रीन जोन में बदला है। श्रद्धेय नानाजी देशमुख ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन को साकार करने के लिए ग्राम विकास का जो यथार्थ मॉडल प्रस्तुत किया है, वह अनुकरणीय है। केंद्र एवं प्रदेश सरकार के सकारात्मक प्रयासों के कारण सतत विकास लक्ष्यों को पाने में हम भारतवासी सफल होंगे ऐसा मुझे विश्वास है। पंडित दीनदयाल एवं नानाजी के विचारों को आत्मसात कर हम राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बन सकते हैं।
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति डॉ एके सिंह ने कहा कि किसी का क्षरण किए बिना हम उपलब्धि कैसे हासिल कर पाए यह सब टिकाऊ प्रबंधन का कार्य नानाजी ने अपने कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से करके दिखाया है। जल संग्रहण और प्रबंधन पर अभी जागरूकता की कमी है हमें और निचले स्तर तक इसे ले जाने की जरूरत है।
पदमश्री उमाशंकर पांडे ने अपने संबोधन में कहा कि जल प्रबंधन पर भारतरत्न नाना जी का पहला कथन है वर्षा की बूंदे जहां गिरे उसे वहीं रोका जाए। नानाजी ने जो स्वप्न दिया था ’हर हाथ को होगा काम, हर खेत को होगा पानी, हर खेत पर मेड़ और हर मेड़ पर पेड़ वह सब आज बुंदेलखंड क्षेत्र में फली भूत होता दिख रहा है। कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य बुंदेलखंड के किसानों ने करके दिखाए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर