सोनीपत, 8 अक्टूबर (हि.स.)। हरियाणा के सोनीपत जिले के गन्नौर उपमंडल के गांव पांची गुजरान में बुधवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तर भारत के पहले व्यावसायिक इलेक्ट्रिक ट्रक बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग स्टेशन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी भी मौजूद रहे। दोनों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की।इस अवसर पर रविंद्रा एनर्जी के उपाध्यक्ष नरेंद्र मुरकुंबी ने कहा कि दिल्ली इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल (डीआईसीटी) में स्थापित यह स्टेशन उत्तर भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस परियोजना की शुरुआत एनर्जी इन मोशन (ईआईएम) कंपनी ने रविंद्रा एनर्जी लिमिटेड के साथ 50 प्रतिशत साझेदारी में की है। प्रारंभिक चरण में 25 इलेक्ट्रिक ट्रक शामिल किए गए हैं, जबकि कुल 75 ट्रक लाए जाने की योजना है।उन्हाेंने कहा कि अब तकनीक और बैटरी की लागत में कमी आने से इलेक्ट्रिक ट्रक बिना किसी सरकारी सहायता के भी डीजल ट्रकों की तुलना में सस्ते साबित होंगे। कंपनी ने चार्जिंग की समस्या के समाधान के लिए पूरे देश में स्वैपिंग स्टेशन बनाने की योजना तैयार की है। यहां चालक केवल 5 मिनट में बैटरी बदल सकेंगे। इन स्टेशनों पर प्रयुक्त बिजली रविंद्रा एनर्जी की सौर और पवन परियोजनाओं से प्राप्त होगी, जिससे संपूर्ण प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल रहेगी।इस परियोजना में चीन की प्रतिष्ठित कंपनी बेइकी फोटन मोटर भी तकनीकी सहयोग दे रही है, जिसने वर्ष 2024 में 6 लाख से अधिक व्यावसायिक वाहन बेचे थे। यह तकनीक अब भारत में भी अपनाई जाएगी। इस साझेदारी से भारत में हरित परिवहन का नया युग आरंभ होगा।डीआईसीटी में वर्तमान में 350 व्यावसायिक वाहन कार्यरत हैं, जिनमें अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक ट्रकों को शामिल किया जा रहा है। टर्मिनल में पहले से 14 इलेक्ट्रिक क्रेन कंटेनर उठाने में प्रयोग की जा रही हैं। दावा किया गया है कि आगामी समय में पूरा टर्मिनल इलेक्ट्रिक वाहनों से संचालित होगा।ईआईएम द्वारा तैयार किए गए ट्रक 40 टन भार वहन करने में सक्षम हैं और एक बार चार्ज पर 180 किलोमीटर तक चल सकते हैं। बैटरी बदलने में केवल 5 मिनट का समय लगता है। 2030 तक उत्तर भारत की सड़कों पर ऐसे 7 हजार इलेक्ट्रिक ट्रक दौड़ने की योजना है। कंपनी 250 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगी, जबकि 2027 तक 45 और स्टेशन सीमेंट, स्टील व खनन क्षेत्रों में लगाए जाएंगे।डीआईसीटी इंजीनियरिंग हेड अनिल कुमार के अनुसार, ये ट्रक डीजल वाहनों की तुलना में अधिक किफायती, टिकाऊ और प्रदूषण रहित हैं। इनमें बिजली का खर्च भी कम आता है तथा एनजीटी टैक्स से राहत मिलती है। इलेक्ट्रिक ट्रक चलने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण घटेगा और परिवहन क्षेत्र हरित ऊर्जा की दिशा में अग्रसर होगा।उल्लेखनीय है कि देश में ट्रक भले ही कुल वाहनों का केवल 4 प्रतिशत हों, परंतु वे 30 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में इनका इलेक्ट्रिक होना पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना