
काठमांडू, 10 नवंबर (हि.स.)। नेपाल में मधेश प्रदेश की राजनीति से लेकर देश की राजधानी काठमांडू तक सोमवार सुबह सियासी हलचल मच गई, जब प्रदेश के राज्यपाल सुमित्रा देवी भण्डारी ने महोत्तरी के बर्दिबास स्थित एक होटल से नेकपा (एमाले) संसदीय दल के नेता सरोज कुमार यादव को प्रदेश का मुख्यमन्त्री नियुक्त कर दिया।
के पी शर्मा ओली के प्रधानमन्त्रित्व काल में प्रदेश प्रमुख नियुक्त हुईं भण्डारी ने नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को दरकिनार करते हुए संविधान की धारा १६८(३) के तहत बर्दिबास होटल में ही यादव को शपथ दिलाई।
इस कदम से राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। पूर्व मुख्यमन्त्री जितेन्द्र सोनल, जिन्होंने एक दिन पहले ही इस्तीफा दिया था, ने भण्डारी पर मधेश की जनता के साथ विश्वासघात का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भण्डारी काठमाण्डू चिकित्सकीय उपचार के बहाने से बाहर जाने का दिखावा कर रही थीं, लेकिन गुपचुप तरीके से यादव को मुख्यमन्त्री बना दिया। उधर, नेपाली कांग्रेस, जो माओवादी केन्द्र और मधेशवादी दलों के साथ मिलकर एमाले गठबंधन से अलग होकर नई सरकार बनाने की तैयारी में थी, ने भी इस घटनाक्रम पर तीव्र आपत्ति जताई है।
वहीं, एमाले ने प्रदेश प्रमुख के इस कदम को संविधानसम्मत बताया है, जबकि कांग्रेस और माओवादी केन्द्र ने इसे “राजनीतिक नाटक” करार दिया है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद अब अदालत की चौखट तक पहुँच सकता है, जिससे प्रदेश शासन के लिए एक बड़ा संवैधानिक प्रश्न खड़ा होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास