मुंबई, 9 अक्टूबर (हि.स.)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने गुरुवार को कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच सदियों से चली आ रही साझेदारी ने न केवल विज्ञान और तकनीक को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, बल्कि जनकल्याण और उद्योगों के विकास में भी क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। उन्होंने महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन और ब्रिटिश गणितज्ञ जीएच हार्डी के बीच 1913 में हुए गणितीय सहयोग का उल्लेख करते हुए इसे आधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीक और फिनटेक उद्योग की नींव बताया।
कीर स्टारमर ने गुरुवार को मुंबई के जिओ वर्ल्ड सेंटर में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करते हुए कहा कि यह बहुत अद्भुत कहानी है। भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन श्रीनिवास और ब्रिटिश गणितज्ञ जीएच हार्डी के शोध ने वह आधार तैयार किया, जिस पर आज एनिक्रप्शन टिका है। रामानुजन श्रीनिवास और हार्डी के बीच 1913 में हुआ सहयोग अभाज्य संख्याओं के क्षेत्र में क्रांतिकारी रहा, जिसने न केवल गणित की दिशा बदली बल्कि आधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीक और फिनटेक उद्योग की नींव रखी।
स्टारमर ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, एस्ट्राजेनेका और भारत की सीरम इंस्टीट्यूट के बीच कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण में हुई साझेदारी का जिक्र किया, जिसकी मदद से महामारी के दौरान करोड़ों लोगों की जान बचाई गई। उन्होंने कहा कि यह सहयोग विज्ञान, नवाचार और मानवीयता का अद्भुत उदाहरण है।
स्टारमर ने मलेरिया की दवा के निर्माण में भारत-ब्रिटेन के साझा प्रयासों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देश की साझेदारी से ही यह संभव हुआ था। आने वाले वर्षों में दोनों देशों को जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वैश्विक आर्थिक सुधार जैसे क्षेत्रों में भी मिलकर काम करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 1913 में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने ब्रिटिश गणितज्ञ जीएच हार्डी को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अपने गणितीय सूत्र प्रस्तुत किए। हार्डी उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए और उन्हें कैम्ब्रिज बुलाया। दोनों ने 1914 से 1919 तक संख्या सिद्धांत, अभाज्य संख्याओं और पार्श्व फलन जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम किया। उनकी साझेदारी से आधुनिक गणित में कई महत्वपूर्ण खोजें हुईं। रामानुजन की असाधारण प्रतिभा को हार्डी ने न्यूटन के समान बताया। बाद में यह सहयोग विज्ञान में सांस्कृतिक विविधता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की प्रेरणादायक मिसाल बना।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर