साहित्यकार पद्मश्री प्रो. रामदरश मिश्र का अंतिम संस्कार आज, जीवन के सौ वर्ष पूरे कर पिछली रात्रि आखिरी सांसें लीं

युगवार्ता    01-Nov-2025
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साहित्यकार प्रो.रामदरश मिश्र


नई दिल्ली, 1 नवंबर (हि.स.)। सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. रामदरश मिश्र का शुक्रवार रात निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के द्वारका स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार आज सुबह 11:00 बजे पालम के मंगलापुरी शमशान घाट पर होगा। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि प्रो.रामदरश मिश्र अपनी शताब्दी यात्रा संपन्न कर अनंत यात्रा पर चले गए।

रामदरश मिश्र को साल 2025 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्हें उनके कविता संग्रह -मैं तो यहां हूं- के लिए साल 2021 में सरस्वती सम्मान मिला। साल 2015 में उन्हें उनके कविता संग्रह -अग्नि की हंसी- के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

शिक्षा

रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त 1924 को गोरखपुर के डुमरी गांव में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी-मिडिल स्कूल में हुई। उस स्कूल से हिंदी और उर्दू के साथ मिडिल उत्तीर्ण कर 'विशेष योग्यता' की पढ़ाई के लिए गांव से दस मील दूर ढरसी गांव में गए। वहां पंडित रामगोपाल शुक्ल ‘विशेष योग्यता’ का अध्यापन करते थे, जिसे उत्तीर्ण करने के पश्चात् मिश्र ने बरहज से विशारद और साहित्य रत्न की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। उसके बाद अंग्रेजी की पढ़ाई से भी जुड़े तथा 1947 में मैट्रिक के लिए वाराणसी आए और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहां से इंटरमीडियट, बीए, एमए और पीएचडी का शोधकार्य संपन्न किया।

अध्यापन

साल 1956 में गुजरात के एमएस यूनिवर्सिटी बड़ौदा सहित एकाधिक महाविद्यालय सेंट जेवियर महाविद्यालय(अहमदाबाद), एस. बी. जार्ज महाविद्यालय, (नवसारी) में अध्यापन से जुड़े रहे। साल 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ गए तथा दिल्ली के स्थायी निवासी बन गए।

लेखन

रामदरश मिश्र ने एक लंबी काव्य-यात्रा की है। उनका पहला काव्य-संग्रह 'पथ के गीत' 1951 में प्रकाशित हुआ किन्तु उन्होंने कविता लिखनी सन 1940 के आसपास ही शुरू कर दी थी। उनकी पहली प्रकाशित कविता है -'चाँद'।

प्रकाशित कृतियां- पथ के गीत, बैरंग- बेनाम चिट्ठियां, पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है?

रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (ग़जल संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे- धीरे (ग़ज़ल - संग्रह), पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफ़र, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का, एक बचपन यह भी, एक था कलाकार, खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन।

कहानियां- इकसठ कहानियां, मेरी प्रिय कहानियां, अपने लिए, अतीत का विष, चर्चित कहानियां, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएंगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा यात्रा, विरासत, इस बार होली में, चुनी हुई कहानियां, संकलित कहानियां, लोकप्रिय कहानियां, 21 कहानियां, नेता की चादर, स्वप्नभंग, आखिरी चिट्ठी, कुछ यादें बचपन की (बाल साहित्य), इस बार होली में,जिन्दगी लौट आई थी,एक भटकी हुई मुलाकात, सपनों भरे दिन, अभिशप्त लोक, अकेली वह, कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर-परिवेश, छोटे-छोटे सुख, नया चौराहा, लौट आया हूं मेरे देश है।

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हिन्दुस्थान समाचार / धीरेन्द्र यादव

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