इतिहास का पुनर्लेखन केवल तथ्यों का संकलन नहीं, भारतीय दृष्टि से अतीत को समझने का प्रयास है : संजय श्रीहर्ष

युगवार्ता    01-Nov-2025
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बैठक में मंथन करते राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री


- अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना की बैठक बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित

झांसी, 1 नवंबर (हि.स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष ने की। इस अवसर पर इतिहास संकलन योजना के उद्देश्यों, प्रगति और भविष्य की कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गई। राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री ने कहा कि इतिहास का पुनर्लेखन केवल तथ्यों का संकलन नहीं, बल्कि भारतीय दृष्टि से अतीत को देखने और समझने का प्रयास है। इस दिशा में युवाओं और शोधार्थियों की सक्रिय भागीदारी को आवश्यक बताया गया।

बैठक में राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष ने कहा कि इतिहास संकलन का कार्य केवल अकादमिक अभ्यास नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण की दिशा में एक सांस्कृतिक अभियान है। उन्होंने विश्वविद्यालय और विभाग द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा भविष्य में निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया। बैठक में भारतीय इतिहास लेखन की मौलिक परंपरा, स्रोत-संग्रह और स्थानीय इतिहास के संरक्षण पर विशेष बल दिया गया।

बैठक में संगठन के नये पदाधिकारियों की घोषणा भी की गई। डॉ.आशीष दीक्षित को महानगर सचिव तथा शाश्वत सिंह को मीडिया प्रभारी का दायित्व सौंपा गया। दोनों नवनियुक्त पदाधिकारियों से अपेक्षा की गई कि वे संगठन के कार्यों को गति देंगे और स्थानीय स्तर पर इतिहास संकलन की गतिविधियों को सुदृढ़ बनाएंगे।

इस अवसर पर प्रो.मुन्ना तिवारी, डॉ.शैलेंद्र तिवारी, डॉ.सत्येंद्र चौधरी, डॉ.प्रेमलता सहित कई प्राध्यापक, शोधार्थी और आमंत्रित सदस्य उपस्थित रहे।

वक्ताओं ने कहा कि बुंदेलखंड की ऐतिहासिक धरोहरें, लोककथाएं, साहित्यिक परंपराएं और पुरातात्विक साक्ष्य भारतीय इतिहास को समृद्ध करने में अमूल्य योगदान दे सकते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / महेश पटैरिया

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