नई दिल्ली, 07 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह देशवासियों को महर्षि वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं दीं। महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत भाषा का आदि कवि और हिन्दू महाकाव्य रामायण का रचयिता माना जाता है। उनका जीवन एक डाकू से एक महान ऋषि में बदलने की प्रेरणादायक कहानी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पोस्ट और अपने व्हाट्स ऐप चैनल पर लिखा, ''सभी देशवासियों को महर्षि वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। प्राचीनकाल से ही हमारे समाज और परिवार पर उनके सात्विक और आदर्श विचारों का गहरा प्रभाव रहा है। सामाजिक समरसता पर आधारित उनके वैचारिक प्रकाशपुंज देशवासियों को सदैव आलोकित करते रहेंगे।''
किंवदंती है कि आदि कवि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर था। वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए राहगीरों को लूटते थे। एक बार उन्होंने नारद मुनि को लूटने की कोशिश की। इस दौरान नारद के शब्दों से उनका हृदय परिवर्तन हो गया। नारद ने उन्हें राम का नाम जपने की सलाह दी। रत्नाकर ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की। इस दौरान उनके शरीर के चारों ओर दीमक का टीला बन गया। संस्कृत में दीमक के टीले को 'वाल्मीक' कहते हैं। इसलिए उन्हें वाल्मीकि नाम मिला।
कहते हैं कि एक बार जब वे गंगा नदी में स्नान कर रहे थे, तो उन्होंने एक शिकारी को एक क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक को मारते देखा। यह देखकर उन्होंने अनायास ही एक शाप दिया, जो संस्कृत का पहला श्लोक बन गया। नारद मुनि ने उन्हें इस घटना को आधार बनाकर रामायण लिखने का निर्देश दिया। इस प्रकार उन्होंने भगवान राम के जीवन पर आधारित महाकाव्य की रचना की। संस्कृत के प्रथम महाकाव्य की रचना करने के कारण उन्हें आदिकवि के रूप में जाना जाता है। तपस्या और ज्ञान के कारण उन्हें महर्षि की उपाधि दी गई।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद