शिमला, 09 अक्टूबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में आने वाले पंचायत चुनावों को फिलहाल टाल कर दिया है। भारी बरसात और प्राकृतिक आपदाओं से हुए व्यापक नुकसान के चलते सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव अब तभी कराए जाएंगे, जब पूरे प्रदेश में सड़क संपर्क पूरी तरह बहाल हो जाएगा।
राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि वर्ष 2025 का मानसून 19 जून से सक्रिय है, जिससे प्रदेश के लगभग सभी जिलों में भारी नुकसान हुआ। जून से अगस्त के बीच धर्मशाला, कुल्लू, मंडी, चंबा और लाहौल-स्पीति में भारी बारिश, भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ की घटनाएं हुईं। इस दौरान 47 बादल फटने, 98 फ्लैश फ्लड और 148 बड़े भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं में 270 लोगों की मौत हुई, जबकि 198 लोगों की जान सड़क हादसों में गई। कुल 1817 मकान पूरी तरह और 8323 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रदेश में अब तक करीब 5426 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है।
मुख्य सचिव-सह राज्य कार्यकारी समिति के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने आदेश जारी करते हुए कहा कि सड़कें और ग्रामीण संपर्क मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं, जिससे मतदान दलों, चुनाव सामग्री और मतदाताओं की सुरक्षा को खतरा है। ऐसे में पंचायत चुनाव सड़कों के पूरी तरह बहाल होने के बाद ही कराए जाएंगे, ताकि किसी मतदाता का मतदान का अधिकार प्रभावित न हो।
मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने आदेश में स्पष्ट किया है कि भारी वर्षा और सड़क क्षति के कारण ग्रामीण इलाकों में आवाजाही गंभीर रूप से प्रभावित है। ऐसे में दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों में मतदाताओं, चुनावकर्मियों और चुनाव सामग्री की सुरक्षा सुनिश्चित करना कठिन है। मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला के उपायुक्तों ने भी सरकार से आग्रह किया था कि चुनाव तब तक स्थगित रहें जब तक सड़क संपर्क पूरी तरह बहाल नहीं हो जाते।
सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क बहाल होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे, ताकि जनता अपने मतदान के अधिकार से वंचित न हो। यह आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 24 (ई) के तहत जारी किया गया है।
गौरतलब है कि हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में प्रस्तावित थे। यह वह समय होता है जब प्रदेश के अधिकांश क्षेत्र बर्फबारी और कड़ाके की ठंड की चपेट में रहते हैं। सरकार ने कहा है कि मतदाताओं और चुनाव कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
वहीं, भाजपा ने सरकार के इस निर्णय को लोकतंत्र पर प्रहार करार दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सुनियोजित तरीके से पंचायत चुनाव स्थगित कर जन विरोधी कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को डर है कि यदि चुनाव हुए तो वह बुरी तरह हार जाएगी। बिंदल ने आरोप लगाया कि पहले डिप्टी कमिश्नरों से पत्र निकलवाया गया और उसके बाद आपदा प्रबंधन का आदेश जारी कर चुनाव टालने का रास्ता बनाया गया। उन्होंने कहा कि यह फैसला साफ दिखाता है कि कांग्रेस लोकतंत्र की सबसे बड़ी प्रक्रिया मतदान को रोकने का काम कर रही है।
बिंदल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र बचाने की बात तो करती है, लेकिन असल में वह लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने में लगी है। भाजपा ने सरकार से मांग की है कि आपदा प्रबंधन के नाम पर लोकतांत्रिक संस्थाओं के चुनावों को न रोका जाए और बहाली कार्यों को तेजी से पूरा किया जाए ताकि पंचायत चुनाव शीघ्र कराए जा सकें।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनाव रद्द करने पर कहा कि मुख्यमंत्री और सरकार प्रदेश के लोगों का सामना नहीं कर सकती, इसलिए आपदा की आड़ में पंचायत चुनाव नहीं करवा रही है। सरकार को इस चुनाव के परिणाम पहले से ही पता है। इन चुनावों में कांग्रेस की करारी हार तय है। इसलिए पहले नगर निगम और नगर निकाय के चुनाव से किनारा किया और अब पंचायत चुनाव को भी रोक दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा